💫 न्याज़ व फ़ातिहा ⚡ ------------------------------------------------

हज़रत इमाम रद़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु और जो लोग उनके साथ शहीद किए गये उनको सवाब पहुंचाने के लिए

सदक़ा व ख़ैरात किया जाये

गरीबों मिस्किनों को या दोस्तों, पड़ोसियों, रिश्ते दारों वग़ैरह को शरबत या खिचड़े या मलीदे वगै़रा कोई भी जाइजं खाने पीने की चीज़ खिलाई या पिलाई जाये,

और उसके साथ आयाते कुरआनिया की तिलावत कर दी जाये तो और भी बेहतर है इस सब को उ़र्फ़ में नियाज़ फ़ातिहा कहते हैं

यह सब बिला शक जाइज़ और सवाब का काम है, और बुजुर्गों से इज़हारे अ़क़ीदत व मुहब्बत और उन्हें याद रखने का अच्छा त़रीका है लेकिन इस बारे में चन्द बातों का ध्यान रखना जरूरी है -

(1). न्याज़ व फ़ातिहा किसी भी हलाल और जाइज़ खाने पीने की चीज़ पर हो सकती है उसके लिए शरबत खिचड़े और
मलीदे को ज़रूरी ख्याल करना जिहालत है अलबत्ता इन चीजों पर फ़ातिहा दिलाने में भी कोई हर्ज़ नहीं है, अगर कोई इन मज़कूरा चीजों पर फ़ातिहा दिलाता है तो वह कुछ बुरा नहीं करता, हां जो उन्हें ज़रूरी ख्याल करता है उनके एलावा किसी और खाने पीने की चीज़ पर मुहर्रम में फ़ातिहा सही नहीं मानता वह ज़रूर जाहिल है।

📕 मुह़र्रम में क्या जाइज़,क्या नाजाइज़, सफ़हा न०- 10

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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