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सवाल:-  कियामत किसे कहते हैं ❓

जवाब:-  कियामत उस दिन को कहते हैं जिस दिन हज़रते इसराफील अलैहिस्सलाम सूर फेंकेंगे, सूर सींग के शक्ल की एक चीज़ है जिसकी आवाज सुनकर सब आदमी और तमाम जानवर मर जाएंगे। जमीन, आसमान, चांद, सूरज और पहाड़ वगैरह दुनिया की हर चीज़ टूट फूट कर फ़ना हो जाएगी यहां तक कि सूर भी खत्म हो जाएगा और इसराफ़ील अलैहिस्सलाम भी फ़ना हो जाएंगे, यह वाकिअह मुहर्रम की दसवीं तारीख जुमा के दिन होगा।


सवाल:-  कियामत की कुछ निशानियां बयान कीजिए❓

जवाब:-  जब दुनिया में गुनाह ज्यादा होने लगे,
"हराम" कामों को लोग खुल्लमखुल्ला करने लगें,
मां बाप को तकलीफ दें और गैरों से मेल जोल रख्खें,
अमानत में खियानत करें,
“ज़कात" देना लोगों पर गिरा गुजरे,
दुनियां हासिल करने के लिए इल्मेदीन पढ़ा जाए,
“नाच-गाने" का रवाज ज्यादा हो जाए,
बदकार लोग कौम के पेशवा और लीडर हो जाएं,
चरवाहे वगैरह कम दर्जा के लोग बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों और कोठियों में रहने लगें तो समझ लो कि कियामत करीब
आ गई है।


सवाल:-  जो शख्स कियामत का इन्कार करे उसके लिए क्या हुक्म है❓

जवाब:-  कियामत काइम होना हक है उसका इन्कार करने वाला काफिर है।

📕 अनवारे शरीअत, पेज: 15-16

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🖌पोस्ट क्रेडिट -  शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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