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▫️ जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म पर साल गुजर गया तो ज़कात फर्ज़ हो गई।
📕»» फतावा आलमगीरी, जिल्द 1, सफह 168
मसलन आज चांदी 39950 रू किलो है यानि 52.5 तोला चांदी 25168 रू की हुई तो अगर आज यानि 1 जून 2017 को कोई इतने रूपये का मालिक है और अगले साल 31 मई 2018 को फिर उसके पास साहिबे निसाब की जो मिल्क बनती है उतनी रकम पायी जायेगी तो उस पर ज़कात फर्ज़ हो गयी अगर चे वो पूरे साल फकीर रहा हो।
▪️ औरतों के पास जो ज़ेवर होते हैं उनकी मालिक औरत खुद है तो अगर सोना चांदी मिलाकर 52.5 तोला चांदी की कीमत बनती है तो औरत पर ज़कात फर्ज़ है शौहर पर उसकी ज़कात नहीं शौहर चाहे तो दे और चाहे ना दे उस पर कुछ इलज़ाम नहीं, अगर शौहर अपनी बीवी के ज़ेवर की ज़कात नहीं देता तो औरत जितनी रकम ज़कात की बनती है उतने का ज़ेवर बेचकर अदा करे।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 62
📕»» क्या आप जानते हैं, सफह 391
*ज़कात 2.5% यानि 100 रुपए में 2.5 रुपए है
▫️ बाप अपनी बालिग़ औलाद की तरफ से या शौहर बीवी की तरफ से ज़कात या सदक़ये फित्र देना चाहे तो बगैर
उनकी इजाज़त के नहीं दे सकता।
📕»» फतावा अफज़लुल मदारिस, सफह 88
▪️ हाजते असलिया यानि रहने का घर, पहनने के कपड़े, किताबें, सफर के लिए सवारियां, घरेलु सामान पर ज़कात फर्ज़ नहीं है।
📕»» फतावा आलमगीरी, जिल्द 1, सफह 160
एसी, फ्रिज, बाईक, फोर व्हीलर ये सब हाजते असलिया में दाखिल हैं मगर टी.वी हाजते असलिया में दाखिल नहीं है तो अगर किसी के पास 26000 रू की टीवी मौजूद है तो उस पर ज़कात फर्ज़ है, उसी तरह किसी के पास कई मकान हैं और वो सब उसके खुद के रहने के लिए है तो ज़कात नहीं लेकिन अगर किसी मकान में किराएदार को बसा दिया और उसका किराया इतना है कि ये साहिबे निसाब को पहुंच जाए तो किराये पर ज़कात फर्ज़ होगी, उसी तरह दुकान पर तो ज़कात नहीं है मगर उसमे भरे हुए माल की ज़कात है लिहाज़ा सब एहतियात से जोड़कर ज़कात अदा करी जाये।
▫️ सगे भाई-बहन, चाचा, मामू, खाला, फूफी, सास-ससुर, बहु-दामाद या सौतेले माँ-बाप को ज़क़ात की रक़म दी जा सकती है।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 60-64
▪️ ज़कात, फित्रा या कफ्फारह का रुपया अपने असली मां-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी, बेटा-बेटी, पोता-पोती, नवासा-नवासी को नहीं दे सकते।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 60
▫️ कफन दफन में, तामीरे मस्जिद में, मिलादे पाक की महफिल में ज़कात का रुपया खर्च नहीं कर सकते किया तो ज़कात अदा नहीं होगी।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 24
▪️ अफज़ल है कि ज़कात पहले अपने अज़ीज़ हाजतमंदों को दें दिल में नियत ज़कात हो और उन्हें तोहफा या क़र्ज़ कहकर भी देंगे तो ज़कात अदा हो जायेगी।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 24
▫️ अफज़ल है कि ज़कात व फितरे की रक़म जिसको भी दें तो कम से कम इतना दें कि उसे उस दिन किसी और से सवाल की हाजत ना पड़े।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 66
▪️ हदीस में है कि रब तआला उसके सदक़े को क़ुबूल नहीं करता जिसके रिश्तेदार मोहताज हो और वो दूसरों पर खर्च करे।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 65
▫️ तंदरुस्त कमाने वाले शख्स को अगर वो साहिबे निसाब ना हो तो उसे ज़कात दे सकते हैं पर उसे खुद मांगना जायज़ नहीं।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 61
▪️ किसी पर 1 लाख रुपए क़र्ज़ हैं उसको कहीं से 1 लाख रुपए मिल गए अगर वो अपना क़र्ज़ नहीं चुकाता तो बुरा करता है मगर अब भी उसपर ज़कात फर्ज़ नहीं है।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 15
▫️ जिसके पास खुद का मकान, दुकान, खेत या खाने का गल्ला साल भर के लिए मौजूद हो मगर वो साहिबे निसाब ना हो तो उसे ज़कात व फित्रा दे सकते हैं ।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 62
▪️ काफिर व बदमज़हब को ज़कात फित्रा हदिया तोहफा कुछ भी देना नाजायज़ है अगर उनको ज़क़ात व फितरे की रकम दी तो अदा ना होगी।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 63-65
सुन्नी मदारिस को ज़कात व फित्रा दे सकते हैं मगर वहाबी देवबंदी क़ादियानी खारजी शिया अहले हदीस जमाते इस्लामी वाले व इन बदअक़ीदों के मदारिस को ज़कात व फित्रा नहीं दे सकते अगर देंगे तो अदा नहीं होगी युंहि गुमराह तहरीक दावते इस्लामी को भी ज़कात व फित्रा नहीं दे सकते।
▫️ पालिसी या f.d अपने नाम है तो ज़कात फर्ज़ है लेकिन अपनी नाबालिग औलाद को देकर उनको मालिक बना दिया या उनके नाम से फिक्स किया तो ज़कात नहीं।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 11
▪️ ज़कात व फित्रा बनी हाशिम यानि कि सय्यदों को नहीं दे सकते।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 63
अगर कोई सय्यद साहब परेशान हाल हैं तो उनकी मदद करना मुसलमान पर ज़रूरी है उनकी मदद अपने असली माल से करें ज़कात व फित्रा से नहीं।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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▫️ जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म पर साल गुजर गया तो ज़कात फर्ज़ हो गई।
📕»» फतावा आलमगीरी, जिल्द 1, सफह 168
मसलन आज चांदी 39950 रू किलो है यानि 52.5 तोला चांदी 25168 रू की हुई तो अगर आज यानि 1 जून 2017 को कोई इतने रूपये का मालिक है और अगले साल 31 मई 2018 को फिर उसके पास साहिबे निसाब की जो मिल्क बनती है उतनी रकम पायी जायेगी तो उस पर ज़कात फर्ज़ हो गयी अगर चे वो पूरे साल फकीर रहा हो।
▪️ औरतों के पास जो ज़ेवर होते हैं उनकी मालिक औरत खुद है तो अगर सोना चांदी मिलाकर 52.5 तोला चांदी की कीमत बनती है तो औरत पर ज़कात फर्ज़ है शौहर पर उसकी ज़कात नहीं शौहर चाहे तो दे और चाहे ना दे उस पर कुछ इलज़ाम नहीं, अगर शौहर अपनी बीवी के ज़ेवर की ज़कात नहीं देता तो औरत जितनी रकम ज़कात की बनती है उतने का ज़ेवर बेचकर अदा करे।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 62
📕»» क्या आप जानते हैं, सफह 391
*ज़कात 2.5% यानि 100 रुपए में 2.5 रुपए है
▫️ बाप अपनी बालिग़ औलाद की तरफ से या शौहर बीवी की तरफ से ज़कात या सदक़ये फित्र देना चाहे तो बगैर
उनकी इजाज़त के नहीं दे सकता।
📕»» फतावा अफज़लुल मदारिस, सफह 88
▪️ हाजते असलिया यानि रहने का घर, पहनने के कपड़े, किताबें, सफर के लिए सवारियां, घरेलु सामान पर ज़कात फर्ज़ नहीं है।
📕»» फतावा आलमगीरी, जिल्द 1, सफह 160
एसी, फ्रिज, बाईक, फोर व्हीलर ये सब हाजते असलिया में दाखिल हैं मगर टी.वी हाजते असलिया में दाखिल नहीं है तो अगर किसी के पास 26000 रू की टीवी मौजूद है तो उस पर ज़कात फर्ज़ है, उसी तरह किसी के पास कई मकान हैं और वो सब उसके खुद के रहने के लिए है तो ज़कात नहीं लेकिन अगर किसी मकान में किराएदार को बसा दिया और उसका किराया इतना है कि ये साहिबे निसाब को पहुंच जाए तो किराये पर ज़कात फर्ज़ होगी, उसी तरह दुकान पर तो ज़कात नहीं है मगर उसमे भरे हुए माल की ज़कात है लिहाज़ा सब एहतियात से जोड़कर ज़कात अदा करी जाये।
▫️ सगे भाई-बहन, चाचा, मामू, खाला, फूफी, सास-ससुर, बहु-दामाद या सौतेले माँ-बाप को ज़क़ात की रक़म दी जा सकती है।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 60-64
▪️ ज़कात, फित्रा या कफ्फारह का रुपया अपने असली मां-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी, बेटा-बेटी, पोता-पोती, नवासा-नवासी को नहीं दे सकते।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 60
▫️ कफन दफन में, तामीरे मस्जिद में, मिलादे पाक की महफिल में ज़कात का रुपया खर्च नहीं कर सकते किया तो ज़कात अदा नहीं होगी।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 24
▪️ अफज़ल है कि ज़कात पहले अपने अज़ीज़ हाजतमंदों को दें दिल में नियत ज़कात हो और उन्हें तोहफा या क़र्ज़ कहकर भी देंगे तो ज़कात अदा हो जायेगी।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 24
▫️ अफज़ल है कि ज़कात व फितरे की रक़म जिसको भी दें तो कम से कम इतना दें कि उसे उस दिन किसी और से सवाल की हाजत ना पड़े।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 66
▪️ हदीस में है कि रब तआला उसके सदक़े को क़ुबूल नहीं करता जिसके रिश्तेदार मोहताज हो और वो दूसरों पर खर्च करे।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 65
▫️ तंदरुस्त कमाने वाले शख्स को अगर वो साहिबे निसाब ना हो तो उसे ज़कात दे सकते हैं पर उसे खुद मांगना जायज़ नहीं।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 61
▪️ किसी पर 1 लाख रुपए क़र्ज़ हैं उसको कहीं से 1 लाख रुपए मिल गए अगर वो अपना क़र्ज़ नहीं चुकाता तो बुरा करता है मगर अब भी उसपर ज़कात फर्ज़ नहीं है।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 15
▫️ जिसके पास खुद का मकान, दुकान, खेत या खाने का गल्ला साल भर के लिए मौजूद हो मगर वो साहिबे निसाब ना हो तो उसे ज़कात व फित्रा दे सकते हैं ।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 62
▪️ काफिर व बदमज़हब को ज़कात फित्रा हदिया तोहफा कुछ भी देना नाजायज़ है अगर उनको ज़क़ात व फितरे की रकम दी तो अदा ना होगी।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 63-65
सुन्नी मदारिस को ज़कात व फित्रा दे सकते हैं मगर वहाबी देवबंदी क़ादियानी खारजी शिया अहले हदीस जमाते इस्लामी वाले व इन बदअक़ीदों के मदारिस को ज़कात व फित्रा नहीं दे सकते अगर देंगे तो अदा नहीं होगी युंहि गुमराह तहरीक दावते इस्लामी को भी ज़कात व फित्रा नहीं दे सकते।
▫️ पालिसी या f.d अपने नाम है तो ज़कात फर्ज़ है लेकिन अपनी नाबालिग औलाद को देकर उनको मालिक बना दिया या उनके नाम से फिक्स किया तो ज़कात नहीं।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 11
▪️ ज़कात व फित्रा बनी हाशिम यानि कि सय्यदों को नहीं दे सकते।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 63
अगर कोई सय्यद साहब परेशान हाल हैं तो उनकी मदद करना मुसलमान पर ज़रूरी है उनकी मदद अपने असली माल से करें ज़कात व फित्रा से नहीं।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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