यज़ीद हज़रत मुआविया रदिअल्लाहु तआला अन्हु का बेटा जिस की कुन्नियत अबू ख़ालिद है, उमैया ख़ानदान का वह बदबख़्त इंसान है जिस की पेशानी पर नवासए रसूल, जिगर गोशए बतूल हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु के क़त्ल का सियाह दाग है, जिस पर हर ज़माने में लोग मलामत करते रहे और रहती दुनिया तक ऐसे ही मलामत करते रहेंगे।

यह बद बातिन और नंगे ख़ानदान 25 हिजरी में पैदा हुआ, इस की मां का नाम मैसून बिन्त नजदल कलंबी है। यज़ीद बहुत मोटा, बद नुमा, बद खुल्क़, फासिक व फाजिर, शराबी, बदकार, ज़ालिम और बेअदब व गुस्ताख था। उस की बद कारियां और बेहूदगियां इन्तिहा को पहुंच गई थीं।

हज़रत अब्दुल्लाह रदिअल्लाहु तआला अन्हु जो हज़रत हंज़ला ग़सीलुल् मलाइका के साहिब जादे हैं वह फ़रमाते हैं: यज़ीद पर हम ने उस वक्त हमले की तैयारी की जब हम लोगों को अंदेशा हो गया कि उसकी बद कारियों के सबब हम पर आसमान से पत्थरों की बारिश होगी। इस लिये कि फिस्क़ व फुजूर का यह आलम था कि लोग
अपनी मां, बहनों और बेटियों से निकाह कर रहे थे, शराबें पी जा रही थीं और दीगर मन्हिय्याते शरइय्या ऐलानिया रेवाज हो गया था और लोगों ने नमाज़ तरक कर दी थी। #(तारीखुल खुलफाः 142)

यज़ीद ने मदीना तैयिबा और मक्का मुकर्रमा की बेहुर्मती कराई, ऐसे शख़्स की हुकूमते गरग की जो पानी से ज़्यादा ख़तरनाक थी, अरबाबे फिरासत और अस्हाबे अस्-रार उस वक्त से डरते थे जबकि इनाने सल्तनत उस शक़ी के हाथ में आई। इसी लिये 59 हिजरी में हज़रत अबू हुरैरा रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने दुआ कीः या रब मैं तेरी पनाह मांगता हूं 60 हिजरी के आगाज़ और लड़कों की हुकूमत से ।

इस दुआ से मालूम होता है कि हज़रत अबू हुरैरा रदिअल्लाहु तआला अन्हु जो हामिले अस्-रार थे, उन्हें मालूम था कि 60 हिजरी का आगाज़ लड़कों की हुकूमत और फित्नों का वक्त है। उन की यह दुआ क़बूल हुई और उन्हों ने 59 हिजरी में बमकाम मदीना तैयिबा रिहलत फ़रमाई। #(सवानेहे करबला: 81)

📕»» ख़ुत्बाते मोहर्रम, पेज: 383-384
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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