टिड्डी दल

〽️फ़िरऔन की क़ौम ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को सताया तो मूसा अलैहिस्सलाम की बद्-दुआ से उन पर पानी का अज़ाब आ गया। जिस में वो बुरी तरह घिर गए और फिर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ही से इलतिजा करने लगे की इस अज़ाब के टल जाने की दुआ कीजिए। हम आप पर ईमान ले आएंगे।

हज़रत मूसा अलेहिस्सलाम ने दुआ फ़रमाई तो पानी का अज़ाब टल गया और वही पानी रहमत की शक़्ल में तब्दील होकर ज़मीन की सरसब्ज़ी व शादाबी का मौजिब बन गया, खेतियाँ खूब हुईं दरख़्त खूब फले इस तरह की सरसब्ज़ी पहले कभी ना देखी थी फ़िरऔनी कहने लगे कि पानी तो नओमत था, हमें मूसा पर ईमान लाने की क्या हाजत है।

चुनाँचे वो मग़रूर अपने अहेद से फिर गए तो मूसा अलैहिस्सलाम ने फिर उनके लिए बद्-दुआ की और एक महीना आफ़ियत से गुज़र जाने के बाद अल्लाह ने फिर उन पर टिड्डियाँ भेज दीं जो खेतियाँ और दरख़्तों के फल हत्ता की फ़िरऔनियों के दरवाज़े और छतें भी खा गईं और क़ुद्रते हक़ का करिश्मा देखिये कि टिड्डियाँ फ़िरऔनियों के घरों में घुस आईं मगर बनी इस्राईल के घरों में मतलक़ ना गईं।

तंग आकर उन मग़रूरों ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से फिर इस अज़ाब के भी टल जाने की इलतिजा की और

पानी का अज़ाब

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के असा मुबारक का अज़्दहा बन जाना देख कर फ़िरऔन के खुश नसीब जादूगर हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर ईमान ले आए, लेकिन फ़िरऔन और उसकी सरकश क़ौम अपने कुफ़्र से बाज़ ना आई।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ये सरकशी देख कर उनके हक़ में बद दुआ फरमा दी और अर्ज़ किया कि "इलाही! फ़िरऔन बहुत सरकश हो गया है और उसकी क़ौम भी अहेद शिकन और मग़रूर हो गई। उन्हें ऐसे अज़ाब में गिरफ़्तार कर जो उन के लिए सजा हो और मेरी क़ौम और बाद वालों के लिए इब्रत।"

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की ये दुआ क़बूल हो गयी और अल्लाह ने फ़िरऔनियों पर एक तूफ़ान भेजा, अब्र आया, अंधेरा छा गया और कसरत से बारिश होने लगी। फ़िरऔनियों के घर में पानी उनकी गर्दनों तक आ गया। उनमें जो बैठा डूब गया। ना हिल सकते थे ना कुछ काम कर सकते थे। सनीचर से सनीचर तक सात रोज़ तक ऐसी मुसीबत में मुबतला रहे और क़ुद्रत खुदावंदी का करिश्मा देखिये कि बावजूद ये के बनी इस्राईल के घर उन

जादूगरों की शिकस्त

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के असा का साँप बन जाना फ़िरऔन के लिए बड़ी मुश्किल का बाइस हुआ और वो बड़ा घबरा गया।

फ़िरऔन के दरबारी फ़िरऔन से कहने लगे के मूसा कहीं से जादू सीख आया है। अब तुम भी अपनी सारी ममलिकत से जादूगरों को जमा करो और उनको मूसा के मुक़ाबले में लाओ।

चुनाँचे फ़िरऔन ने अपने आदमी सारी ममलिकत में भेज दिए और वो हर मुक़ाम से जादूगरों को जमा करके लिए आए।

जब हज़ारों की तादाद में जादूगर जमा हो गए तो फ़िरऔन ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को उन जादूगरों से मुक़ाबला करने का चैलेंज दे दिया। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने वो चैलेंज क़बूल कर लिया। फ़िरऔन ने पूछा- दिन कौन सा होगा? आपने फ़रमाया- तुम्हारे मेले का दिन मुक़र्रर करता हूँ। ये फ़िरऔनियों का एक ऐसा दिन था, जिस दिन वो ज़ीनतें कर-कर के दूर-दूर से जमा होते थे। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ये दिन इस लिए मुक़र्रर फरमाया कि ये रोज़ उनकी ग़ायत शौकत का दिन था। उस दिन को मुक़र्रर करना सब लोगों पर हक़ वाज़ेह कर देने के लिए था।

चुनाँचे जब वो दिन आया तो हज़ारों जादूगर मुक़ामे मुक़र्रर पर पहुँच गए और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम भी तशरीफ़ ले आए। हज़ारहा के इस इजतमे में उन जादूगरों ने अपनी अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दीं। जब डालीं तो वो सब की सब साँप बन गईं और दौड़ने लगीं। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने देखा के ज़मीन साँपों से भर

अज़्दहा का हमला

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम शरफ नबुव्वत से मुर्शरफ़ होकर जब फ़िरऔन के पास पहुँचे तो उससे फ़रमाया की ऐ फ़िरऔन! मैं अल्लाह का रसूल हूँ और हक़ व सदाक़त का अलम्बरदार हूँ। दअवऐ खुदाई को छोड़ और एक अल्लाह का परस्तार बन।

फ़िरऔन ने कहा अगर तुम अल्लाह के रसूल हो तो कोई निशानी दिखाओ।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तो लो देखो। आपने असा मुबारक ज़मीन पर डाल दिया। जब आपने वो असा ज़मीन पर डाला तो वो एक बड़ा अज़्दहा बन गया। ज़र्द रंग मुंह खोले हुए ज़मीन से एक मील ऊँचा अपनी दुम पर खड़ा हो गया और एक जबड़ा उसने ज़मीन पर रखा और कस्र शाही की दीवार पर फिर उसने फ़िरऔन की तरफ़ रूख़ किया तो ऐसी भाग पड़ी के हज़ारों आदमी कुचल कर मर गए फ़िरऔन घर में जाकर चीखने लगा और कहने लगा- ऐ मूसा! तुम्हें उसकी कसम जिसने तुझे रसूल बनाया, उसको पकड़ लो।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसको उठा लिया तो वो मिस्ल साबिक़ असा था और फ़िरऔन की जान में जान आई।

#(क़ुरआन करीम, पारा-9, रूकू-3; ख़ज़ायन-उल-इरफ़ान, सफ़ा-236)


🌹सबक़ ~
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पैग़म्बर बड़ी शान व शौकत और अज़ीम ताकत का मालिक होता है और बड़े से बड़ा बादशाह भी उसका मुक़ाबला नहीं कर सकता।


📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 89, हिकायत नंबर- 75
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ख़ौफ़नाक साँप

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के हाथ में एक असा था। ऐ मूसा! ज़रा इस असा को ज़मीन पर तो डालो। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसे ज़मीन पर डाला तो वो एक खौफनाक साँप बनकर लहराने लगा।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ये मंज़र देखकर पीठ मोड़ ली और पीछे मुड़कर ना देखा।

ख़ुदा ने फ़रमाया- ऐ मूसा! डरो नहीं। इसे पकड़ लो। ये फिर वही असा बन जाएगा।

चुनाँचे आपने उस साँप को पकड़ा तो वो फिर असा बन गया। अल्लाह तआला ने ये भी एक मओजज़ा अता फरमा कर मूसा अलैहिस्सलाम से फ़रमाया की अब फिरऔन की तरफ़ जाओ और उसे डराओ और उसको समझाओ की वो कुफ़्र व तुगयानी को छोड़ दे। और अगर वो मओजज़ा तलब करे तो ये असा डाल कर उसे दिखाओ

#(क़ुरआन करीम, पारा-16, रूकू-10, पारा-20, रूकू-7)


🌹सबक़ ~
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अंबिया अलैहिमुस्सलाम को अल्लाह तआला ने बड़े-बड़े मओजज़ात अता फ़रमाए हैं और वो ऐसे-ऐसे काम कर

दरख़्त से आवाज़

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम के पास दस बरस तक रहे और फिर हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम ने अपनी साहबज़ादी का निकाह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के साथ कर दिया।

इतने अर्से के बाद आप हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम से इजाज़त लेकर अपनी वालिदा से मिलने के लिए मिस्र की तरफ रवाना हुए। आपकी बीवी भी साथ थी। रास्ते में जब की आप रात के वक्त एक जंगल में पहुँचे तो रास्ता गुम हो गया। अंधेरी रात और सर्दी का मौसम था। उस वक़्त आपने जंगल में दूर एक चमकती हुई आग देखी और बीवी से फ़रमाया तुम यहाँ ठहरो मैंने वो दूर आग देखी है मैं वहाँ जाता हूँ, शायद वहाँ से कुछ खबर मिले और तुम्हारे तांपने के लिए कुछ आग भी ला सकूँ।

चुनाँचे आप अपनी बीवी को वहीं बैठा कर उस आग की तरफ़ चले और जब उसके पास पहुंचे तो वहाँ एक सरसब्ज़ शादाब दरख्त देखा जो ऊपर से नीचे तक निहायत रोशन था और जितना उसके क़रीब जाते हैं, वो दूर हो जाता है और ठहर जाते हैं तो वो क़रीब हो जाता है।

आप उस नूरानी दरख्त के अजीब हाल को देख रहे थे की उस दरख़्त से आवाज़ आई ऐ मूसा! “मैं सारे जहानों

मदयन का कुँआ

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने बड़े होकर जब हक़ का बयान और फ़िरऔन और फ़िरऔनियों की गुमराही का बयान शुरू किया तो बनी इस्राईल के लोग आपकी बात सुनते और आपका इत्तिबा करते। आप फ़िरऔनियों के दीन की मुख़ालफ़त फ़रमाते रफ़्ता-रफ़्ता इस बात का चर्चा हुआ और फ़िरऔनी जुस्तजू में हुए। फिर फ़िरऔन के बावर्ची का मूसा अलैहिस्सलाम के मुक्के से मारा जाना भी जब उन लोगों को मालूम हुआ तो फ़िरऔन ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के क़त्ल का हुक्म दिया और लोग हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की तलाश में निकले।

फ़िरऔनियों में से एक मर्दे नेक मूसा अलैहिस्सलाम का खैरख़्वाह भी था, वो दौड़ा हुआ आया और मूसा अलैहिस्सलाम को ख़बर दी और कहा- आप यहाँ से कहीं और तशरीफ़ ले जाईये।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उसी हालत में निकल पड़े और मदयन की तरफ़ रूख किया। मदयन वो मुकाम है जहाँ हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम तशरीफ़ रखते थे, ये शहर फ़िरऔन के हदूद सलतनत से बाहर था। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसका रास्ता भी ना देखा था, ना कोई सवारी साथ थी ना कोई हमराही।

चुनाँचे अल्लाह ने एक फ़रिश्ता भेजा जो आपको मदयन तक ले गया। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम उसी शहर में रहते थे। आपकी लड़कियाँ थीं और बकरियाँ आपका जरिया मआश था।

मदयन में एक कुँआ था, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पहले उसी कुएँ पर पहुँचे और आपने देखा की बहुत से लोग उस कुएँ से पानी खींचते हैं और अपने जानवरों को पिला लेते हैं और हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम की दोनों लड़कियाँ भी अपनी बकरियों को अलग रोक कर वहीं खड़ी हैं।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उन लड़कियों से पूछा के तुम अपनी बकरियों को पानी क्यों नहीं पिलातीं? उन्होंने

मूसा अलैहिस्सलाम का तमाचा

〽️हज़रत मूसा अलेहिस्सलाम के पास जब मलक-उल-मौत हाज़िर हुआ तो हज़रत मूसा अलेहिस्सलाम ने मलक-उल-मौत को एक ऐसा तमांचा मारा कि मलक-उल-मौत की आँख निकल आई।

मलक-उल-मौत फ़ौरन वापस पलटा और अल्लाह के हुज़ूर अर्ज करने लगा- इलाही आज तो तूने मुझे एक ऐसे अपने बन्दे की तरफ़ भेजा है जो मरना ही नहीं चाहता ये देख की उसने मुझे तमाचा मार कर मेरी आँख निकाल दी है।

ख़ुदा ने मलक-उल-मौत की वो आँख दुरस्त फरमा दी और फ़रमाया मेरे बन्दे मूसा के पास फिर जाओ और बैल साथ लेते जाओ और मूसा से कहना के अगर तुम चलना चाहते हो तो उस बैल की पुश्त पर हाथ फेरो जितने बाल तुम्हारे हाथ के नीचे आ जाएँगे उतने ही साल और जिन्दा रह लेना।

चुनाँचे मलक-उल-मौत बैल लेकर फिर हाज़िर हुआ और अर्ज़ करने लगा- हुज़ूर उसकी पुश्त पर हाथ फेरिये, जितने बाल आपके हाथ के नीचे आजाएंगे इतने साल आप और ज़िन्दा रह लें। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया और उसके बाद फिर तुम आ जाओगे? अर्ज़ किया- हाँ! तो फ़रमाया- फिर अभी ले चलो।

#(मिश्कात शरीफ़, सफ़ा-499)


🌹सबक़ ~
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अल्लाह के नबियों की ये शान है की चाहें तो मलक-उल-मौत को भी तमाचा मार दें और उसकी आँख निकाल दें और नबी वो होता है जो मरना चाहे तो मलक-उल-मौत क़रीब आता है और अगर ना मरना चाहे तो मलक-उल-मौत वापस चला जाता है। हालाँकी अवाम की मौत उस शैर के मिसदाक़ होती है की-

लाई हयात आए क़ज़ा ले चली चले,
अपनी खुशी ना आए ना अपनी खुशी चले।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 85-86, हिकायत नंबर- 71
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मूसा अलैहिस्सलाम का मुक्का*

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम जब तीस बरस के हो गए तो एक दिन फ़िरऔन के महल से निकल कर शहर में दाख़िल हुए तो आपने दो आदमी आपस में लड़ते-झगड़ते देखा। एक तो फ़िरऔन का बावर्ची था और दूसरा हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम यानी बनी इस्राईल में से था।

फ़िरऔन का बावर्ची लकड़ियों का गठ्ठा उस दूसरे आदमी पर लाद कर उसे हुक्म दे रहा था कि वो फ़िरऔन के बावर्ची खाने तक वो लकड़ियाँ ले चले हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ये बात देखी तो फ़िरऔन के बावर्ची से फ़रमाया- उस गरीब आदमी पर ज़ुल्म ना कर लेकिन वो बाज़ ना आया और बद ज़बानी पर उतर आया। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसे एक मुक्का मारा तो उस एक ही मुक्के से उस फ़िरऔनी का दम निकल गया और वो वहीं ढ़ेर हो गया।

#(क़ुरआन करीम, पारा-20, रूकू-5; रूह-उल-बयान, सफ़ा-25, जिल्द-2)


🌹सबक़ ~
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अम्बियाक्राम अलैहिमुस्सलाम मज़लूमों के हामी बनकर तशरीफ़ लाए हैं और ये भी मालूम हुआ के नबी सीरत व सूरत और ज़ोर व ताक़त में भी सबसे बुलंद व बाला होता है और नबी का मुक्का एक इम्तियाज़ी मुक्का था की एक ही मुक्के से ज़ालिम का काम तमाम हो गया।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 85, हिकायत नंबर- 70
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फ़िरऔन की बेटी

〽️फ़िरऔन की एक बेटी थी। फलबहरी का मर्ज़ था। फ़िरऔन ने उसका बड़े-बड़े अत्तिबआ से इलाज कराया मगर वो अच्छी ना हुई। आखिर फ़िरऔन ने काहिनों से उसके मुतअल्लिक़ पूछा तो उन्होंने बताया की उसको शिफ़ा दरिया से मिलेगी।

चुनाँचे एक दिन फ़िरऔन और उसकी बीबी आसिया और फ़िरऔन की बेटी, दरिया के किनारे बैठे थे की हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का संदूक बहता हुआ आया। जब ये संदूक फ़िरऔन के सामने लाया गया और खोला तो मूसा अलैहिस्सलाम नज़र आए जो अपने अंगूठे को चूस रहे थे। फ़िरऔन की बीबी आसिया को, मूसा अलैहिस्सलाम बड़े प्यारे लगे और उसने उन्हें उठा लिया और फ़िरऔन की बेटी ने मूसा अलैहिस्सलाम को देखा तो उसे भी ये नूरानी बच्चा बड़ा प्यारा लगा और उसने आपके दहन मुबारक की थूक मुबारक लेकर अपने बदन पर मल ली। इस थूक

फ़िरऔन का ख़्वाब

〽️फ़िरऔन ने एक बार ख़्वाब में देखा की उसका तख़्त औंधा होकर गिर गया है। फ़िरऔन ने काहिनों से उसकी तअबीर पूछी तो उन्होंने बताया की एक ऐसा बच्चा पैदा होगा जो तेरी हकूमत के ज़वाल का बाइस होगा।

फ़िरऔन को उस बात की फ़िक्र हुई और उसने बच्चों को मरवाना शुरू कर दिया जो बच्चा किसी के यहाँ पैदा होता वो उसे मरवा देता था।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम जब पैदा हुए तो अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम की माँ के दिल में ये बात डाली की उसे दूध पिलाओ और जब कोई ख़तरा देखो तो उसे दरिया में डाल दो।

चुनाँचे चन्द रोज़ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की माँ ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को दूध पिलाया। इस अर्से में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ना रोते थे ना उनकी गोद में हरकत करते थे और ना आपकी बहन के सिवा किसी को आपकी विलादत का इल्म था। फिर जब तीन माह का अर्सा गुज़र गया तो मूसा अलैहिस्सलाम की माँ को कुछ ख़तरा महसूस हुआ तो खुदा ने दिल में ये बात डाल दी की अब तु मूसा को एक संदूक में बन्द करके दरिया में डाल दे और कोई फ़िक्र ना कर, हम उसे फिर तुम्हारी गोद में ले आएँगे।

चुनाँचे उम्मे मूसा अलैहिस्सलाम ने एक संदूक तैयार किया और उसमें रूई बिछाई और मूसा अलैहिस्सलाम को

बेटे की क़ुर्बानी

〽️हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने एक रात ख़्वाब में देखा कि कोई शख़्स ग़ैब से आवाज़ देता है और कहता है ऐ इब्राहीम! तुम्हें ख़ुदा का हुक्म है कि अपने बेटे को ख़ुदा की राह में ज़िबह कर दो। चूंकी नबियों का ख़्वाब सच्चा और अज़ क़बील वही होता है। इसलिए आप अपने मेहबूब बेटे हज़रत इसमाईल अलैहिस्सलाम को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करने को तैयार हो गए।

चूंकी हज़रत इसमाईल अभी कम उम्र थे, इसलिए आपने उनसे सिर्फ इतना कहा कि बेटा रस्सी और एक छुरी लेकर मेरे साथ चलो। चुनाँचे अपने बेटे को लेकर आप एक जंगल में पहुँचे। हज़रत इसमाईल ने पूछा- अब्बा जान! आप ये छुरी और रस्सी लेकर क्यों चलते हैं? फ़रमाया आगे चलकर एक क़ुर्बानी ज़िबह करेंगे। फिर आगे चल कर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने साफ़-साफ़ बयान फ़रमा दिया और कहा! बेटा मैं तो अल्लाह की राह में तुझे ही ज़िबह करने यहाँ आया हूँ। मैंने ख़्वाब में देखा है की तुझे ज़िबह कर रहा हूँ। बेटा ये अल्लाह की मर्ज़ी है, बता तेरी मर्ज़ी क्या है?

हज़रत इसमाईल ने जवाब दिया- अब्बा जान! जब अल्लाह की यही मर्ज़ी है तो फिर मेरी मर्ज़ी का क्या सवाल? आपको जिस बात का हुक्म हुआ है, आप वो कीजिए। इंशाअल्लाह मैं सब्र करके दिखा दूंगा। बेटे का ये जुराअत आमेज़ जवाब सुनकर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम बड़े खुश हुए और अपने बेटे को अल्लाह की राह में ज़िबह

हुज़ूरﷺ पर वही के रुकने का हाल

इब्ने शहाब ने कहा की अबू सलमा बिन अब्दुर रहमान ने मुझे खबर दी की हज़रत जाबीर बिन अब्दुल्लाह अंसारी रदिअल्लाहु अन्हु वही के रुकने का हाल बयान कर रहे थे उन्होंने कहा, जिस वक़्त मैं (नबी) जा रहा था तो मैंने आसमान से एक आवाज़ सुनी, मैंने नज़र उठायी तो मैंने देखा की वोही फ़रिश्ता था, जो मेरे पास गार-ए-हिरा में आया था वो आसमान और ज़मीन के दरमियान कुरसी पर बैठा था, मैं उससे मार'ऊब हो कर लौट आया।

मैने कहा मुझे चादर ओढ़ा दो, फिर अल्लाह त'आला ने यह आयत नाज़िल फ़रमायी, ऐ कम्बल पोश पैगम्बर उठो और लोगों को डराओ, अपने रब की अज़मत बयान करो, अपने लिबास को साफ़ सुथरा रखो और बुतों से अलग रहो।

फ़िर बा कसरत वही का नुज़ूल हुवा और लगातार वही आने लगी।

अबदुल्लाह बिन युसूफ और अबू सौलेह ने (लैस से रिवायात में) यह्-या बिन बाकीर की मुतबे'अत की और हेलाल बिन रवाद ने (इब्ने शहाब) ज़ोहरी से रिवायात में अक़ील की मुतबे'अत की है, यूनूस और म'ओमार ने फावदा की जगह बावद्रा बयाँ किया (यानि नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम का दिल कपकपा रहा था, की बजाये कहा है की, नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम के कांधो के दरमियान गोश्त कपकपा रहा था)

📕»» बुख़ारी शरीफ, किताबुल वही, हदीस नंबर- 4 #सहीह हदीस
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Huzoorﷺ Par Wahi Ke Rukne Ka Haal

Ibne Shahaab Ne Kaha Ki Abu Salma Bin Abdur Rehman Ne Mujhe Khabar Di Kee Hazrat Jabir Bin Abdullah Ansari Radiallahu Anhu Wahi Ke Rukne Ka Haal Bayan Kar Rahe The Unhone Kaha, Jis Waqt Main (Nabi) Jaa Raha Tha To Maine Aasman Se Ek Aawaz Suni, Maine Nazar Uthaayi To Maine Dekha Ki Wohi Farishta Tha, Jo Mere Paas Gaar-e-Hira Me Aaya Tha Wo Aasman Aur Zameen Ke Darmiyaan Kursi Par Baitha Tha, Main Usase Mar'oob Ho Kar Laut Aaya.

Maine Kaha Mujhe Chadar Udha Do, Phir Allah Ta'ala Ne Yah Ayat Naazil Farmayi, Aye Kambal Posh Paigambar Utho Aur Logo'n Ko Darao, Apne Rab Ki Azmat Bayaan Karo, Apne Libaas Ko Saaf Suthra Rakho Aur Buto'n Se Alag Raho.

Phir Ba Kasrat Wahi Ka Nuzool Huwa Aur Lagataar Wahi Aane Lagi.

Abdullah Bin Yusuf Aur Abu Sauleh Ne (Lais Se Riwayat Me) Yahya Bin Bakeer Ki Mutabe'at Ki Aur Helaal Bin Rawad Ne (Ibne Shahaab) Zohri Se Riwayat Me Aqeel Ki Mutabe'at Ki Hai, Yunus Aur M'omar Ne Fawada Ki Jagah Bawadra Bayaan Kiya (Ya'ani Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Ka Dil Kapkapa Raha Tha, Ki Bajaye Kaha Hai Kee, Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Ke Kaandho Ke Darmiyaan Gosht Kapkapa Raha Tha)

📕»» Bukhari Shareef, Kitabul Wahi, Hadees No.4 #Sahih Hadees
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🖌Post Credit - Shakir Ali Barelwi Razvi Wa Ahliya Mohatarma

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हुज़ूरﷺ पर पहला वही आने का बयान

हज़रत उम्मुल मोमिनीन हज़रात आयेशा रदिअल्लाहु अन्हा से रिवायात है की उन्होंने फ़रमाया के सबसे पहली वही जो रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम पर उतरनी शुरू हुवी, वह अच्छे ख़्वाब थे जो बा-हालते नींद नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम देखते थे।

चुनांचे जब भी नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ख़्वाब देखते तो वह सुबह की रौशनी की तरह ज़ाहिर हो जाता। फिर तन्हाई से नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम को मोहब्बत होने लगी और गार-ए-हिरा में तनहा रहने लगे और क़ब्ल इसके के घर वालों के पास आने का शौक़ हो, वहां तहनास किया करते, तहनास से मुराद कई रातें इबादत करना है और उसके लिये तोशा साथ ले जाते (यानी खाने-पीने का सामान ले जाते) फिर हज़रत ख़दीजा रदिअल्लाहु अन्हा के पास वापस आते और इसी तरह तोशा ले जाते यहां तक की जब नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम गार-ए-हिरा में थे वही का नुज़ूल हुआ।

चुनांचे नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम के पास फ़रिश्ता आया और कहा पढ़िये, नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया की मैंने कहा मैं पढ़ने वाला नहीं हूँ, नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम बयान करते हैं की मुझे फ़रिश्ते ने पकड़ कर ज़ोर से दबाया यहां तक की मुझे तकलीफ महसूस हुयी, फिर मुझे छोड़ दिया और कहा पढ़िये ! मैंने कहा मैं पढ़ने वाला नहीं हूँ, फिर दूसरी बार मुझे पकड़ा और ज़ोर

Huzoorﷺ Par Pahla Wahi Aane Ka Bayaan

Hazrat Ummul Momineen Hazrat Ayesha Radiallahu Anha Se Riwayat Hai Kee Unhone Farmaya Ke Sabse Pahli Wahi Jo Rasoolallah Sallallahu Alaihiwasallam Par Utarni Shuru Huwi Woh Achche Khwaab The Jo Ba-haalate Neend Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Dekhte The.

Chunanche Jab Bhi Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Khwaab Dekhte To Woh Subah Ki Roshni Ki Tarah Zaahir Ho Jaata Phir Tanhayi Se Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Ko Mohabbat Hone Lagi Aur Gaar e Hira Me Tanha Rahne Lage Aur Qabl Iske Ke Ghar Walo'n Ke Paas Aane Ka Shauq Ho, Wahaa'n Tahannas Kiya Karte, Tahannas Se Muraad Kayi Raate'n Ibadat Karna Hai Aur Uske Liye Tosha Sath Le Jaate (Ya'ani Khane Peene Ka Saamaan Le Jaate). Phir Hazrat Khadija Radiallahu Anha Ke Paas Wapas Aate Aur Isi Tarah Tosha Le Jaate Yahaa'n Tak Kee Jab Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Gaar e Hira Me The Wahi Ka Nuzool Huwa.

Chunanche Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Ke Paas Farishta Aaya Aur Kaha Padhiye, Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Ne Farmaya Kee Maine Kaha Main Padhne Wala Nahi Hoo'n, Nabi e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Bayaan Karte Hain Kee Mujhe Farishte Ne Pakad Kar Zor

हुज़ूरﷺ पर वही किस तरह नाज़िल होती थी ?

सैय्यदा आयेशा रदिअल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हारिस बिन हेशाम ने पुछा या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम आप पर वही किस तरह नाज़िल होती है?

रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया कभी तो घंटे की आवाज़ की मानिंद और वह मेरी तबियत पर बहुत गिरां होती है फिर जब वह पैग़ाम याद कर लेता हूँ तो यह कैफ़ियत ख़त्म हो जाती है और कभी फ़रिश्ता इंसान की सूरत में मेरे पास आता है और मुझसे हम-कलाम होता है और और जो वह कहता है उसे याद कर लेता हूँ।

सैय्यदा आयेशा रदिअल्लाहु अन्हा का कहना है कि मैंने कड़ाके की सर्दी में आप सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम पर वही नाज़िल होती देखी, जब वही मौक़ूफ़ हो जाती तो आप सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम की पेशानी से पसीना बह निकलता।

📕»» बुख़ारी शरीफ, किताबुल वही, हदीस नंबर- 2 #सहीह हदीस
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

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आमाल का दारो-मदार निय्यत पर

हज़रात उमर बिन खत्ताब रदिअल्लहु अन्हु से रिवायत है रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया आमाल का दारो-मदार निय्यत पर है। हर शख़्स को वोही मिलेगा जिसकी उसने निय्यत की। चुनांचे जिसने हिज़रत दुनिया कमाने या औरत से निकाह करने के लिए की तो उसकी हिजरत उसके लिये है जिस मक़सद के लिए हिजरत की।

📕»» बुख़ारी शरीफ, किताबुल वही, हदीस नंबर- 1 #सहीह हदीस
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Huzoorﷺ Par Wahi Kis Tarah Naazil Hoti Thi ?

Sayyedah Ayesha Radiallahu Anha Farmati Hain Ke Haaris Bin Heshaam Ne Poocha Ya Rasoolallah Sallallahu Alaihiwasallam Aap Par Wahi Kis Tarah Naazil Hoti Hai?

Rasool e Kareem Sallallahu Alaihiwasallam Ne Farmaya Kabhi To Ghante Ki Aawaz Ki Maanind Aur Woh Meri Tabiyat Par Bahut Giraan Hoti Hai Phir Jab Woh Paigaam Yaad Karleta Hoo'n To Yeh Kaifiyat Khatm Ho Jaati Hai Aur Kabhi Farishta Insaan Ki Soorat Me Mere Paas Aata Hai Aur Mujhse Hum-Kalaam Hota Hai Aur Aur Jo Woh Kehta Hai Use Yaad Karleta Hoo'n.

Sayyeda Ayesha Radiallahu Anha Ka Kehna Hai Ke Maine Kadaake Ki Sardi Me Aap Sallallahu Alaihiwasallam Par Wahi Naazil Hoti Dekhi, Jab Wahi Mauquf Ho Jaati To Aap Sallallahu Alaihiwasallam Ki Peshani Se Paseena Beh Nikalta.

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A'amaal Ka Daaro Madaar Niyyat Par

Hazrat Umar Bin Khattab Radiallahu Anhu Se Riwayat Hai RasoolAllah Sallallahu Alaihiwasallam Ne Farmaya A'amaal Ka Daaro Madaar Niyyat Par Hai Har Shakhs Ko Wohi Milega Jiski Usne Niyyat Ki Chunanche Jisne Hijrat Duniya Kamane Ya Aurat Se Nikah Karne Keliye Ki To Uski Hijrat Uskeliye Hai Jis Maqsad Keliye Hijrat Ki.

📕»» Bukhari Shareef, Kitabul Wahi, Hadees No.1 #Sahih Hadees
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