मस्अला:-
इमाम को रुकूअ में पाया और मुक़तदी तकबीरे तहरीमा कहता हुआ रुकूअ में गया
और तकबीरे-तहरीमा उस वक्त ख़त्म की कि अगर हाथ बढ़ाए (लम्बा करे) तो घुटने
तक पहुँच जाए, तो उसकी नमाज़ न हुई।
#(रद्दुल मोहतार)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/namaz.html
#(रद्दुल मोहतार)
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