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बुखारी व मुस्लिम ने हज़रत बरा इब्ने आज़िब रदिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की फरमाते हैं- मैंने नूरे मुजस्सम जाने मुसव्विर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़्यारत की। शहज़ादा-ए-बुलन्द इक्बाल हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु तआला अन्हु आपके दोशे अक्दस पर थे और हुज़ूरﷺ फरमा रहे थे- या रब मैं इसको महबूब रखता हूँ तो तू भी महबूब रख ।
इमाम बुखारी ने हज़रत अबू बकर रदिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की, फरमाते हैं कि हुजूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मिंबर पर जलवा अफ़रोज़ थे। हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु तआला अन्हु आपके पहलू में थे। हुज़ूर ﷺ एक मरतबा लोगों की तरफ नजर फरमाते और एक मरतबा उस फ़रज़न्दे जमील की तरफ्। मैंने सुना हुज़ूरﷺ ने इरशाद फरमाया कि यह मेरा फरज़न्दे रशीद है और अल्लाह तआला इसकी बदौलत मुसलमानों की दो जमाअतों में सुलह करेगा।
बुख़ारी में हज़रत इब्ने उमर रदिअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है कि हुज़ूर पुर नूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया हसन हुसैन दुनिया में मेरे दो फूल हैं।
तिर्मिज़ी की हदीस में है, हुज़ूर अलैहि व अला आलेही व अस्हाबेहिस्सलातु वस्सलाम ने फरमाया- हसन और हुसैन जन्नती जवानों के सरदार हैं।
इब्ने सअद ने अब्दुल्लाह बिन जुबैर से रिवायत की कि हुज़ूर ﷺ के अहले बैत में हुज़ूर के साथ सबसे ज्यादा मुशाबेह और हुज़ूर को सबसे प्यारे हज़रत इमाम हसन थे। मैंने देखा हुज़ूरﷺ तो सज्दे में होते और यह वाला
शान साहबजादे आपकी गर्दन मुबारक या पुश्ते अक्दस पर बैठ जाते तो जब तक यह उतर न जाते आप सरे मुबारक न उठाते और मैंने देखा हुज़ूर ﷺ रुकू में होते तो उनके लिए अपने कदमे ताहिरैन को इतना कुशादा फरमा देते कि यह निकल जाते।
📕»» सवानेह करबला, पेज: 53-54
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 इस उनवान के दूसरे पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hasanain.html
बुखारी व मुस्लिम ने हज़रत बरा इब्ने आज़िब रदिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की फरमाते हैं- मैंने नूरे मुजस्सम जाने मुसव्विर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़्यारत की। शहज़ादा-ए-बुलन्द इक्बाल हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु तआला अन्हु आपके दोशे अक्दस पर थे और हुज़ूरﷺ फरमा रहे थे- या रब मैं इसको महबूब रखता हूँ तो तू भी महबूब रख ।
इमाम बुखारी ने हज़रत अबू बकर रदिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की, फरमाते हैं कि हुजूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मिंबर पर जलवा अफ़रोज़ थे। हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु तआला अन्हु आपके पहलू में थे। हुज़ूर ﷺ एक मरतबा लोगों की तरफ नजर फरमाते और एक मरतबा उस फ़रज़न्दे जमील की तरफ्। मैंने सुना हुज़ूरﷺ ने इरशाद फरमाया कि यह मेरा फरज़न्दे रशीद है और अल्लाह तआला इसकी बदौलत मुसलमानों की दो जमाअतों में सुलह करेगा।
बुख़ारी में हज़रत इब्ने उमर रदिअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है कि हुज़ूर पुर नूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया हसन हुसैन दुनिया में मेरे दो फूल हैं।
तिर्मिज़ी की हदीस में है, हुज़ूर अलैहि व अला आलेही व अस्हाबेहिस्सलातु वस्सलाम ने फरमाया- हसन और हुसैन जन्नती जवानों के सरदार हैं।
इब्ने सअद ने अब्दुल्लाह बिन जुबैर से रिवायत की कि हुज़ूर ﷺ के अहले बैत में हुज़ूर के साथ सबसे ज्यादा मुशाबेह और हुज़ूर को सबसे प्यारे हज़रत इमाम हसन थे। मैंने देखा हुज़ूरﷺ तो सज्दे में होते और यह वाला
शान साहबजादे आपकी गर्दन मुबारक या पुश्ते अक्दस पर बैठ जाते तो जब तक यह उतर न जाते आप सरे मुबारक न उठाते और मैंने देखा हुज़ूर ﷺ रुकू में होते तो उनके लिए अपने कदमे ताहिरैन को इतना कुशादा फरमा देते कि यह निकल जाते।
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