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इस इरशादे मुबारक से मालूम होता है कि उस वक्त आपकी नज़र के सामने करबला का हौलनाक मंजर और हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु अन्हु की तन्हाई का नक्शा पेश था और कूफियों के मज़ालिम की तस्वीरें आपको गमगीन कर रही थीं। इसके साथ आपने यह भी फरमाया कि मैंने उम्मुल-मोमिनीन हज़रत आइशा सिद्दीका रदिअल्लाहु अन्हा से दरख्वास्त की थी कि मुझे रौज-ए-ताहिरा में दफन की जगह इनायत हो जाए उन्होंने उसको मन्जूर फरमाया। मेरी वफ़ात के बाद उनकी खिदमत में अर्ज किया जाए लेकिन मैं गुमान करता हूँ कि कौम माने (रोकेगी) होगी। अगर वह ऐसा करें तो तुम उन से तक़्रार न करना।

हज़रत इमाम हसन रदिअल्लाहु तआला अन्हु की वफ़ात के बाद हज़रत इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने वसीयत के मुताबिक हज़रत उम्मुल-मोमिनीन आइशा रदिअल्लाहु अन्हा से दरख़्वास्त की, आपने उसको कुबूल फरमाया और इरशाद फरमाया कि बड़ी इज्ज़त व करामत के साथ मन्जूर है *लेकिन मरवान रोकने लगा और नौबत यहाँ तक पहुँची कि हज़रत इमाम हुसैन और उनके हमराही हथियार बन्द हो गये।*

हज़रत अबू हुरैरह रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने उन्हें भाई की वसीयत याद दिला कर वापस किया और यह फ़रज़न्दे रसूल जिगर गोश-ए-बतूल बकीअ शरीफ में अपनी वालिदा-ए-मोहतरमा हज़रत खातूने जन्नत के पहलू में मदफून हुए। रदिअल्लाहु अन्हुम व रदू अन्हु।

मुअर्रेंखीन ने जहर खुरानी की निस्बत जअदा बिन्ते अशअस इब्ने कैस की तरफ़ की है और उसको हज़रत इमाम की बीवी बताया है और यह भी कहा है कि यह ज़हर खुरानी बइगवाए यज़ीद हुई है और यज़ीद ने उस से निकाह का वादा किया था। इस तमअ (लालच) में आकर उस ने हज़रत इमाम को जहर दिया लेकिन इस रिवायत की
कोई सनद सही दस्तियाब नहीं हुई और बगैर किसी सनद सही के किसी मुसलमान पर क़त्ल का इल्जाम और ऐसे अजीमुश्शान क़त्ल का इल्ज़ाम किस तरह जाइज़ हो सकता है। क़तअ नज़र इस बात के कि रिवायत के लिए कोई सनद नहीं है और मुअर्रेखीन ने बगैर किसी मोतबर ज़रिए या मोतमद हवाला के लिख दिया है।

यह ख़बर वाकेआत के लिहाज़ से भी नाकाबिले इत्मीनान मालूम होती है।

📕»» सवानेह करबला, पेज: 57-58
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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