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रोज़े के 3 दर्जे हैं~

1). अवाम का रोज़ा - सुबह सादिक़ से लेकर ग़ुरूब आफताब तक खाने पीने और जिमआ से परहेज़ करे, औरत हैज़ व निफास से पाक हो।

2). ख्वास का रोज़ा - इन सबके अलावा आंख, कान, नाक, ज़बान और हाथ पांव व तमाम आज़ा का गुनाहों से बाज़ रखना।

3). ख्वासुल ख्वास का रोज़ा - पूरा रमज़ानुल मुबारक सिर्फ अल्लाह की ही जानिब मुतवज्जह रहना।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 98

▫️ बच्चा जब 10 साल का हो जाये तो उसे नमाज़ पढ़वायें और रोज़ा रखवायें अगर नमाज़ तोड़ दे तो फिर से पढ़वायें पर रोज़ा तोड़ दे तो क़ज़ा नहीं।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 119

▪️ हदीस में है 'रात आई रोज़ा पूरा हो गया' कि जिस तरह नियत से रोज़ा शुरू होगा वैसे ही नियत से खत्म भी हो जायेगा।

📕»» अलमलफूज़, हिस्सा 4, सफह 56

▫️ सहरी खाना भी नियत है हां सहरी खाते वक़्त ये सोचे कि रोज़ा ना रखूंगा तो नियत नहीं।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 101

▪️ किसी ने ये कहा कि रोज़ा वो रखे जिसके पास खाने को नहीं है या जब खुदा ने खाने को दिया है तो भूखे क्यों मरे ऐसा कहने वाला काफिर है ।

📕»» अनवारुल हदीस, सफह 91

▫️ शरई उज़्र की वजह से रोज़ा ना रखने की इजाज़त है बाद रमज़ान रोज़ों की कज़ा करे, ये शरई उज़्र हैं 👇

1. बीमारी
2. सफर
3. औरत को हमल या दूध पिलाने की मुद्दत हो
4. सख्त बुढ़ापा
5. बेहद कमज़ोरी
6. जान जाने का डर

📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 115
📕»» बहारे शरियत, हिस्सा 5, सफह 130

इनमे से शैखे फानी यानि बहुत ज्यादा बूढ़ा और ऐसा बीमार जिसके ठीक होने की उम्मीद ना हो वो लोग अगर
रोज़ा ना रख सकें तो उन्हें हर रोज़े के बदले 2 kg 47 ग्राम गेंहू की कीमत फिदिया अदा करना होगा।

📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 119

▪️ शरई उज़्र की वजह से रोज़ा ना रखा और फिदिया देता रहा मगर अगला रमजान आने से पहले उसका उज़्र जाता रहा तो अब रोज़ो की क़ज़ा फर्ज़ है उसके सारे फिदिए नफ्ल हो गए।

📕»» दुर्रे मुख्तार, जिल्द 2, सफह 115
📕»» बहारे शरियत, हिस्सा 5, सफह 133

जिन लोगों को शरई उज़्र की वजह से रोज़ा ना रखने की मोहलत है उन्हें भी अलानिया खाने पीने की इजाज़त नहीं है युंहि जिन लोगो का रोज़ा किसी गलती की वजह से टूट जाये तो उन्हे भी मग़रिब तक कुछ भी खाने पीने की इजाज़त नहीं है लिहाज़ा इसका ख्याल रखें।

▫️ भूल कर खाने पीने या जिमआ करने से रोज़ा नहीं टूटेगा।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 112

▪️बिला कस्द हलक में मक्खी धुआं गर्दो गुबार कुछ भी गया रोज़ा नहीं टूटेगा।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 112

▫️ बाल या दाढ़ी में तेल लगाने से या सुरमा लगाने से या खुशबू सूंघने से रोज़ा नहीं टूटता अगर चे सुरमे का रंग थूक में दिखाई भी दे तब भी नहीं।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 113

▪️ कान में पानी जाने से तो रोज़ा नहीं टूटा मगर तेल चला गया या जानबूझकर डाला तो टूट जायेगा।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 117

▫️ एहतेलाम यानि नाइट फाल हुआ तो रोज़ा नहीं टूटा मगर बीवी को चूमा और इंजाल हो गया तो रोज़ा टूट गया युंहि हाथ से मनी निकालने से भी रोज़ा टूट जायेगा।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 117

▪️ तिल या तिल के बराबर कोई भी चीज़ चबाकर निगल गया और मज़ा हलक में महसूस ना हुआ तो रोज़ा नहीं टूटा और अगर मज़ा महसूस हुआ या बगैर चबाये निगल गया तो टूट गया और अब क़ज़ा के साथ कफ्फारह भी वाजिब है।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 114,122

▫️ आंसू मुंह में गया और हलक़ से उतर गया तो अगर 1-2 क़तरे हैं तो रोज़ा ना गया लेकिन पूरे मुंह में नमकीनी महसूस हुई तो टूट गया।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 117

▪️ बिला इख्तियार उलटी हो गयी तो चाहे मुंह भरकर ही क्यों ना हो रोज़ा नहीं टूटेगा ये समझकर कि रोज़ा टूट गया खाया पिया तो कफ्फारह वाजिब होगा।

📕»» फतावा आलमगीरी, जिल्द 1, सफह 190
📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 121

▫️ कुल्ली करने में पानी हलक़ से नीचे उतरा या नाक से पानी चढ़ाने में दिमाग तक पहुंच गया अगर रोज़ा होना याद था तो टूट गया वरना नहीं।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 117

▪️ पान, तम्बाकू, सिगरेट, बीड़ी, हुक्का खाने पीने से रोज़ा टूट जायेगा।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 116

▫️ जानबूझकर अगरबत्ती का धुआं खींचा या नाक से दवा चढ़ाई या कसदन कुछ भी निगल गया तो रोज़ा टूट गया।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 113,114,117

▪️ इंजेक्शन चाहे गोश्त में लगे या नस में रोज़ा नहीं टूटेगा मगर उसमें अलकोहल होता है इसलिए जितना हो सके बचा जाये।

📕»» फतावा अफज़लुल मदारिस, सफह 88

▫️ पूरा दिन नापाक रहने से रोज़ा नहीं जाता मगर जानबूझकर 1 वक़्त की नमाज़ खो देना हराम है।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 113

▪️ झूट, चुगली, ग़ीबत, गाली गलौच, बद नज़री व दीगर गुनाह के कामों से रोज़ा मकरूह होता है लेकिन टूटेगा नहीं।

📕»» जन्नती ज़ेवर, सफह 264

▫️ जिन बातों से रोज़ा नहीं टूटता ये सोचकर कि टूट गया फिर जानबूझकर खाया पिया तो उस पर क़ज़ा के साथ कफ्फारह भी वाजिब होगा।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 120

▪️ रोज़ा तोड़ने का कफ्फारह उस वक़्त है जबकि नियत रात से की हो अगर सूरज निकलने के बाद नियत की तो सिर्फ क़ज़ा है कफ्फारह नहीं।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 120

▫️ कफ्फारये रोज़ा ये है कि लगातार 60 रोज़े रखे बीच में अगर 1 भी छूटा तो फिर 60 रखना पड़ेगा या 60 मिस्कीन को दोनों वक़्त पेट भर खाना खिलाये या 1 ही फकीर को दोनों वक़्त 60 दिन तक खाना खिलाये या इसके बराबर रक़म सदक़ा करे।

📕»» बहारे शरीअत, हिस्सा 5, सफह 123

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)

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