🕌 दारुलउलूम देवबन्द में इल्हाद व नसरानियत का एक मुकाशेफ़ा ...... 🕋

मुझे इस मुक़ाम पर इस के सिवा और कुछ नहीं कहना है कि जो लोग अपना ऐब छुपाने के लिए दूसरों पर अंग्रेज़ों की कासा लेसी और साज़बाज़ का इल्ज़ाम आएद करते हैं कि वह गरेबान में मुंह डालकर ज़रा अपने घर का यह कश्फ़ नामा मुलाहेज़ा फ़रमा लें।

किताब के मुसननेफ़ीन को इस कश्फ़ पर अगर ऐतमाद न होता तो वह हरगिज़ इसे शाऐ नहीं करते।

और बात कश्फ़ ही तक नहीं है तारीख़ी दस्तावेज़ात भी इस अम्रे वाकिआ ( वास्तविक ) की ताईद में है कि अंग्रेज़ों के साथ नियाज़ मंदाना तअल्लुक़ात और राज़दाराना साज़ बाज़ दारुल उलूम देवबन्द और
मुंतज़ेमीन अमाएदीन का ऐसा नुमायां कारनामा है जिसे उन्होंने फ़ख्र के साथ ब्यान किया है।

और यह बात भी अज़राहे इल्ज़ाम नहीं कह रहा हूं बल्कि देवबन्दी लिटरेचर से जो तारीख़ी शहादतें मुझे मौसूल हुई हैं उनकी रौशनी में इसके सिवा और कुछ कहा ही नहीं जा सकता। नमूने के तौर पर चन्द तारीख़ी हवाले
जेल में मुलाहेज़ा फ़रमाएं।

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 48

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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