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दरअसल बात यह है कि सच्चाई में बहुत त़ाक़त है और ह़क़ ह़क़ ही होता है, और सर चढ़ कर बोलता है और ह़क़ की अहमियत उनके नज़दीक भी होता है जो ना ह़क़ पर हैं।

बहरे हाल इस में कोई शक नहीं कि एक बड़ी तादाद में हमारे सुन्नी मुसलमान अ़वाम भाई हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की मुहब्बत में ग़लत फ़हमियों के शिकार हो गए और मज़हब के नाम पर नाजाइज़ तफ़रीह और दिल लगी के काम करने लगे उनकी ग़लत फ़हमियों को दूर करने के लिए हम ने यह मज़मून मुरत्तब किया है ।

इस मुख़्तसर मज़मून में हम यह दिखायेंगे कि आज कल मुहर्रम के महीने में इस्लाम व सुन्नियत के नाम पर जो कुछ होता है इस में
इस्लामी नुक़त़ा,ए, नज़र से सुन्नी उलेमा के फ़तवों के मुताबिक जाइज़ क्या है और नाजाइज़ क्या है किस में गुनाह है और किस में सवाब, इस में बहस व मुंहाहिसे और तफ़सील की तरफ न जा कर सिर्फ जाइज़ और नाजाइज़ कामों का एक जाइज़ पेश करेंगे और पढ़ने और सुनने वालों से गुज़ारिश है कि वह ज़िद और हठ धरमी से काम न लें, मौत व क़ब्र और आख़िरत को पेशे नज़र रखें।

मेरे अ़ज़ीज़ इस्लामी भाईयों ! हम सब को यक़ीनन मरना है, और ख़ुदा,ए,तआ़ला को मुंह दिखाना है वहां ज़िद और हठ धरमी से काम नहीं चलेगा, भाईयों, आंखें खोलो और मरने से पहले होश में आ जाओ और पढ़ो समझो और मानो।

📕 मुह़र्रम में क्या जाइज़,क्या नाजाइज़, सफ़हा न०- 8

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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