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तमाम सुन्नी मुसलमानों को माहे रमज़ान शरीफ बहुत बहुत मुबारक हो
हम पर खुदाये तआला का इनआम आ गया,
रमज़ान आ गया अरे रमज़ान आ गया ।
जन्नत का दर खुला और जहन्नम हुई है बंद,
हो जाओ खुश खुदा का ये फरमान आ गया।
हमको की नेकियों में जो कर देगा तर बतर,
ऐसा जहां में अबरये रहमान आ गया।
नफ्लें बराबर फर्ज़ के 70 गुना है फर्ज़,
बरकत खुदा की लेके माह ज़ीशान आ गया।
नेमत खिलाये खूब जो हमको बदल बदल,
खुद चलके पास अपने वो मेहमान आ गया।
महशर की कड़ी धूप में मोमिन के वास्ते,
करने को साया सर पे सायेबान आ गया।
नज़रें उठाओ जिस तरफ रहमत चहार सु
ऐ ज़ेब रब का टूटके फैज़ान आ गया।
1). इस माह में जहन्नुम के दरवाज़े बन्द हो जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं और सरकश शयातीन क़ैद कर लिये जाते हैं।
📕»» अनवारुल हदीस, सफह 271
2). माहे रमज़ान में हर पल फरिश्ते उम्मते मुहम्मदिया के लिए अस्तग़फार करते हैं।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 97
3). मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अगर लोगो को मालूम हो जाये कि रमज़ान
क्या है तो वो ये तमन्ना करेंगे कि पूरा साल ही रमज़ान हो जाये।
📕»» क्या आप जानते हैं, सफह 371
4). जो कोई रमज़ान के महीने में इल्मे दीन की महफिल में हाज़िर होगा तो उसके हर क़दम के बदले एक साल की इबादत लिखी जाती है।
📕»» क्या आप जानते हैं, सफह 368
5). जो कोई रमज़ान के महीने में हलाल कमाई से खजूर के बराबर सदक़ा करेगा तो मौला तआला वो सदक़ा इस तरह पालता है कि वो बढ़कर उहद पहाड़ के बराबर हो जाता है।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 8
6). जो शख्स बिला उज़्र रमज़ान का एक भी रोज़ा खो देगा तो अगर वो सारी ज़िन्दगी भी रोज़े से रहेगा तो उस एक रोज़े की फज़ीलत ना पा सकेगा।
📕»» दारकुतनी, जिल्द 2, सफह 212
7). हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम फरमाते हैं कि मुसलमान को जो भी माल का नुक्सान होता है वो ज़कात ना देने के सबब से होता है।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 7
8). इस महीने में नेकियों का सवाब बढ़ाकर 70 से 700 गुना तक कर दिया जाता है।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 93
9). जिसने किसी रोज़ादार को सिर्फ एक खजूर से ही अफ्तार करा दिया तो उसे उतना ही सवाब मिलेगा जितना रोज़ादार को मिला।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 93
10). जिसने मक्का शरीफ में रमज़ान पाया तो उसे एक लाख रमज़ान का सवाब मिलेगा।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 96
11). इस महीने में हर रोज़ मौला तआला 10 लाख लोगों को जहन्नम से आज़ाद करता है और आखिर दिन महीने भर की गिनती के बराबर।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 98
12). एक दिन के नफ्ल रोज़े का सवाब पूरी रूए ज़मीन भर सोना देने से भी पूरा ना होगा।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 95
ज़रा सोचिये कि रमज़ान के रोज़ों की फज़ीलत क्या होगी
13). जिसने रमज़ान पाया और अपनी बख्शिश ना करा सका वो हलाक हुआ।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 97
14). जिसने रमज़ान में किसी मुसलमान की हाजत रवाई की तो मौला तआला उसकी 1000 हाजतें पूरी करेगा।
📕»» क्या आप जानते हैं, सफह 369
15. एक काफिर को सिर्फ रमज़ान का एहतेराम करने पर ईमान जैसी दौलत मिल गई।
📕»» नुज़हतुल मजालिस, जिल्द 1, सफह 136
अगर मुसलमान इसकी बेहुरमती करेगा तो ईमान छिन भी सकता है, माज़ अल्लाह
16). जो मुसलमान इस मुबारक महीने में इंतेक़ाल करेगा उससे क़ब्र में सवाल जवाब ही नहीं होगा ना अभी और ना कभी।
📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 1, सफह 596
17). अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने एक शख्स को सिर्फ इसलिए बख्श दिया कि उसने एक प्यासे कुत्ते को पानी पिलाया था।
📕»» बुखारी शरीफ, जिल्द 2, सफह 409
सोचिये जब कोई मुसलमान को खिलायेगा पिलायेगा तो क्या उसकी बख्शिश ना होगी, ज़रूर होगी इन शा अल्लाह
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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तमाम सुन्नी मुसलमानों को माहे रमज़ान शरीफ बहुत बहुत मुबारक हो
हम पर खुदाये तआला का इनआम आ गया,
रमज़ान आ गया अरे रमज़ान आ गया ।
जन्नत का दर खुला और जहन्नम हुई है बंद,
हो जाओ खुश खुदा का ये फरमान आ गया।
हमको की नेकियों में जो कर देगा तर बतर,
ऐसा जहां में अबरये रहमान आ गया।
नफ्लें बराबर फर्ज़ के 70 गुना है फर्ज़,
बरकत खुदा की लेके माह ज़ीशान आ गया।
नेमत खिलाये खूब जो हमको बदल बदल,
खुद चलके पास अपने वो मेहमान आ गया।
महशर की कड़ी धूप में मोमिन के वास्ते,
करने को साया सर पे सायेबान आ गया।
नज़रें उठाओ जिस तरफ रहमत चहार सु
ऐ ज़ेब रब का टूटके फैज़ान आ गया।
1). इस माह में जहन्नुम के दरवाज़े बन्द हो जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं और सरकश शयातीन क़ैद कर लिये जाते हैं।
📕»» अनवारुल हदीस, सफह 271
2). माहे रमज़ान में हर पल फरिश्ते उम्मते मुहम्मदिया के लिए अस्तग़फार करते हैं।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 97
3). मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अगर लोगो को मालूम हो जाये कि रमज़ान
क्या है तो वो ये तमन्ना करेंगे कि पूरा साल ही रमज़ान हो जाये।
📕»» क्या आप जानते हैं, सफह 371
4). जो कोई रमज़ान के महीने में इल्मे दीन की महफिल में हाज़िर होगा तो उसके हर क़दम के बदले एक साल की इबादत लिखी जाती है।
📕»» क्या आप जानते हैं, सफह 368
5). जो कोई रमज़ान के महीने में हलाल कमाई से खजूर के बराबर सदक़ा करेगा तो मौला तआला वो सदक़ा इस तरह पालता है कि वो बढ़कर उहद पहाड़ के बराबर हो जाता है।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 8
6). जो शख्स बिला उज़्र रमज़ान का एक भी रोज़ा खो देगा तो अगर वो सारी ज़िन्दगी भी रोज़े से रहेगा तो उस एक रोज़े की फज़ीलत ना पा सकेगा।
📕»» दारकुतनी, जिल्द 2, सफह 212
7). हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम फरमाते हैं कि मुसलमान को जो भी माल का नुक्सान होता है वो ज़कात ना देने के सबब से होता है।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 7
8). इस महीने में नेकियों का सवाब बढ़ाकर 70 से 700 गुना तक कर दिया जाता है।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 93
9). जिसने किसी रोज़ादार को सिर्फ एक खजूर से ही अफ्तार करा दिया तो उसे उतना ही सवाब मिलेगा जितना रोज़ादार को मिला।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 93
10). जिसने मक्का शरीफ में रमज़ान पाया तो उसे एक लाख रमज़ान का सवाब मिलेगा।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 96
11). इस महीने में हर रोज़ मौला तआला 10 लाख लोगों को जहन्नम से आज़ाद करता है और आखिर दिन महीने भर की गिनती के बराबर।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 98
12). एक दिन के नफ्ल रोज़े का सवाब पूरी रूए ज़मीन भर सोना देने से भी पूरा ना होगा।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 95
ज़रा सोचिये कि रमज़ान के रोज़ों की फज़ीलत क्या होगी
13). जिसने रमज़ान पाया और अपनी बख्शिश ना करा सका वो हलाक हुआ।
📕»» बहारे शरीयत, हिस्सा 5, सफह 97
14). जिसने रमज़ान में किसी मुसलमान की हाजत रवाई की तो मौला तआला उसकी 1000 हाजतें पूरी करेगा।
📕»» क्या आप जानते हैं, सफह 369
15. एक काफिर को सिर्फ रमज़ान का एहतेराम करने पर ईमान जैसी दौलत मिल गई।
📕»» नुज़हतुल मजालिस, जिल्द 1, सफह 136
अगर मुसलमान इसकी बेहुरमती करेगा तो ईमान छिन भी सकता है, माज़ अल्लाह
16). जो मुसलमान इस मुबारक महीने में इंतेक़ाल करेगा उससे क़ब्र में सवाल जवाब ही नहीं होगा ना अभी और ना कभी।
📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 1, सफह 596
17). अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने एक शख्स को सिर्फ इसलिए बख्श दिया कि उसने एक प्यासे कुत्ते को पानी पिलाया था।
📕»» बुखारी शरीफ, जिल्द 2, सफह 409
सोचिये जब कोई मुसलमान को खिलायेगा पिलायेगा तो क्या उसकी बख्शिश ना होगी, ज़रूर होगी इन शा अल्लाह
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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