〽️हज़रत
मुस्लिम के दो साहिब ज़ादे मुहम्मद और इब्राहीम जो बहुत कम उम्र थे और
अपने बाप के बहुत प्यारे बेटे थे, इस सफर में अपने मेहरबान बाप के साथ हो
लिये।
हज़रत मुस्लिम ने कूफा पहुंच कर मुख़्तार बिन उबैद के मकान पर कियाम फ़रमाया, शियआने अली हर तरफ से जूक़ दर जूक़ आकर बड़े जोशो-अक़ीदत और मुहब्बत के साथ आप से बैअत करने लगे, यहां तक कि एक हफ्ता के अन्दर बारह हज़ार कूफियों ने आप के दस्ते मुबारक पर हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु की बैअत की।
हज़रत मुस्लिम को जब हालात खुशगवार नज़र आए तो आप ने इमाम हुसैन को ख़त लिख दिया कि यहां के हालात साज़गार हैं और अहले कूफा अपने क़ौलो-क़रार पर क़ाइम हैं, आप जल्द तशरीफ लाइये।
सहाबिए रसूल हज़रत नोमान बिन बशीर, जो उस ज़माने में कूफा के गवर्नर थे जब वह हालात से बाख़बर हुए तो मिम्बर पर तशरीफ ले गए और हम्दो-सलात के बाद फ़रमाया कि ऐ लोगो! यह बैअत यज़ीद की मर्ज़ी के खिलाफ है, वह इस पर बहुत भड़केगा और फित्ना व फसाद बरपा होगा।
अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम हज़रमी जो बनू उमैया के हवा-ख़्वाहों (ख़ैर ख़्वाहों) में से था, उठ खड़ा हुआ और कहा
हज़रत मुस्लिम ने कूफा पहुंच कर मुख़्तार बिन उबैद के मकान पर कियाम फ़रमाया, शियआने अली हर तरफ से जूक़ दर जूक़ आकर बड़े जोशो-अक़ीदत और मुहब्बत के साथ आप से बैअत करने लगे, यहां तक कि एक हफ्ता के अन्दर बारह हज़ार कूफियों ने आप के दस्ते मुबारक पर हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु की बैअत की।
हज़रत मुस्लिम को जब हालात खुशगवार नज़र आए तो आप ने इमाम हुसैन को ख़त लिख दिया कि यहां के हालात साज़गार हैं और अहले कूफा अपने क़ौलो-क़रार पर क़ाइम हैं, आप जल्द तशरीफ लाइये।
सहाबिए रसूल हज़रत नोमान बिन बशीर, जो उस ज़माने में कूफा के गवर्नर थे जब वह हालात से बाख़बर हुए तो मिम्बर पर तशरीफ ले गए और हम्दो-सलात के बाद फ़रमाया कि ऐ लोगो! यह बैअत यज़ीद की मर्ज़ी के खिलाफ है, वह इस पर बहुत भड़केगा और फित्ना व फसाद बरपा होगा।
अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम हज़रमी जो बनू उमैया के हवा-ख़्वाहों (ख़ैर ख़्वाहों) में से था, उठ खड़ा हुआ और कहा