〽️हज़रत
मूसा अलैहिस्सलाम ने बड़े होकर जब हक़ का बयान और फ़िरऔन और फ़िरऔनियों की
गुमराही का बयान शुरू किया तो बनी इस्राईल के लोग आपकी बात सुनते और आपका
इत्तिबा करते। आप फ़िरऔनियों के दीन की मुख़ालफ़त फ़रमाते रफ़्ता-रफ़्ता इस
बात का चर्चा हुआ और फ़िरऔनी जुस्तजू में हुए। फिर फ़िरऔन के बावर्ची का
मूसा अलैहिस्सलाम के मुक्के से मारा जाना भी जब उन लोगों को मालूम हुआ तो
फ़िरऔन ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के क़त्ल का हुक्म दिया और लोग हज़रत मूसा
अलैहिस्सलाम की तलाश में निकले।
फ़िरऔनियों में से एक मर्दे नेक मूसा अलैहिस्सलाम का खैरख़्वाह भी था, वो दौड़ा हुआ आया और मूसा अलैहिस्सलाम को ख़बर दी और कहा- आप यहाँ से कहीं और तशरीफ़ ले जाईये।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उसी हालत में निकल पड़े और मदयन की तरफ़ रूख किया। मदयन वो मुकाम है जहाँ हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम तशरीफ़ रखते थे, ये शहर फ़िरऔन के हदूद सलतनत से बाहर था। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसका रास्ता भी ना देखा था, ना कोई सवारी साथ थी ना कोई हमराही।
चुनाँचे अल्लाह ने एक फ़रिश्ता भेजा जो आपको मदयन तक ले गया। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम उसी शहर में रहते थे। आपकी लड़कियाँ थीं और बकरियाँ आपका जरिया मआश था।
मदयन में एक कुँआ था, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पहले उसी कुएँ पर पहुँचे और आपने देखा की बहुत से लोग उस कुएँ से पानी खींचते हैं और अपने जानवरों को पिला लेते हैं और हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम की दोनों लड़कियाँ भी अपनी बकरियों को अलग रोक कर वहीं खड़ी हैं।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उन लड़कियों से पूछा के तुम अपनी बकरियों को पानी क्यों नहीं पिलातीं? उन्होंने कहा- के हम से डोल खींचा नहीं जाता, ये लोग चले जाएंगे तो जो पानी होज़ में बचा रहेगा वो हम अपनी बकरियों को पिला लेंगी।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को रहम आ गया और पास ही जो एक दूसरा कुआँ था, जिस पर एक बहुत बड़ा पत्थर ढका हुआ था और जिसको बहुत आदमी मिलकर हटा सकते थे, आपने तनहा उसको हटा दिया और उसमें से डोल खींच कर उनकी बकरियों को पानी पिला दिया।
घर जाकर उन दोनों लड़कियों ने हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम से कहा- अब्बा जान! एक बड़ा नेक और क़वी नोवारिद मुसाफ़िर आया है, जिसने आज हम पर रहम खा के हमारी बकरियों को सैराब कर दिया है। हज़रत शऐब अलैहिस्सलाम ने एक साहबज़ादी से फ़रमाया की जाओ और उस मर्द सालेह को मेरे पास बुला लाओ।
चुनाँचे बड़ी साहबज़ादी चेहरे को आसतीन से ढके हुए और जिस्म को छुपाए हुए बड़ी शर्म व हया से चलती हुई हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास आई और कहा के मेरे बाप आपको बुलाते हैं ताकी आपको उजरत दें। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उजरत लेने पर तो राजी ना हुए, हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम की ज़ियारत और उनकी मुलाक़ात के लिए चल पड़े और उनकी साहबज़ादी से फ़रमाया की आप मेरे पीछे रहकर रस्ता बताती जाईये, ये आपने पर्दे के एहतिमाम से फ़रमाया और इसी तरह तशरीफ़ लाए।
जब हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम के पास पहुँचे तो हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम से आपने फ़िरऔन का हाल और अपनी विलादत से लेकर फ़िरऔन के बावर्ची के मारे जाने तक का सब किस्सा सुनाया। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- अब कोई फ़िक्र ना करो तुम ज़ालिमों से बच कर चले आए, अब यहीं मेरे पास रहो।
#(क़ुरआन करीम, पारा-20, रूकू-6; ख़ज़ायन-उल-इर्फान, सफ़ा-548)
🌹सबक़ ~
=========
ज़ालिम और मग़रूर हाकिम अल्लाह वालों के दरपये अज़ाद हो जाते हैं और अल्लाह वाले मसायब व अलाम की बर्दाश्त फ़रमा लेते हैं मगर इशाअते हक़ से नहीं रूकते और अल्लाह तआला अपने उन हक़ गौ बन्दों की हिफ़ाज़त फ़रमाता है।
फ़िरऔनियों में से एक मर्दे नेक मूसा अलैहिस्सलाम का खैरख़्वाह भी था, वो दौड़ा हुआ आया और मूसा अलैहिस्सलाम को ख़बर दी और कहा- आप यहाँ से कहीं और तशरीफ़ ले जाईये।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उसी हालत में निकल पड़े और मदयन की तरफ़ रूख किया। मदयन वो मुकाम है जहाँ हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम तशरीफ़ रखते थे, ये शहर फ़िरऔन के हदूद सलतनत से बाहर था। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसका रास्ता भी ना देखा था, ना कोई सवारी साथ थी ना कोई हमराही।
चुनाँचे अल्लाह ने एक फ़रिश्ता भेजा जो आपको मदयन तक ले गया। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम उसी शहर में रहते थे। आपकी लड़कियाँ थीं और बकरियाँ आपका जरिया मआश था।
मदयन में एक कुँआ था, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पहले उसी कुएँ पर पहुँचे और आपने देखा की बहुत से लोग उस कुएँ से पानी खींचते हैं और अपने जानवरों को पिला लेते हैं और हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम की दोनों लड़कियाँ भी अपनी बकरियों को अलग रोक कर वहीं खड़ी हैं।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उन लड़कियों से पूछा के तुम अपनी बकरियों को पानी क्यों नहीं पिलातीं? उन्होंने कहा- के हम से डोल खींचा नहीं जाता, ये लोग चले जाएंगे तो जो पानी होज़ में बचा रहेगा वो हम अपनी बकरियों को पिला लेंगी।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को रहम आ गया और पास ही जो एक दूसरा कुआँ था, जिस पर एक बहुत बड़ा पत्थर ढका हुआ था और जिसको बहुत आदमी मिलकर हटा सकते थे, आपने तनहा उसको हटा दिया और उसमें से डोल खींच कर उनकी बकरियों को पानी पिला दिया।
घर जाकर उन दोनों लड़कियों ने हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम से कहा- अब्बा जान! एक बड़ा नेक और क़वी नोवारिद मुसाफ़िर आया है, जिसने आज हम पर रहम खा के हमारी बकरियों को सैराब कर दिया है। हज़रत शऐब अलैहिस्सलाम ने एक साहबज़ादी से फ़रमाया की जाओ और उस मर्द सालेह को मेरे पास बुला लाओ।
चुनाँचे बड़ी साहबज़ादी चेहरे को आसतीन से ढके हुए और जिस्म को छुपाए हुए बड़ी शर्म व हया से चलती हुई हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास आई और कहा के मेरे बाप आपको बुलाते हैं ताकी आपको उजरत दें। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उजरत लेने पर तो राजी ना हुए, हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम की ज़ियारत और उनकी मुलाक़ात के लिए चल पड़े और उनकी साहबज़ादी से फ़रमाया की आप मेरे पीछे रहकर रस्ता बताती जाईये, ये आपने पर्दे के एहतिमाम से फ़रमाया और इसी तरह तशरीफ़ लाए।
जब हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम के पास पहुँचे तो हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम से आपने फ़िरऔन का हाल और अपनी विलादत से लेकर फ़िरऔन के बावर्ची के मारे जाने तक का सब किस्सा सुनाया। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- अब कोई फ़िक्र ना करो तुम ज़ालिमों से बच कर चले आए, अब यहीं मेरे पास रहो।
#(क़ुरआन करीम, पारा-20, रूकू-6; ख़ज़ायन-उल-इर्फान, सफ़ा-548)
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ज़ालिम और मग़रूर हाकिम अल्लाह वालों के दरपये अज़ाद हो जाते हैं और अल्लाह वाले मसायब व अलाम की बर्दाश्त फ़रमा लेते हैं मगर इशाअते हक़ से नहीं रूकते और अल्लाह तआला अपने उन हक़ गौ बन्दों की हिफ़ाज़त फ़रमाता है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 86-87, हिकायत नंबर- 72
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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