〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम के पास दस बरस तक रहे और फिर हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम ने अपनी साहबज़ादी का निकाह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के साथ कर दिया।

इतने अर्से के बाद आप हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम से इजाज़त लेकर अपनी वालिदा से मिलने के लिए मिस्र की तरफ रवाना हुए। आपकी बीवी भी साथ थी। रास्ते में जब की आप रात के वक्त एक जंगल में पहुँचे तो रास्ता गुम हो गया। अंधेरी रात और सर्दी का मौसम था। उस वक़्त आपने जंगल में दूर एक चमकती हुई आग देखी और बीवी से फ़रमाया तुम यहाँ ठहरो मैंने वो दूर आग देखी है मैं वहाँ जाता हूँ, शायद वहाँ से कुछ खबर मिले और तुम्हारे तांपने के लिए कुछ आग भी ला सकूँ।

चुनाँचे आप अपनी बीवी को वहीं बैठा कर उस आग की तरफ़ चले और जब उसके पास पहुंचे तो वहाँ एक सरसब्ज़ शादाब दरख्त देखा जो ऊपर से नीचे तक निहायत रोशन था और जितना उसके क़रीब जाते हैं, वो दूर हो जाता है और ठहर जाते हैं तो वो क़रीब हो जाता है।

आप उस नूरानी दरख्त के अजीब हाल को देख रहे थे की उस दरख़्त से आवाज़ आई ऐ मूसा! “मैं सारे जहानों का रब अल्लाह हूँ। तुम बड़े पाकीज़ा मुक़ाम में आ गए हो, अपने जूते उतार डालो और जो तुझे वही होती है, कान लगाकर सुनो। मैंने तुझे पसंद कर लिया।”

#(क़ुरआन करीम, पारा-16, रूकू-10, पारा-20, रूकू-7; खज़ायन-उल-इरफ़ान, सफ़ा-442, सफ़ा-549)


🌹सबक़ ~
=========

नबुव्वत अल्लाह की अता महेज़ है उसमें मेहनत और कसब को दख़्ल नहीं यानी नबुव्वत किसी कोर्स पूरा करने और मेहनत करने से नहीं मिलती बल्की अल्लाह जिसे चाहता था, इस शरफ़ से मुर्शरफ़ फ़रमा देता था। जैसे मूसा अलैहिस्सलाम की गए आग लेने को और आए नबुव्वत लेकर और ये सिलसिला हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तक जारी रहा, फिर जो शख़्स ये कहे इहदीनस सिरातल मुसतक़ीम पढ़ने से आदमी नबी बन सकता है वो किस क़द्र जाहिल है!


📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 87-88, हिकायत नंबर- 73
--------------------------------------------------------
🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html