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हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु अन्हु की शहादत:-

इब्ने सअद ने इमरान इब्ने अब्दुल्लाह से रिवायत की किसी ने हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु तआला अन्हु को ख़्वाब में देखा कि आपके दोनों चश्म (आँखों) के दर्मियान कुल हुवल्लाहु अहद लिखी हुई है। आपके अहले बैत में उस से बहुत खुशी हुई। लेकिन जब यह ख्वाब हज़रत सईद बिन मुसैय्यिब रदिअल्लाहु अन्हु के सामने बयान किया गया तो उन्होंने फरमाया कि वाकई अगर यह ख्वाब देखा है तो हज़रत इमाम की उम्र के चन्द ही रोज़ रह गये हैं।

यह ताबीर सही साबित हुई और बहुत करीब ज़माने में आपको ज़हर दिया गया। ज़हर के असर से इस्हाल कबदी लाहिक हुआ और आंतों के टुकड़े कट-कट कर इस्हाल में खारिज हुए। इस सिलसिला में आपको चालीस रोज़ सख्त तक्लीफ़ रही। क़रीबे वफ़ात जब आपकी खिदमत में आपके बरादरे अज़ीज़ सैय्यदना हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने हाज़िर हो कर दरयाफ्त फरमाया कि आपको किस ने जहर दिया है तो फरमाया कि तुम उसे क़त्ल करोगे। हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने जवाब दिया कि बेशक हज़रत इमाम आली मकाम ने फरमाया कि मेरा गुमान जिस की तरफ़ है अगर दरहकीक़त वही कातिल है तो अल्लाह तआला मुन्तकिमे हकीकी है और उसकी गिरफ्त बहुत सख्त है और अगर वह नहीं है तो मैं नहीं चाहता कि मेरे सबब से कोई बेगुनाह मुब्तलाए मुसीबत हो। मुझे इस से पहले भी कई मरतबा ज़हर दिया गया है लेकिन इस मरतबा का ज़हर सबसे ज्यादा तेज़ है।

सुब्हानल्लाह हज़रत इमाम की करामत और मंज़िलत कैसी बुलन्द व बाला है कि अपने आप सख्त तक्लीफ में मुब्तला हैं, आंतें कट-कट कर निकल रही हैं। नज़्अ की हालत है मगर इंसाफ़ का बादशाह उस वक्त भी अपनी अदालत व इंसाफ का न मिटने वाला नक्श सफः तारीख पर नक्श फरमाता है। उसकी एहतियात इजाजत नहीं देती कि जिस की तरफ़ गुमान है उसका नाम भी लिया जाए। उस वक्त आपकी उमर शरीफ़ पैंतालीस साल छः माह चन्द रोज की थी कि आपने पाँचवें रबीउल-अव्वल 49 हिजरी को इस दारे नापाइदार से मदीना-ए-तैय्यबा में रहलत फरमाई।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन !

वफ़ात के करीब हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने देखा कि उनके बरादरे मोहतरम हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु तआला अन्हु को घबराहट और बेक़रारी ज्यादा है पेशानी-ए-मुबारक पर हुज्न व मलाल के आसार नमूदार हैं। यह देख कर हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु अन्हु ने तस्कीने खातिर मुबारक के लिए अर्ज
किया कि ऐ बरादरे गिरामी आप क्यों रंजीदा हैं, बेक़रारी का क्या सबब है? मुबारक हो आपको अन्क़रीब हुजूर पुरनूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में बारयाबी हासिल होगी और हज़रत अली-ए-मुर्तजा और हज़रत ख़दीजतुल-कुबरा, फ़ातिमा जुहरा और हज़रत हम्जा रदिअल्लाहु तआला अन्हुम का दीदार नसीब होगा।

हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु अन्हु ने फरमाया कि ऐ बरादरे अज़ीज़ मैं कुछ ऐसे अम्र में दाखिल होने वाला हूँ जिसकी मिस्ल मैंने कभी नहीं देखी और उसके साथ ही आपने हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु अन्हु के पेश आने वाले वाकेआत और कूफ़ियों की बद-सुलूकी व ईज़ा रसानी का भी तज्किरा किया।

📕»» सवानेह करबला, पेज: 56-57
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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