〽️हज़रत
मूसा अलैहिस्सलाम के असा मुबारक का अज़्दहा बन जाना देख कर फ़िरऔन के खुश
नसीब जादूगर हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर ईमान ले आए, लेकिन फ़िरऔन और उसकी
सरकश क़ौम अपने कुफ़्र से बाज़ ना आई।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ये सरकशी देख कर उनके हक़ में बद दुआ फरमा दी और अर्ज़ किया कि "इलाही! फ़िरऔन बहुत सरकश हो गया है और उसकी क़ौम भी अहेद शिकन और मग़रूर हो गई। उन्हें ऐसे अज़ाब में गिरफ़्तार कर जो उन के लिए सजा हो और मेरी क़ौम और बाद वालों के लिए इब्रत।"
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की ये दुआ क़बूल हो गयी और अल्लाह ने फ़िरऔनियों पर एक तूफ़ान भेजा, अब्र आया, अंधेरा छा गया और कसरत से बारिश होने लगी। फ़िरऔनियों के घर में पानी उनकी गर्दनों तक आ गया। उनमें जो बैठा डूब गया। ना हिल सकते थे ना कुछ काम कर सकते थे। सनीचर से सनीचर तक सात रोज़ तक ऐसी मुसीबत में मुबतला रहे और क़ुद्रत खुदावंदी का करिश्मा देखिये कि बावजूद ये के बनी इस्राईल के घर उन फ़िरऔनियों के घरों से मुत्तसिल थे, मगर बनी इस्राईल के घरों में पानी ना आया।
जब ये लोग आजिज़ हुए तो हज़रत मुसा अलैहिस्सलाम से अर्ज़ किया कि हमारे लिए इस मुसीबत के टल जाने की अपने रब से दुआ फरमाईये। ये मुसीबत टल गई तो हम ईमान ले आएंगे। चुनाँचे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने दुआ फ़रमाई तो तूफ़ान की मुसीबत रफ़ऐ हो गई।
#(क़ुरआन करीम, पारा-9, रूकू-6; ख़ज़ायन-उल-इर्फ़ान, सफा-239; रूह-उल-बयान, सफा-768, जिल्द-1)
🌹सबक़ ~
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ये पानी जो हमारे लिए मौजिब हयात है। जब अज़ाब इलाही बनकर आ जाए तो हमारी जानों और मालों के लिए तबाही का मौजिब बन जाता है और पानी का इस तरह का सैलाब हमारे अपने आमाल बद का नतीजा होता है और ये भी मालूम हुआ के मक़्बूल और प्यारों की दुआ से बड़े-बड़े अज़ाब टल जाते हैं।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ये सरकशी देख कर उनके हक़ में बद दुआ फरमा दी और अर्ज़ किया कि "इलाही! फ़िरऔन बहुत सरकश हो गया है और उसकी क़ौम भी अहेद शिकन और मग़रूर हो गई। उन्हें ऐसे अज़ाब में गिरफ़्तार कर जो उन के लिए सजा हो और मेरी क़ौम और बाद वालों के लिए इब्रत।"
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की ये दुआ क़बूल हो गयी और अल्लाह ने फ़िरऔनियों पर एक तूफ़ान भेजा, अब्र आया, अंधेरा छा गया और कसरत से बारिश होने लगी। फ़िरऔनियों के घर में पानी उनकी गर्दनों तक आ गया। उनमें जो बैठा डूब गया। ना हिल सकते थे ना कुछ काम कर सकते थे। सनीचर से सनीचर तक सात रोज़ तक ऐसी मुसीबत में मुबतला रहे और क़ुद्रत खुदावंदी का करिश्मा देखिये कि बावजूद ये के बनी इस्राईल के घर उन फ़िरऔनियों के घरों से मुत्तसिल थे, मगर बनी इस्राईल के घरों में पानी ना आया।
जब ये लोग आजिज़ हुए तो हज़रत मुसा अलैहिस्सलाम से अर्ज़ किया कि हमारे लिए इस मुसीबत के टल जाने की अपने रब से दुआ फरमाईये। ये मुसीबत टल गई तो हम ईमान ले आएंगे। चुनाँचे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने दुआ फ़रमाई तो तूफ़ान की मुसीबत रफ़ऐ हो गई।
#(क़ुरआन करीम, पारा-9, रूकू-6; ख़ज़ायन-उल-इर्फ़ान, सफा-239; रूह-उल-बयान, सफा-768, जिल्द-1)
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ये पानी जो हमारे लिए मौजिब हयात है। जब अज़ाब इलाही बनकर आ जाए तो हमारी जानों और मालों के लिए तबाही का मौजिब बन जाता है और पानी का इस तरह का सैलाब हमारे अपने आमाल बद का नतीजा होता है और ये भी मालूम हुआ के मक़्बूल और प्यारों की दुआ से बड़े-बड़े अज़ाब टल जाते हैं।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 90-91, हिकायत नंबर- 77
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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