〽️दुनिया की बेशुमार नेअमतों से इंसान लुत्फ व लज़्ज़त हासिल करता है, किसी नेअमत को खाता है, किसी को पीता है, किसी को सूंघता है, किसी को देखता है, किसी को सुनता है और इन के अलावा मुख़्तलिफ तरीक़ों से तमाम नेअमतों को इस्तेमाल करता है और उन से महज़ूज़ होता है लेकिन मर्दे मोमिन को शहादत की जो लज़्ज़त हासिल होती है उस के सामने दुनिया की सारी लज़्ज़तें हेच हैं।

यहां तक कि शहीद जन्नत की तमाम नेअमतों से फाइदा उठाएगा और उन से लुत्फ अंदोज़ होगा मगर जब उस को अल्लाह व रसूल की मुहब्बत में सर कटाने का मज़ा याद आएगा तो जन्नत की भी सारी नेअमतों का मज़ा भूल जाएगा और तमन्ना करेगा कि ऐ काश! मैं दुनिया में वापस किया जाऊं और बार-बार शहीद किया जाऊं।

हदीस शरीफ में है सरकारे अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि जन्नत में दाख़िल होने के बाद फिर कोई जन्नती वहां की राहतों और नेअमतों को छोड़ कर दुनिया में आना पसंद न करेगा कि जो चीज़ें हमें ज़मीन में हासिल थीं वह फिर मिल जाएं।

मगर शहीद आरजू करेगा कि वह फ़िर दुनिया की तरफ वापस. होकर अल्लाह की राह में दस मर्तबा क़त्ल किया जाए।
 
इल्लश्शहिदु यतमन्ना ऐय्यरजिअ इलद्दुनिया फ़यूक़ुतल अश्शर मर्रात
 
#(बुखारी, मुस्लिम, मिश्कातः330)
 
सल्लल्लाहु अलन्नबिय्यिल् उम्मियी व आलिही सल्लल्लाह तआला अलैहि व सल्लम, सलातंव व सलामन् अलैक या रसूलल्लाह।
 
📕»» ख़ुत्बाते मोहर्रम, पेज: 26-27
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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