💫 न्याज़ व फ़ातिहा .......⚡ ------------------------------------------------
(5). न्याज व फ़ातिहा की हो या कोई और खाने पीने की चीज़ उसको लुटाना, भीड़ में फेंकना कि उनकी बे अदबी हो पैरों के नीचे आये या नाली वग़ैरह गन्दी जगहों पर गिरे एक ग़लत तरीका है, जिस से बचना ज़रूरी है, जैसा कि मुहर्रम के दिनों में कुछ लोग पूड़ी, गुलगुले या बिस्किट वग़ैरह छतों से फ़ेंकते और लुटाते हैं यह ना मुनासिब हरकतें हैं।
(6). न्याज़ व फ़ातिहा यानी बुजुर्गों को उनके विसाल के बाद या आम मुरदों की रुहों को उनके मरने के बाद सवाब पहुंचाने का मतलब सिर्फ यहीं नहीं कि खाना पीना सामने रख कर और कुरआने करीम पढ़ कर ईसाले सवाब कर दिया जाये, बल्कि
दूसरे दीनी इस्लामी या रिफ़ाहे आ़म यानी अ़वाम मुस्लिमीन को नफ़ा पहुँचाने वाले काम कर के उन का सवाब भी पहुँचाया जा सकता है।
📕 मुह़र्रम में क्या जाइज़,क्या नाजाइज़, सफ़हा न०-12
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/muharram-me-kya-jayiz.html
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(6). न्याज़ व फ़ातिहा यानी बुजुर्गों को उनके विसाल के बाद या आम मुरदों की रुहों को उनके मरने के बाद सवाब पहुंचाने का मतलब सिर्फ यहीं नहीं कि खाना पीना सामने रख कर और कुरआने करीम पढ़ कर ईसाले सवाब कर दिया जाये, बल्कि
दूसरे दीनी इस्लामी या रिफ़ाहे आ़म यानी अ़वाम मुस्लिमीन को नफ़ा पहुँचाने वाले काम कर के उन का सवाब भी पहुँचाया जा सकता है।
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