〽️सैय्यिदुश्
शुहदा हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु की पैदाइश के साथ ही आप की
शहादत की शोहरत भी आम हो गई। हज़रत अली, हज़रत फातिमा ज़हरा और दीगर सहाबए
किराम व अहले बैत के जां निसार रदिअल्लाहु तआला अन्हुम सभी लोग आप के
ज़मानए शीर ख़्वारगी (दूध पीने के ज़माना) ही में जान गए कि यह फर्ज़न्दे
अर्जुमन्द जुल्म व सितम के हाथों शहीद किया जाएगा और इन का खून निहायत
बेदर्दी के साथ ज़मीने करबला में बहाया जाएगा जैसा कि उन अहादीसे करीमा से
साबित है जो आप की शहादत के बारे में वारिद हैं: हज़रत उम्मुल फज़ल
बिन्त हारिस रदिअल्लाहु तआला अन्हा यानी हज़रत अब्बास रदिअल्लाहु तआला
अन्हु की ज़ौजा फ़रमाती हैं कि मैं ने एक रोज़ नबीए अक्रम सल्लल्लाहु तआला
अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में हाज़िर होकर हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला
अन्हु को आप की गोद में दिया, फिर मैं क्या देखती हूं कि हुज़ूर की मुबारक
आंखों से लगातार आंसू बह रहे हैं, मैं ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! मेरे
मां-बाप आप पर कुर्बान हों यह क्या हाल है? फ़रमाया मेरे पास जिब्रील
अलैहिस्सलाम आए और उन्हों ने यह खबर पहुंचाई कि मेरी उम्मत मेरे इस फर्ज़न्द
को शहीद करेगी। हज़रत उम्मुल फज़ल फ़रमाती हैं कि मैं ने अर्ज़ किया या
रसूलल्लाह! क्या इस फर्ज़न्द को शहीद कर देगी? हुज़ूर ने फ़रमाया हां, फिर
जिब्रील मेरे पास उस की शहादतगाह की मिट्टी भी लाए। #(मिश्कात:572)
और इब्ने सअद व तबरानी हज़रत आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत करते हैं उन्होंने कहा
कि हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि जिब्रील ने मुझे खबर दी मेरा बेटा हुसैन मेरे बाद अरज़े तफ में क़त्ल किया जाएगा और जिब्रील मेरे पास वहां की यह मिट्टी भी लाए और मुझ से कहा कि यह हुसैन की ख़्वाबगाह (मक़्तल) की मिट्टी है। तफ़ करीब कूफा उस मक़ान का नाम है जिस को करबला कहते हैं। #(सवाइके मुहर्रिक़ा:118)
और हज़रत अनस रदिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि बारिश के फिरिश्ते ने हुज़ूर अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में हाज़िरी देने के लिये ख़ुदावन्दे कुद्दूस से इंजाज़त तलब की, जब वह फिरिश्ता इजाज़त मिलने पर बारगाहे नुबुव्वत में हाज़िर हुआ तो उस वक्त हज़रत हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु आए और हुज़ूर की गोद में बैठ गए, तो आप उनको चूमने और प्यार करने लगे, फिरिश्ते ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! क्या आप हुसैन से प्यार करते हैं? हुज़ूर ने फ़रमाया हाँ, उस ने फ़रमाया: आप की उम्मत हुसैन को क़त्ल कर देगी अगर आप चाहें तो मैं उन की क़त्लगाह (की मिट्टी) आप को दिखा दूँ। फिर वह फिरिश्ता सुर्ख़ मिट्टी लाया जिसे उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे सलमह रदिअल्लाहु तआला अन्हा ने अपने कपड़े में ले लिया और एक रिवायत में है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया ऐ उम्मे सलमह! जब यह मिट्टी खून बन जाए तो समझ लेना कि मेरा बेटा हुसैन शहीद कर दिया गया। हज़रत उम्मे सलमह रदिअल्लाहु तआला अन्हा फ़रमाती हैं कि मैंने उस मिट्टी को शीशी में बन्द कर लिया जो हज़रत हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु की शहादत के दिन खून हो गई। #(सवाइके मुहर्रिक़ा:118)
और इब्ने सअद, हज़रत शअबी से रिवायत करते हैं कि हज़रत अली रदिअल्लाहु तआला अन्हु जंगे सिफ्फीन के मौके पर करबला से गुज़र रहे थे कि ठहर गए और उस ज़मीन का नाम दरियाफ्त फ़रमाया, लोगों ने कहा कि इस ज़मीन का नाम करबला है, करबला का नाम सुनते ही आप इस क़द्र रोए कि ज़मीन आंसुओं से तर हो गई, फिर फ़रमाया कि मैं हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में एक रोज़ हाज़िर हुआ तो देखा कि आप रो रहे हैं, मैं ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! आप क्यों रो रहे हैं? फ़रमाया अभी मेरे पास जिब्रील आए थे, उन्हों ने मुझे ख़बर दी मेरा बेटा हुसैन दरियाए फुरात के किनारे उस जगह पर शहीद किया जाएगा जिस को करबला कहते हैं। #(सवाइके मुहर्रिक़ा: 118)
अबू नईम अस्बग़ बिन नबाता रिवायत करते हैं उन्होंने फ़रमाया कि हम हज़रत अली रदिअल्लाहु तआला अन्हु के साथ हज़रत हुसैन की क़ब्रगाह से गुज़रे तो आप ने फ़रमाया कि यह शहीदों के ऊंट बिठाने की जगह है और इस मक़ाम पर उन के कजावे रखे जायेंगे और यहां उन के ख़ून बहाए जायेंगे। आले मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम के बहुत से जवान इस मैदान में शहीद किये जायेंगे और ज़मीन व आसमान उन पर रोएंगे। #(ख़साइसे कुब्-राः 2/126)
इन अहादीसे करीमा से वाज़ेह तौर पर मालूम हुआ कि हुज़ूर पुर नूर सैयिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु के शहीद होने की बार-बार इत्तिला दी गई और हुज़ूर ने भी इस का बारहा ज़िक्र फ़रमाया और यह शहादत हज़रत इमाम हुसैन की अहदे तिफ़्ली ही में खूब मश्हूर हो चुकी थी और सब को मालूम हो गया था कि आप के शहीद होने की जगह करबला है बल्कि उस के चप्पे-चप्पे को पहचानते थे और उन्हें ख़ूब मालूम था कि शुहदाए करबला के ऊंट कहा बांधे जायेंगे, उन का सामान कहां रखा जाएगा और उन के ख़ून कहा बहेंगे?
लेकिन नबीए अक्रम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम, हां वह नबी कि ख़ुदावन्दे कुद्दुस ज़िन की रज़ा जोई फ़रमाता है जिन का हुक्म बहरो-बर में नाफिज़ है, जिन्हें शजरो-हजर सलाम करते हैं, चाँद जिन के इशारों पर चला करता है, जिन के हुक्म से डूबा हुआ सूरज पलट आता है बल्कि बहुक्मे इलाही कौनैन के ज़र्रा-ज़र्रा पर जिन की हुकूमत है, वह नबी प्यारे नवासे के शहीद होने की ख़बर पाकर आंखों से आंसू तो बहाते हैं मगर नवासे को बचाने के लिये बारगाहे इलाही में दुआ नहीं फ़रमाते और न हज़रत अली व हज़रत फातिमा रदिअल्लाहु तआला अन्हुमा अर्ज़ करते हैं कि या रसूलल्लाह! हुसैन की ख़बरे शहादत ने दिलो-जिगर पारा-पारा कर दिया, आप दुआ फ़रमाएं कि ख़ुदाए अज़्ज़ जल्ल हुसैन को उस हादसे से महफूज़ रखे और अहले बैत, अज़्वाजे मुतह्हरात और सहाबए किराम सब लोग हज़रत इमाम हुसैन के शहीद होने की ख़बर सुनते हैं, मगर अल्लाह के महबूब प्यारे मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की बारगाह में कोई दुआ की दरख़्वास्त पेश नहीं करता जबकि आप की दुआ का हाल यह है किः
इजाबत का सेहरा इनायत को जोड़ा।
दुल्हन बन के निकली दुआए मुहम्मद।।
(सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम)
इजाबत ने झुक कर गले से लगाया।
बढ़ी नाज़ से जब दुआ-ए-मुहम्मद।।
(सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम)
हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु को बचाने के लिये दुआ नहीं फ़रमाई और न हुज़ूर से इस के बारे में किसी ने दुआ की दरख़्वास्त पेश की, सिर्फ इस लिये कि हुसैन का इम्तिहान हो, उन पर तकालीफ व मसाइब के पहाड़ टूटें और वह इम्तिहान में कामयाब होकर अल्लाह के प्यारे हों कि अब नबी कोई हो नहीं सकता तो नवासए रसूल का दर्ज़ा इसी तरह बुलंद से बुलंद तर हो ज़ाए और रज़ाए इलाही हासिल होने के साथ दुनिया व आख़िरत में उन की अज़मत व रिफअत का बोलबाला भी हो जाए।
📕»» ख़ुत्बाते मोहर्रम, पेज: 377-381
--------------------------------------------------------
🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/khutbate-moharram.html
और इब्ने सअद व तबरानी हज़रत आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत करते हैं उन्होंने कहा
कि हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि जिब्रील ने मुझे खबर दी मेरा बेटा हुसैन मेरे बाद अरज़े तफ में क़त्ल किया जाएगा और जिब्रील मेरे पास वहां की यह मिट्टी भी लाए और मुझ से कहा कि यह हुसैन की ख़्वाबगाह (मक़्तल) की मिट्टी है। तफ़ करीब कूफा उस मक़ान का नाम है जिस को करबला कहते हैं। #(सवाइके मुहर्रिक़ा:118)
और हज़रत अनस रदिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि बारिश के फिरिश्ते ने हुज़ूर अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में हाज़िरी देने के लिये ख़ुदावन्दे कुद्दूस से इंजाज़त तलब की, जब वह फिरिश्ता इजाज़त मिलने पर बारगाहे नुबुव्वत में हाज़िर हुआ तो उस वक्त हज़रत हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु आए और हुज़ूर की गोद में बैठ गए, तो आप उनको चूमने और प्यार करने लगे, फिरिश्ते ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! क्या आप हुसैन से प्यार करते हैं? हुज़ूर ने फ़रमाया हाँ, उस ने फ़रमाया: आप की उम्मत हुसैन को क़त्ल कर देगी अगर आप चाहें तो मैं उन की क़त्लगाह (की मिट्टी) आप को दिखा दूँ। फिर वह फिरिश्ता सुर्ख़ मिट्टी लाया जिसे उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे सलमह रदिअल्लाहु तआला अन्हा ने अपने कपड़े में ले लिया और एक रिवायत में है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया ऐ उम्मे सलमह! जब यह मिट्टी खून बन जाए तो समझ लेना कि मेरा बेटा हुसैन शहीद कर दिया गया। हज़रत उम्मे सलमह रदिअल्लाहु तआला अन्हा फ़रमाती हैं कि मैंने उस मिट्टी को शीशी में बन्द कर लिया जो हज़रत हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु की शहादत के दिन खून हो गई। #(सवाइके मुहर्रिक़ा:118)
और इब्ने सअद, हज़रत शअबी से रिवायत करते हैं कि हज़रत अली रदिअल्लाहु तआला अन्हु जंगे सिफ्फीन के मौके पर करबला से गुज़र रहे थे कि ठहर गए और उस ज़मीन का नाम दरियाफ्त फ़रमाया, लोगों ने कहा कि इस ज़मीन का नाम करबला है, करबला का नाम सुनते ही आप इस क़द्र रोए कि ज़मीन आंसुओं से तर हो गई, फिर फ़रमाया कि मैं हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में एक रोज़ हाज़िर हुआ तो देखा कि आप रो रहे हैं, मैं ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! आप क्यों रो रहे हैं? फ़रमाया अभी मेरे पास जिब्रील आए थे, उन्हों ने मुझे ख़बर दी मेरा बेटा हुसैन दरियाए फुरात के किनारे उस जगह पर शहीद किया जाएगा जिस को करबला कहते हैं। #(सवाइके मुहर्रिक़ा: 118)
अबू नईम अस्बग़ बिन नबाता रिवायत करते हैं उन्होंने फ़रमाया कि हम हज़रत अली रदिअल्लाहु तआला अन्हु के साथ हज़रत हुसैन की क़ब्रगाह से गुज़रे तो आप ने फ़रमाया कि यह शहीदों के ऊंट बिठाने की जगह है और इस मक़ाम पर उन के कजावे रखे जायेंगे और यहां उन के ख़ून बहाए जायेंगे। आले मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम के बहुत से जवान इस मैदान में शहीद किये जायेंगे और ज़मीन व आसमान उन पर रोएंगे। #(ख़साइसे कुब्-राः 2/126)
इन अहादीसे करीमा से वाज़ेह तौर पर मालूम हुआ कि हुज़ूर पुर नूर सैयिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु के शहीद होने की बार-बार इत्तिला दी गई और हुज़ूर ने भी इस का बारहा ज़िक्र फ़रमाया और यह शहादत हज़रत इमाम हुसैन की अहदे तिफ़्ली ही में खूब मश्हूर हो चुकी थी और सब को मालूम हो गया था कि आप के शहीद होने की जगह करबला है बल्कि उस के चप्पे-चप्पे को पहचानते थे और उन्हें ख़ूब मालूम था कि शुहदाए करबला के ऊंट कहा बांधे जायेंगे, उन का सामान कहां रखा जाएगा और उन के ख़ून कहा बहेंगे?
लेकिन नबीए अक्रम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम, हां वह नबी कि ख़ुदावन्दे कुद्दुस ज़िन की रज़ा जोई फ़रमाता है जिन का हुक्म बहरो-बर में नाफिज़ है, जिन्हें शजरो-हजर सलाम करते हैं, चाँद जिन के इशारों पर चला करता है, जिन के हुक्म से डूबा हुआ सूरज पलट आता है बल्कि बहुक्मे इलाही कौनैन के ज़र्रा-ज़र्रा पर जिन की हुकूमत है, वह नबी प्यारे नवासे के शहीद होने की ख़बर पाकर आंखों से आंसू तो बहाते हैं मगर नवासे को बचाने के लिये बारगाहे इलाही में दुआ नहीं फ़रमाते और न हज़रत अली व हज़रत फातिमा रदिअल्लाहु तआला अन्हुमा अर्ज़ करते हैं कि या रसूलल्लाह! हुसैन की ख़बरे शहादत ने दिलो-जिगर पारा-पारा कर दिया, आप दुआ फ़रमाएं कि ख़ुदाए अज़्ज़ जल्ल हुसैन को उस हादसे से महफूज़ रखे और अहले बैत, अज़्वाजे मुतह्हरात और सहाबए किराम सब लोग हज़रत इमाम हुसैन के शहीद होने की ख़बर सुनते हैं, मगर अल्लाह के महबूब प्यारे मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की बारगाह में कोई दुआ की दरख़्वास्त पेश नहीं करता जबकि आप की दुआ का हाल यह है किः
इजाबत का सेहरा इनायत को जोड़ा।
दुल्हन बन के निकली दुआए मुहम्मद।।
(सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम)
इजाबत ने झुक कर गले से लगाया।
बढ़ी नाज़ से जब दुआ-ए-मुहम्मद।।
(सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम)
हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु को बचाने के लिये दुआ नहीं फ़रमाई और न हुज़ूर से इस के बारे में किसी ने दुआ की दरख़्वास्त पेश की, सिर्फ इस लिये कि हुसैन का इम्तिहान हो, उन पर तकालीफ व मसाइब के पहाड़ टूटें और वह इम्तिहान में कामयाब होकर अल्लाह के प्यारे हों कि अब नबी कोई हो नहीं सकता तो नवासए रसूल का दर्ज़ा इसी तरह बुलंद से बुलंद तर हो ज़ाए और रज़ाए इलाही हासिल होने के साथ दुनिया व आख़िरत में उन की अज़मत व रिफअत का बोलबाला भी हो जाए।
📕»» ख़ुत्बाते मोहर्रम, पेज: 377-381
--------------------------------------------------------
🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/khutbate-moharram.html