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मुह़र्रम में क्या जाइज़ ?
हम पहले ही लिख चुके हैं कि हज़रत इमाम हुसैन हों या दूसरी अ़ज़ीम इस्लामी शख़्सियतें उनसे असली सच्ची हक़ीक़ी मुहब्बत व अ़क़ीदत तो यह है कि उनके रास्ते पर चला जाये और उन का रास्ता इस्लाम है-
पांचों वक़्त की नमाज की पाबन्दी की जाये,
रमज़ान के रोज़े रखे जायें,
माल की ज़कात निकाली जाये,
बस की बात हो तो ज़िन्दगी में एक मर्तबा ह़ज भी किया जाये,
जुए शराब ज़िना, सूद, झूट, गीबत, फिल्मी गानों, तमाशों और पिक्चरों वगैरह नाजाइज़ हराम कामों से बचा जाये,
और उसके साथ साथ उन की मुहब्बत व अ़क़ीदत में मुन्दर्जा ज़ैल काम किए जायें तो कुछ हर्ज़ नहीं बल्कि बाइसे
ख़ैर व बरकत है।
📕»» मुह़र्रम में क्या जाइज़? क्या नाजाइज़? सफ़ा: 9
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी & शाकिर अली बरेलवी
📌 इस उनवान के दूसरे पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/moharram-me-jayiz-najayiz.html
मुह़र्रम में क्या जाइज़ ?
हम पहले ही लिख चुके हैं कि हज़रत इमाम हुसैन हों या दूसरी अ़ज़ीम इस्लामी शख़्सियतें उनसे असली सच्ची हक़ीक़ी मुहब्बत व अ़क़ीदत तो यह है कि उनके रास्ते पर चला जाये और उन का रास्ता इस्लाम है-
पांचों वक़्त की नमाज की पाबन्दी की जाये,
रमज़ान के रोज़े रखे जायें,
माल की ज़कात निकाली जाये,
बस की बात हो तो ज़िन्दगी में एक मर्तबा ह़ज भी किया जाये,
जुए शराब ज़िना, सूद, झूट, गीबत, फिल्मी गानों, तमाशों और पिक्चरों वगैरह नाजाइज़ हराम कामों से बचा जाये,
और उसके साथ साथ उन की मुहब्बत व अ़क़ीदत में मुन्दर्जा ज़ैल काम किए जायें तो कुछ हर्ज़ नहीं बल्कि बाइसे
ख़ैर व बरकत है।
📕»» मुह़र्रम में क्या जाइज़? क्या नाजाइज़? सफ़ा: 9
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