〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम जब तीस बरस के हो गए तो एक दिन फ़िरऔन के महल से निकल कर शहर में दाख़िल हुए तो आपने दो आदमी आपस में लड़ते-झगड़ते देखा। एक तो फ़िरऔन का बावर्ची था और दूसरा हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम यानी बनी इस्राईल में से था।

फ़िरऔन का बावर्ची लकड़ियों का गठ्ठा उस दूसरे आदमी पर लाद कर उसे हुक्म दे रहा था कि वो फ़िरऔन के बावर्ची खाने तक वो लकड़ियाँ ले चले हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ये बात देखी तो फ़िरऔन के बावर्ची से फ़रमाया- उस गरीब आदमी पर ज़ुल्म ना कर लेकिन वो बाज़ ना आया और बद ज़बानी पर उतर आया। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसे एक मुक्का मारा तो उस एक ही मुक्के से उस फ़िरऔनी का दम निकल गया और वो वहीं ढ़ेर हो गया।

#(क़ुरआन करीम, पारा-20, रूकू-5; रूह-उल-बयान, सफ़ा-25, जिल्द-2)


🌹सबक़ ~
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अम्बियाक्राम अलैहिमुस्सलाम मज़लूमों के हामी बनकर तशरीफ़ लाए हैं और ये भी मालूम हुआ के नबी सीरत व सूरत और ज़ोर व ताक़त में भी सबसे बुलंद व बाला होता है और नबी का मुक्का एक इम्तियाज़ी मुक्का था की एक ही मुक्के से ज़ालिम का काम तमाम हो गया।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 85, हिकायत नंबर- 70
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

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