〽️हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने एक रात ख़्वाब में देखा कि कोई शख़्स ग़ैब से आवाज़ देता है और कहता है ऐ इब्राहीम! तुम्हें ख़ुदा का हुक्म है कि अपने बेटे को ख़ुदा की राह में ज़िबह कर दो। चूंकी नबियों का ख़्वाब सच्चा और अज़ क़बील वही होता है। इसलिए आप अपने मेहबूब बेटे हज़रत इसमाईल अलैहिस्सलाम को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करने को तैयार हो गए।

चूंकी हज़रत इसमाईल अभी कम उम्र थे, इसलिए आपने उनसे सिर्फ इतना कहा कि बेटा रस्सी और एक छुरी लेकर मेरे साथ चलो। चुनाँचे अपने बेटे को लेकर आप एक जंगल में पहुँचे। हज़रत इसमाईल ने पूछा- अब्बा जान! आप ये छुरी और रस्सी लेकर क्यों चलते हैं? फ़रमाया आगे चलकर एक क़ुर्बानी ज़िबह करेंगे। फिर आगे चल कर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने साफ़-साफ़ बयान फ़रमा दिया और कहा! बेटा मैं तो अल्लाह की राह में तुझे ही ज़िबह करने यहाँ आया हूँ। मैंने ख़्वाब में देखा है की तुझे ज़िबह कर रहा हूँ। बेटा ये अल्लाह की मर्ज़ी है, बता तेरी मर्ज़ी क्या है?

हज़रत इसमाईल ने जवाब दिया- अब्बा जान! जब अल्लाह की यही मर्ज़ी है तो फिर मेरी मर्ज़ी का क्या सवाल? आपको जिस बात का हुक्म हुआ है, आप वो कीजिए। इंशाअल्लाह मैं सब्र करके दिखा दूंगा। बेटे का ये जुराअत आमेज़ जवाब सुनकर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम बड़े खुश हुए और अपने बेटे को अल्लाह की राह में ज़िबह करने पर तैयार हो गए और जब बाप ने अपने बेटे को माथे के बल लिटाया और गर्दन पर छुरी रखी और उसे चलाया तो छुरी ने गर्दन इसमाईल को बिलकुल ना काटा। आपने और ज़ोर से छुरी चलाई तो आवाज़ आई बस ऐ इब्राहीम! तुम हुक्मे इलाही की तअमील कर चुके और इस सख़्त इम्तिहान में पूरे उतरे। आपने मुड़ कर देखा तो एक दुंबा पास ही खड़ा था और आप से कह रहा था। हज़रत इसमाईल की जगह मुझे ज़िबह कीजिए और उन्हें हटा दीजिए।

चुनाँचे हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने उस दुंबे को ज़िबह फ़रमा दिया और हज़रत इसमाईल उठ बैठे और इस इम्तिहान में दोनों बाप बेटे अलैहिमा अस्सलाम कामयाब हो गए।

#(क़ुरआन करीम, पारा-23, कतुब तफ़ासीर)


🌹सबक़ ~
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अल्लाह वाले अल्लाह की राह में सब कुछ क़ुर्बान करने
पर तैयार हो जाते हैं। हत्ता की औलाद भी। फिर आज जो लोग अल्लाह की राह में एक बकरा भी देने में हज़ार हीलो हुज्जत करते हैं, उनका खुदा से क्या तअल्लुक़?

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 81-82, हिकायत नंबर- 67
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

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