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▫️ मस्जिद में रब की रज़ा के लिए ठहरना एतेक़ाफ कहलाता है इसकी 3 किस्में हैं👇
1). वाजिब - किसी ने मन्नत मानी कि मेरा ये काम होगा तो मैं 1,2 या 3 दिन का एतेक़ाफ करूंगा तो उतने दिन का एतेक़ाफ उस पर वाजिब होगा
2). सुन्नते मुअक़्किदह - रमज़ान में आखिर 10 रोज़ का यानि बीसवें रमज़ान को मग़रिब के वक़्त बा नियत एतेक़ाफ मस्जिद में मौजूद हो,ये एतेक़ाफ सुन्नते मुअक़्किदह अलल किफाया है यानि अगर पूरे मुहल्ले से 1 आदमी एतेक़ाफ में बैठ जाये तो सबके लिए काफी है पर 1 भी नहीं बैठा तो सब गुनाहगार होंगे
3). मुसतहब - जब भी मस्जिद में दाखिल हों तो पढ़ लें 'नवैतो सुन्नतल एतेक़ाफ' तो जब तक मस्जिद में रहेंगे एतेक़ाफ का सवाब पायेंगे
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 147-148
▪️ इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का क़ौल है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम फरमाते हैं जिसने रमज़ान में 10 दिनों का एतेक़ाफ किया तो उसे 2 हज व 2 उमरे का सवाब मिलेगा।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 146
▫️ मस्जिद में खाना पीना सिवाये मोअतक़िफ के दूसरों को नाजायज़ है तो जो लोग मस्जिद में अफ्तार करते हैं उन्हें चाहिए कि एतेक़ाफ की नीयत करके बैठे वरना गुनाहगार होंगे।
📕»» अलमलफूज़, हिस्सा 2, सफह 108
▪️ मोअतक़िफ ना तो किसी मरीज़ की इयादत को जा सकता है ना जनाज़े में शामिल हो सकता है ना किसी औरत को छुए और ना मस्जिद से बाहर निकले।
📕»» अबु दाऊद, जिल्द 2, सफह 492
▫️ अगर मोअतक़िफ मस्जिद से बाहर निकला तो एतेक़ाफ टूट जायेगा जिसकी क़ज़ा वाजिब
होगी।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 150
✴️ मोअतक़िफ के मस्जिद से बाहर निकलने के 2 उज़्र हैं~
1). हाजते शरई मसलन जिस मस्जिद में ये एतेक़ाफ में है वहां जुमे की नमाज़ नहीं होती तो जुमा पढ़ने बाहर जा सकता है और अज़ान देने लिए मीनारे पर जाना है और रास्ता बाहर से है तो जा सकता है।
2). हाजते तबई मसलन पेशाब पखाना वुज़ू गुस्ल अगर खारिजे मस्जिद में इनका इंतज़ाम नहीं है तो बाहर जा सकता है।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 150
▪️ एतेक़ाफे रमज़ान के लिए रोज़ा रखना शर्त है तो अगर रोज़ा नहीं रखा तो ये एतेक़ाफ नफ्ल होगा सुन्नत नहीं।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 148
▫️ मर्द के लिए मस्जिद में एतेक़ाफ करना ज़रूरी है और अगर औरत एतेक़ाफ में बैठना चाहे तो जिस जगह वो नमाज़ पढ़ती है वहां एतेक़ाफ में बैठ सकती है।
📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 129
▪️ जिस तरह बिला उज़्रे शरई मर्द का मस्जिद से निकलना एतेक़ाफ तोड़ देगा उसी तरह औरत का भी घर से बिला उज़्रे शरई निकलना एतेक़ाफ को तोड़ देगा जिसकी क़ज़ा उस पर वाजिब होगी अगर चे भूल से ही निकले या सिर्फ 1 मिनट के लिए ही बाहर निकले।
📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 132
▫️ मोतक़िफ को फालतू बातों से परहेज़ ज़रूरी है हां अगर लोगों को दर्स देने के लिए महफिल करता है तो इजाज़त है।
📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 135
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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▫️ मस्जिद में रब की रज़ा के लिए ठहरना एतेक़ाफ कहलाता है इसकी 3 किस्में हैं👇
1). वाजिब - किसी ने मन्नत मानी कि मेरा ये काम होगा तो मैं 1,2 या 3 दिन का एतेक़ाफ करूंगा तो उतने दिन का एतेक़ाफ उस पर वाजिब होगा
2). सुन्नते मुअक़्किदह - रमज़ान में आखिर 10 रोज़ का यानि बीसवें रमज़ान को मग़रिब के वक़्त बा नियत एतेक़ाफ मस्जिद में मौजूद हो,ये एतेक़ाफ सुन्नते मुअक़्किदह अलल किफाया है यानि अगर पूरे मुहल्ले से 1 आदमी एतेक़ाफ में बैठ जाये तो सबके लिए काफी है पर 1 भी नहीं बैठा तो सब गुनाहगार होंगे
3). मुसतहब - जब भी मस्जिद में दाखिल हों तो पढ़ लें 'नवैतो सुन्नतल एतेक़ाफ' तो जब तक मस्जिद में रहेंगे एतेक़ाफ का सवाब पायेंगे
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 147-148
▪️ इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का क़ौल है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम फरमाते हैं जिसने रमज़ान में 10 दिनों का एतेक़ाफ किया तो उसे 2 हज व 2 उमरे का सवाब मिलेगा।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 146
▫️ मस्जिद में खाना पीना सिवाये मोअतक़िफ के दूसरों को नाजायज़ है तो जो लोग मस्जिद में अफ्तार करते हैं उन्हें चाहिए कि एतेक़ाफ की नीयत करके बैठे वरना गुनाहगार होंगे।
📕»» अलमलफूज़, हिस्सा 2, सफह 108
▪️ मोअतक़िफ ना तो किसी मरीज़ की इयादत को जा सकता है ना जनाज़े में शामिल हो सकता है ना किसी औरत को छुए और ना मस्जिद से बाहर निकले।
📕»» अबु दाऊद, जिल्द 2, सफह 492
▫️ अगर मोअतक़िफ मस्जिद से बाहर निकला तो एतेक़ाफ टूट जायेगा जिसकी क़ज़ा वाजिब
होगी।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 150
✴️ मोअतक़िफ के मस्जिद से बाहर निकलने के 2 उज़्र हैं~
1). हाजते शरई मसलन जिस मस्जिद में ये एतेक़ाफ में है वहां जुमे की नमाज़ नहीं होती तो जुमा पढ़ने बाहर जा सकता है और अज़ान देने लिए मीनारे पर जाना है और रास्ता बाहर से है तो जा सकता है।
2). हाजते तबई मसलन पेशाब पखाना वुज़ू गुस्ल अगर खारिजे मस्जिद में इनका इंतज़ाम नहीं है तो बाहर जा सकता है।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 150
▪️ एतेक़ाफे रमज़ान के लिए रोज़ा रखना शर्त है तो अगर रोज़ा नहीं रखा तो ये एतेक़ाफ नफ्ल होगा सुन्नत नहीं।
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 148
▫️ मर्द के लिए मस्जिद में एतेक़ाफ करना ज़रूरी है और अगर औरत एतेक़ाफ में बैठना चाहे तो जिस जगह वो नमाज़ पढ़ती है वहां एतेक़ाफ में बैठ सकती है।
📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 129
▪️ जिस तरह बिला उज़्रे शरई मर्द का मस्जिद से निकलना एतेक़ाफ तोड़ देगा उसी तरह औरत का भी घर से बिला उज़्रे शरई निकलना एतेक़ाफ को तोड़ देगा जिसकी क़ज़ा उस पर वाजिब होगी अगर चे भूल से ही निकले या सिर्फ 1 मिनट के लिए ही बाहर निकले।
📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 132
▫️ मोतक़िफ को फालतू बातों से परहेज़ ज़रूरी है हां अगर लोगों को दर्स देने के लिए महफिल करता है तो इजाज़त है।
📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 135
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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