🕌 मुद्दई लाख पे भारी है गवाही तेरी..... 🕋

अब आप ही फ़ैसला कीजिए कि जिस मदरसा के चलाने वाले अंग्रेज़ों के वफ़ा पेशा नमकख़्वार हों उसे बागियाना सरगर्मियों का अड्डा कहना आँखों में धूल झोंकने के मुतरादिफ़ है या नहीं ।

अब अंग्रेजों के खिलाफ देवबन्दी अकाबिर के अफ़सानए जिहाद व बग़ावत की पूरी तारीख़ उलट देने वाली एक संसनी ख़ेज़ कहानी और सुनिए~

स्वानेह क़ासिमी में मौलवी क़ासिम साहब नानौतवी के एक हाज़िर बाश मौलवी मंसूर अली खाँ की ज़बानी यह किस्सा ब्यान किया गया है वह कहते हैं कि

एक दिन मौलाना नानौतवी के हमराह मैं नानौत जा रहा था कि अस्नाए राह में मौलाना का हज्जाम उफ्तां व ख़ेजां आता हुआ मिला और उस ने ख़बर दी कि नानौत के थानेदार ने औरत के भगाने के इल्ज़ाम में मेरा चालान कर
दिया है खुदारा मुझे बचाईये।

मौलवी मंसूर अली खाँ का बयान है कि नानौता पहुंचते ही मौलाना ने अपने मख़सूस कारिंदा मुंशी मुहम्मद सुलैमान को तलब किया और पुरजलाल आवाज़ में फ़रमाया -
" उस ग़रीब को थानेदार ने बेकसूर पकङा है, तुम उस से कह दो कि यह ( हज्जाम ) हमारा आदमी है उस को
छोङ दो वर्ना तुम भी न बचोगे। उसके हाथ में हथकङी डालोगे तो तुम्हारे हाथ में भी हथकङी पङेगी। "

#सवानेह क़ासिमी, जिल्द- 1, सफा: 321-322

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 50

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

🔴इस पोस्ट के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html