〽️फ़िरऔन
ने एक बार ख़्वाब में देखा की उसका तख़्त औंधा होकर गिर गया है। फ़िरऔन ने
काहिनों से उसकी तअबीर पूछी तो उन्होंने बताया की एक ऐसा बच्चा पैदा होगा
जो तेरी हकूमत के ज़वाल का बाइस होगा।
फ़िरऔन को उस बात की फ़िक्र हुई और उसने बच्चों को मरवाना शुरू कर दिया जो बच्चा किसी के यहाँ पैदा होता वो उसे मरवा देता था।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम जब पैदा हुए तो अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम की माँ के दिल में ये बात डाली की उसे दूध पिलाओ और जब कोई ख़तरा देखो तो उसे दरिया में डाल दो।
चुनाँचे चन्द रोज़ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की माँ ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को दूध पिलाया। इस अर्से में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ना रोते थे ना उनकी गोद में हरकत करते थे और ना आपकी बहन के सिवा किसी को आपकी विलादत का इल्म था। फिर जब तीन माह का अर्सा गुज़र गया तो मूसा अलैहिस्सलाम की माँ को कुछ ख़तरा महसूस हुआ तो खुदा ने दिल में ये बात डाल दी की अब तु मूसा को एक संदूक में बन्द करके दरिया में डाल दे और कोई फ़िक्र ना कर, हम उसे फिर तुम्हारी गोद में ले आएँगे।
चुनाँचे उम्मे मूसा अलैहिस्सलाम ने एक संदूक तैयार किया और उसमें रूई बिछाई और मूसा अलैहिस्सलाम को उसमें रख कर संदूक बन्द कर दिया और ये संदूक दरियाऐ नील में डाल दिया। उस दरिया से एक बड़ी नहर निकल कर फ़िरऔन के महल में गुज़रती थी। फ़िरऔन मअ अपनी बीबी आसिया के नहर के किनारे बैठा था। जब एक संदूक नहर में आते देखा तो उसने कनीज़ों और गुलामों को संदूक निकालने का हुक्म दिया वो संदूक निकाल कर सामने लाया गया, खोला तो उसमें एक नूरानी शक्ल फरजन्द जिसकी पैशानी से वजाहत व इक्बाल के आसार नमूदार थे, नजर आया, देखते ही फ़िरऔन के दिल में ऐसी मोहब्बत पैदा हुई कि वो वारिफ़्ता हो गया, लेकिन कौम के लोगों ने उसे वरग़लाया और कहा के मुमकिन है यही वो बच्चा हो जिसने आपकी हकूमत को बर्बाद करना है।
चुनाँचे फ़िरऔन आपके क़त्ल पर आमादा हुआ तो फ़िरऔन की बीबी आसिया जो बड़ी नेक ख़ातून थी, कहने लगी की ये बच्चा मेरी और तेरी आँख की ठंडक है। इसे क़त्ल ना कर, क्या मालूम ये किस सरज़मीन से बहता हुआ आया है और तुझे जिस बच्चे से अन्देशा है वो तो इसी मुल्क़ के बनी इस्राईल से बताया गया है। आसिया की ये बात फ़िरऔन ने मान ली और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फिऱऔन के महल में ही रहने लगे और फ़िरऔन ने आपको दूध पिलाने के लिए दाईयाँ बुलाई, मगर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम किसी दाई का दूध न पीते थे।
अब फ़िरऔन को फ़िक्र हुई कि इस बच्चे के लिए कोई ऐसी दाई मिले जिसका ये दूध पीने लगे। इधर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की माँ अपने बच्चे की जुदाई में बेक़रार थी और मूसा अलैहिस्सलाम की बहन जिसका नाम मरयम था वो आपके तजस्सुस करने और मालूम करने की संदूक कहाँ पहुँचा और आप किस के हाथ आए आपकी तलाश मे थी हत्ता के पता चलाते-चलाते वो फ़िरऔन के महल में पहुँच गई और जब मालूम हुआ की मेरा भाई इसी महल में है और किसी दाई का दूध नहीं पी रहा तो फ़िरऔन से कहने लगी- क्या मैं एक ऐसी दाई की ख़बर दूं? जिसका दूध ये बच्चा ज़रूर पियेगा। फ़िरऔन ने कहा- हाँ ज़रूर ऐसी दाई को लाओ।
चुनाँचे वो उसकी ख़्वाहिश पर अपनी वालिदा को बुला लाईं और जब वो आई तो मूसा अलैहिस्सलाम फ़िरऔन की गोद में थे और दूध के लिए रो रहे थे। फ़िरऔन आपको बहला रहा था। जब आपकी वालिदा आईं और आपने उनकी ख़ुश्बू पाई तो आप चुप हो गए और अपनी वालिदा का दूध पीने लगे फ़िरऔन ने पूछा तू इस बच्चे की कौन है? जो उसने किसी दाई का दूध नहीं पिया और तेरा झट पी लिया है। उन्होंने कहा मैं एक पाक साफ़ औरत हूँ मेरा दूध खुशग़वार है, जिस्म खुश्बूदार है। इसलिए जिन बच्चों के मिज़ाज में नफ़ासत होती है वो और औरतों का दूध नहीं पीते हैं, मेरा दूध पी लेते हैं। फ़िरऔन ने बच्चा उन्हें दिया और दूध पिलाने पर उन्हें मुक़र्रर करके फ़रज़न्द को अपने घर ले जाने की इजाजत दे दी।
चुनाँचे आप मूसा अलैहिस्सलाम को घर ले आईं और अल्लाह तआला का ये वादा पूरा हो गया की हम उसे फिर तुम्हारी गोल में लाएंगे। इस तरह मूसा अलैहिस्सलाम की परवरिश खुद फ़िरऔन ही के ज़रिये होने लगी। आप दूध पीने के ज़माने तक अपनी वालिदा के पास रहे। उस ज़माने में फ़िरऔन उन्हें एक अशर्फ़ी रोज़ाना देता रहा। दूध छोड़ने के बाद आप मूसा अलैहिस्सलाम को फ़िरऔन पास ले आईं और आप वहाँ परवरिश पाते रहे।
#(क़ुरआन करीम, पारा-16 रूकू-11, पारा-20 रूकू-4; खज़ायन-उल-इरफ़ान, सफ़ा-444, सफ़ा-544)
🌹 सबक़ ~
=========
अल्लाह तआला बड़ी क़ुदरत और बेनियाज़ी का मालिक है की मूसा अलैहिस्सलाम को खुद फ़िरऔन ही के महल में रख कर उनकी परवरिश फ़रमाई और मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने बचपन में किसी दाई का दूध ना पी कर और अपनी माँ को पहचान कर उन्हीं का दूध पी कर ये बता दिया के नबी बचपन में भी ऐसा इल्मो इरफ़ान रखता है जिससे अवाम महरूम होते हैं।
अम्बिया को अपनी मिस्ल बशर कहने वालों में से अगर किसी को बचपन में कुतिया के दूध पर भी डाला जाए तो वो उस कुतिया का भी दूध पीना शुरू कर देगा, मगर नबी की शान इल्म ये है कि वो बचपन में अपनी माँ के सिवा किसी दूसरी औरत का भी दूध नहीं पीता फिर अम्बिया की मिस्ल होने का दावा करना किस क़द्र जहालत की बात है?
फ़िरऔन को उस बात की फ़िक्र हुई और उसने बच्चों को मरवाना शुरू कर दिया जो बच्चा किसी के यहाँ पैदा होता वो उसे मरवा देता था।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम जब पैदा हुए तो अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम की माँ के दिल में ये बात डाली की उसे दूध पिलाओ और जब कोई ख़तरा देखो तो उसे दरिया में डाल दो।
चुनाँचे चन्द रोज़ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की माँ ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को दूध पिलाया। इस अर्से में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ना रोते थे ना उनकी गोद में हरकत करते थे और ना आपकी बहन के सिवा किसी को आपकी विलादत का इल्म था। फिर जब तीन माह का अर्सा गुज़र गया तो मूसा अलैहिस्सलाम की माँ को कुछ ख़तरा महसूस हुआ तो खुदा ने दिल में ये बात डाल दी की अब तु मूसा को एक संदूक में बन्द करके दरिया में डाल दे और कोई फ़िक्र ना कर, हम उसे फिर तुम्हारी गोद में ले आएँगे।
चुनाँचे उम्मे मूसा अलैहिस्सलाम ने एक संदूक तैयार किया और उसमें रूई बिछाई और मूसा अलैहिस्सलाम को उसमें रख कर संदूक बन्द कर दिया और ये संदूक दरियाऐ नील में डाल दिया। उस दरिया से एक बड़ी नहर निकल कर फ़िरऔन के महल में गुज़रती थी। फ़िरऔन मअ अपनी बीबी आसिया के नहर के किनारे बैठा था। जब एक संदूक नहर में आते देखा तो उसने कनीज़ों और गुलामों को संदूक निकालने का हुक्म दिया वो संदूक निकाल कर सामने लाया गया, खोला तो उसमें एक नूरानी शक्ल फरजन्द जिसकी पैशानी से वजाहत व इक्बाल के आसार नमूदार थे, नजर आया, देखते ही फ़िरऔन के दिल में ऐसी मोहब्बत पैदा हुई कि वो वारिफ़्ता हो गया, लेकिन कौम के लोगों ने उसे वरग़लाया और कहा के मुमकिन है यही वो बच्चा हो जिसने आपकी हकूमत को बर्बाद करना है।
चुनाँचे फ़िरऔन आपके क़त्ल पर आमादा हुआ तो फ़िरऔन की बीबी आसिया जो बड़ी नेक ख़ातून थी, कहने लगी की ये बच्चा मेरी और तेरी आँख की ठंडक है। इसे क़त्ल ना कर, क्या मालूम ये किस सरज़मीन से बहता हुआ आया है और तुझे जिस बच्चे से अन्देशा है वो तो इसी मुल्क़ के बनी इस्राईल से बताया गया है। आसिया की ये बात फ़िरऔन ने मान ली और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फिऱऔन के महल में ही रहने लगे और फ़िरऔन ने आपको दूध पिलाने के लिए दाईयाँ बुलाई, मगर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम किसी दाई का दूध न पीते थे।
अब फ़िरऔन को फ़िक्र हुई कि इस बच्चे के लिए कोई ऐसी दाई मिले जिसका ये दूध पीने लगे। इधर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की माँ अपने बच्चे की जुदाई में बेक़रार थी और मूसा अलैहिस्सलाम की बहन जिसका नाम मरयम था वो आपके तजस्सुस करने और मालूम करने की संदूक कहाँ पहुँचा और आप किस के हाथ आए आपकी तलाश मे थी हत्ता के पता चलाते-चलाते वो फ़िरऔन के महल में पहुँच गई और जब मालूम हुआ की मेरा भाई इसी महल में है और किसी दाई का दूध नहीं पी रहा तो फ़िरऔन से कहने लगी- क्या मैं एक ऐसी दाई की ख़बर दूं? जिसका दूध ये बच्चा ज़रूर पियेगा। फ़िरऔन ने कहा- हाँ ज़रूर ऐसी दाई को लाओ।
चुनाँचे वो उसकी ख़्वाहिश पर अपनी वालिदा को बुला लाईं और जब वो आई तो मूसा अलैहिस्सलाम फ़िरऔन की गोद में थे और दूध के लिए रो रहे थे। फ़िरऔन आपको बहला रहा था। जब आपकी वालिदा आईं और आपने उनकी ख़ुश्बू पाई तो आप चुप हो गए और अपनी वालिदा का दूध पीने लगे फ़िरऔन ने पूछा तू इस बच्चे की कौन है? जो उसने किसी दाई का दूध नहीं पिया और तेरा झट पी लिया है। उन्होंने कहा मैं एक पाक साफ़ औरत हूँ मेरा दूध खुशग़वार है, जिस्म खुश्बूदार है। इसलिए जिन बच्चों के मिज़ाज में नफ़ासत होती है वो और औरतों का दूध नहीं पीते हैं, मेरा दूध पी लेते हैं। फ़िरऔन ने बच्चा उन्हें दिया और दूध पिलाने पर उन्हें मुक़र्रर करके फ़रज़न्द को अपने घर ले जाने की इजाजत दे दी।
चुनाँचे आप मूसा अलैहिस्सलाम को घर ले आईं और अल्लाह तआला का ये वादा पूरा हो गया की हम उसे फिर तुम्हारी गोल में लाएंगे। इस तरह मूसा अलैहिस्सलाम की परवरिश खुद फ़िरऔन ही के ज़रिये होने लगी। आप दूध पीने के ज़माने तक अपनी वालिदा के पास रहे। उस ज़माने में फ़िरऔन उन्हें एक अशर्फ़ी रोज़ाना देता रहा। दूध छोड़ने के बाद आप मूसा अलैहिस्सलाम को फ़िरऔन पास ले आईं और आप वहाँ परवरिश पाते रहे।
#(क़ुरआन करीम, पारा-16 रूकू-11, पारा-20 रूकू-4; खज़ायन-उल-इरफ़ान, सफ़ा-444, सफ़ा-544)
🌹 सबक़ ~
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अल्लाह तआला बड़ी क़ुदरत और बेनियाज़ी का मालिक है की मूसा अलैहिस्सलाम को खुद फ़िरऔन ही के महल में रख कर उनकी परवरिश फ़रमाई और मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने बचपन में किसी दाई का दूध ना पी कर और अपनी माँ को पहचान कर उन्हीं का दूध पी कर ये बता दिया के नबी बचपन में भी ऐसा इल्मो इरफ़ान रखता है जिससे अवाम महरूम होते हैं।
अम्बिया को अपनी मिस्ल बशर कहने वालों में से अगर किसी को बचपन में कुतिया के दूध पर भी डाला जाए तो वो उस कुतिया का भी दूध पीना शुरू कर देगा, मगर नबी की शान इल्म ये है कि वो बचपन में अपनी माँ के सिवा किसी दूसरी औरत का भी दूध नहीं पीता फिर अम्बिया की मिस्ल होने का दावा करना किस क़द्र जहालत की बात है?
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 82-84, हिकायत नंबर- 68
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