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ताज़ियेदारी लड़ाई झगड़े की बुनियाद:-
लड़ाई झगड़े करना तो अक्सर जगह तअ़ज़ियेदारों की आदत बन गई है, रास्तों के लिए खड़ी फ़सलों को रोन्दना, अपनी वाह-वाही और शान शैख़ी के लिए एक दूसरे से मुकाबिले करना, खूब ऊँचे-ऊँचे तअ़जिये बनाकर उन्हें निकालने के लिए बिजली के तार या खड़े दरख्तों को काटना तरह-तरह से खुदा की मख़लूक़ को सताना उनका मिज़ाज हो गया है, इन सब बातों में कभी-कभी ग़ैर मुस्लिमों से भी टकराव की नौबत आ जाती है, और यह सब बे मक़सद झगड़े होते हैं, मुसलमानों की तारीख में कभी भी इन ग़ैर ज़रूरी फ़ालतू बातों के लिए लड़ाइयाँ नहीं लड़ी गयीं और मुसलमान फ़ितरतन झगड़ालू नहीं होता।
तअज़िये दारों को तो मैं ने देखा कि यह लोग तअ़ज़िये उठा कर मातम करते हुये ढोल बाजों के साथ चलते हैं तो होश खो बैठते हैं बे काबू और आपे से बाहर हो जाते हैं जोश ही जोश दिखाई देता है, खुदा न करे मैं हर मुसलमाने मर्द व औरत की जान माल, इज्ज़त व आबरू की सलामती की अल्लाह तआ़ला से दुआ करता हूँ लेकिन इस बढ़ती हुई तअज़ियेदारी और तअज़िये उठाते वक़्त ताज़ियेदारों के बे काबू जोशीले रंग से मुझ को तो हिन्दुस्तान में ख़तरा महसूस हो रहा है, कभी उसकी वजह से मुसलमानों का बड़ा नुक्सान हो सकता है, और यह बे नतीजे नुक्सान होगा, और यह अन्जाम से बे ख़बर लोग कभी भी क़ौम को दंगों और बलवों की 🔥 आग में झोंक सकते हैं, कुछ जगह ऐसा हुआ भी है और कही होते होते बच गया है।
अभी चन्द साल पहले अख़बार में आया था कि कि तअ़ज़ियेदारों ने एक हिन्दू का आठ बीघा खेत रोन्द डाला बड़ी मुश्किल से पुलिस ने दंगे पर कंट्रोल किया दर अ़शल यह सब मुसलमानों को तबाह व बरबाद कराने वाले काम
ताज़ियेदारी लड़ाई झगड़े की बुनियाद:-
लड़ाई झगड़े करना तो अक्सर जगह तअ़ज़ियेदारों की आदत बन गई है, रास्तों के लिए खड़ी फ़सलों को रोन्दना, अपनी वाह-वाही और शान शैख़ी के लिए एक दूसरे से मुकाबिले करना, खूब ऊँचे-ऊँचे तअ़जिये बनाकर उन्हें निकालने के लिए बिजली के तार या खड़े दरख्तों को काटना तरह-तरह से खुदा की मख़लूक़ को सताना उनका मिज़ाज हो गया है, इन सब बातों में कभी-कभी ग़ैर मुस्लिमों से भी टकराव की नौबत आ जाती है, और यह सब बे मक़सद झगड़े होते हैं, मुसलमानों की तारीख में कभी भी इन ग़ैर ज़रूरी फ़ालतू बातों के लिए लड़ाइयाँ नहीं लड़ी गयीं और मुसलमान फ़ितरतन झगड़ालू नहीं होता।
तअज़िये दारों को तो मैं ने देखा कि यह लोग तअ़ज़िये उठा कर मातम करते हुये ढोल बाजों के साथ चलते हैं तो होश खो बैठते हैं बे काबू और आपे से बाहर हो जाते हैं जोश ही जोश दिखाई देता है, खुदा न करे मैं हर मुसलमाने मर्द व औरत की जान माल, इज्ज़त व आबरू की सलामती की अल्लाह तआ़ला से दुआ करता हूँ लेकिन इस बढ़ती हुई तअज़ियेदारी और तअज़िये उठाते वक़्त ताज़ियेदारों के बे काबू जोशीले रंग से मुझ को तो हिन्दुस्तान में ख़तरा महसूस हो रहा है, कभी उसकी वजह से मुसलमानों का बड़ा नुक्सान हो सकता है, और यह बे नतीजे नुक्सान होगा, और यह अन्जाम से बे ख़बर लोग कभी भी क़ौम को दंगों और बलवों की 🔥 आग में झोंक सकते हैं, कुछ जगह ऐसा हुआ भी है और कही होते होते बच गया है।
अभी चन्द साल पहले अख़बार में आया था कि कि तअ़ज़ियेदारों ने एक हिन्दू का आठ बीघा खेत रोन्द डाला बड़ी मुश्किल से पुलिस ने दंगे पर कंट्रोल किया दर अ़शल यह सब मुसलमानों को तबाह व बरबाद कराने वाले काम