मस्अला:- नमाज़ में अमले-कसीर करना मुफसिदे नमाज़ है।
अमले-कसीर से मुराद येह है कि ऐसा कोई काम करना जो आमाले-नमाज़ (नमाज के कामों) से न हो और न ही वोह अमल नमाज़ की इस्लाह के लिये हो।
अमले -कसीर की मुख़्तसर और जामे अ तारीफ (संक्षिप्त तथा सुस्पष्ट,Comprehensive व्याख्या) येह है कि ऐसा अमल करना कि उस काम को करने वाले नमाज़ी को दूर से देखकर देखने वाले को गालिब, गुमान हो कि येह शख्स नमाज़ में नहीं, तो वोह काम 'अमले कसीर' है।
#(दुर्रे मुख़्तार; बहारे शरीअत हिस्सा-3, सफ़ा-153)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/namaz.html
अमले-कसीर से मुराद येह है कि ऐसा कोई काम करना जो आमाले-नमाज़ (नमाज के कामों) से न हो और न ही वोह अमल नमाज़ की इस्लाह के लिये हो।
अमले -कसीर की मुख़्तसर और जामे अ तारीफ (संक्षिप्त तथा सुस्पष्ट,Comprehensive व्याख्या) येह है कि ऐसा अमल करना कि उस काम को करने वाले नमाज़ी को दूर से देखकर देखने वाले को गालिब, गुमान हो कि येह शख्स नमाज़ में नहीं, तो वोह काम 'अमले कसीर' है।
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