मस्अला:- नमाज़ की हालत में तीन कल्मे (अलफाज़/शब्द-Words) इस तरह लिखे कि हुरूफ (अक्षर) जाहिर हों, तो नमाज फासिद हो जाएगी।

मस्लन रैत (बालू-Sand) या मिट्टी पर लिखे और अगर हुरूफ जाहिर न हों, तो नमाज फासिद नहीं होगी, मस्लन पानी पर या हवा में लिखा, तो अबस है और नमाज मकरूहे-तहरीमी होगी।

#(गुन्या शरहे मुन्या; बहारे-शरीअत हिस्सा-3 सफ़ा-155)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी  अह्-लिया मोहतरमा

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