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सवाल:- हमारे नबी कौन हैं ❓ उनका कुछ हाल बयान कीजिए❓
जवाब:- हमारे नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम हैं, जो 12 रबीउल अव्वल मुताबिक 20 अप्रैल सन् 571 ई0 में मक्का शरीफ में पैदा हुए। उनके वालिद का नाम हजरते अब्दुल्लाह और वालिदा का नाम हज़रते आमिना है (रज़ियल्लाहु तआला अनहुमा) ।
आप की जाहिरी ज़िन्दगी तिरसठ (63) बरस की हुई, तिरपन (53) बरस की उम्र तक मक्का शरीफ में रहे फिर दस साल मदीना तैयिबा में रहे ।
12 रबीउल अव्वल सन् 11 हिजरी मुताबिक 12 जून सन् 632 ई0 में वफात पाई, आपकी मजारे मुबारक मदीना शरीफ में है, जो मक्का शरीफ़ से तकरीबन 320 किलो मीटर उत्तर है।
सवाल:- हमारे नबी की कुछ खूबियां बयान कीजिए ❓
जवाब:- हमारे नबी सैयिदुल अंबिया और नबीयुल अंबिया हैं यानी अंबियाएकिराम के सरदार हैं और तमाम अंबिया हुजूर के उम्मती हैं। आप खातमुन्नबीईन हैं यानी आप के बाद कोई नबी नहीं पैदा होगा जो शख्स आप के बाद नबी होने को जाइज समझे वह काफ़िर है। सारी मखलूकात खुदायेतआला की रज़ा चाहिती है और खुदायेतआला हुजूर की रजा चाहता है। हुजूर की फरमाबरदारी अल्लाहतआला की फरमाबरदारी है। जमीन व आसमान की सारी चीजें आप पर जाहिर थीं दुनिया के हर गोशे और हर कोने में कियामत तक जो कुछ होने वाला है हुज़र उसे इस तरह मुलाहिजा फ़रमाते हैं जैसे कोई अपनी हथेली देखे, ऊपर नीचे आगे और पीठ के
पीछे यकसा देखते थे । आप के लिए कोई चीज़ आड़ नहीं बन सकती हुज़र जानते हैं कि ज़मीन के अन्दर कहां क्या हो रहा है। खुशू जो दिल की एक कैफियत का नाम है हुज़र उसे भी मुलाजा फ़रमाते हैं, हमारे चलने फिरने उठने बैठने और खाने पीने वगैरा हर कौल व फेल की हुजूर को हर वक्त खबर है।
सवाल:- क्या हमारे नबी जिन्दा हैं ❓
जवाब:- हमारे नबी और तमाम अंबियाये किराम अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम जिन्दा हैं। हदीस शरीफ में है कि सरकारे अकदस सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया कि खुदायेतआला ने ज़मीन पर अंबियाये किराम अलैहिमुस्सलाम के जिस्मों को खाना हराम फ़रमा दिया है, तो अल्लाह के नबी जिन्दा हैं रोजी दिये जाते हैं। ~(मिश्कात पेज-121 )
सवाल:- जो शख्स अंबियाए किराम के बारे में कहे कि मर कर मिट्टी में मिल गए तो उसके लिए क्या हुक्म है ❓
जवाब:- ऐसा कहने वाला गुमराह बदमज़हब खबीस है।
📕 अनवारे शरीअत, पेज: 13-15
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 इस किताब के दिगर पोस्ट के लिए क्लिक करिये -
https://MjrMsg.blogspot.com/p/anware-shariat.html
सवाल:- हमारे नबी कौन हैं ❓ उनका कुछ हाल बयान कीजिए❓
जवाब:- हमारे नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम हैं, जो 12 रबीउल अव्वल मुताबिक 20 अप्रैल सन् 571 ई0 में मक्का शरीफ में पैदा हुए। उनके वालिद का नाम हजरते अब्दुल्लाह और वालिदा का नाम हज़रते आमिना है (रज़ियल्लाहु तआला अनहुमा) ।
आप की जाहिरी ज़िन्दगी तिरसठ (63) बरस की हुई, तिरपन (53) बरस की उम्र तक मक्का शरीफ में रहे फिर दस साल मदीना तैयिबा में रहे ।
12 रबीउल अव्वल सन् 11 हिजरी मुताबिक 12 जून सन् 632 ई0 में वफात पाई, आपकी मजारे मुबारक मदीना शरीफ में है, जो मक्का शरीफ़ से तकरीबन 320 किलो मीटर उत्तर है।
सवाल:- हमारे नबी की कुछ खूबियां बयान कीजिए ❓
जवाब:- हमारे नबी सैयिदुल अंबिया और नबीयुल अंबिया हैं यानी अंबियाएकिराम के सरदार हैं और तमाम अंबिया हुजूर के उम्मती हैं। आप खातमुन्नबीईन हैं यानी आप के बाद कोई नबी नहीं पैदा होगा जो शख्स आप के बाद नबी होने को जाइज समझे वह काफ़िर है। सारी मखलूकात खुदायेतआला की रज़ा चाहिती है और खुदायेतआला हुजूर की रजा चाहता है। हुजूर की फरमाबरदारी अल्लाहतआला की फरमाबरदारी है। जमीन व आसमान की सारी चीजें आप पर जाहिर थीं दुनिया के हर गोशे और हर कोने में कियामत तक जो कुछ होने वाला है हुज़र उसे इस तरह मुलाहिजा फ़रमाते हैं जैसे कोई अपनी हथेली देखे, ऊपर नीचे आगे और पीठ के
पीछे यकसा देखते थे । आप के लिए कोई चीज़ आड़ नहीं बन सकती हुज़र जानते हैं कि ज़मीन के अन्दर कहां क्या हो रहा है। खुशू जो दिल की एक कैफियत का नाम है हुज़र उसे भी मुलाजा फ़रमाते हैं, हमारे चलने फिरने उठने बैठने और खाने पीने वगैरा हर कौल व फेल की हुजूर को हर वक्त खबर है।
सवाल:- क्या हमारे नबी जिन्दा हैं ❓
जवाब:- हमारे नबी और तमाम अंबियाये किराम अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम जिन्दा हैं। हदीस शरीफ में है कि सरकारे अकदस सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया कि खुदायेतआला ने ज़मीन पर अंबियाये किराम अलैहिमुस्सलाम के जिस्मों को खाना हराम फ़रमा दिया है, तो अल्लाह के नबी जिन्दा हैं रोजी दिये जाते हैं। ~(मिश्कात पेज-121 )
सवाल:- जो शख्स अंबियाए किराम के बारे में कहे कि मर कर मिट्टी में मिल गए तो उसके लिए क्या हुक्म है ❓
जवाब:- ऐसा कहने वाला गुमराह बदमज़हब खबीस है।
📕 अनवारे शरीअत, पेज: 13-15
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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