मस्अला:- कोई शख्स नमाज़ पढ़ रहा था और का'दा की हालत में अत्तहिय्यात पढ़ रहा था। जब 'कल्म-ए-तशह्हुद' के करीब पहुंचा, तब मोअज्जिन ने अज़ान में 'शहादतैन' (दो शहादतें) कहीं, उस नमाजी ने 'अत्तहिय्यात' की किरअत के बजाए (बदले) अज़ान का जवाब देने की निय्यत से 'अश्हदो-अल-ला-इलाहा-इल्लल्लाहो-व-अशहदो-अन्ना-मुहम्मदन-अब्दोहु-व-रसूलोहु' कहा, तो उसकी नमाज़ फासिद हो गई।

#(फतावा रिज़वीया जिल्द-3 सफ़ा-406)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी  अह्-लिया मोहतरमा

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