🕌 मुद्दई लाख पे भारी है गवाही तेरी.... 🕋

अंग्रेज़ों की सफ़ों में हज़रते ख़िज़र की मौजूदगी अचानक नहीं पेश आ गई थी बल्कि वह " नुस्रते हक़ "( खुदाई मदद ) की अलामत बनकर अंग्रेज़ी फ़ौज के साथ एक बार और देखे गए थे जैसा कि फ़रमाते हैं ~

ग़दर के बाद जब गंज मुरादाबादी की वीरानी मस्जिद मे हज़रत मौलाना ( शाह फ़ज़लुर्रहमान साहेब) जाकर मुकीम हुए तो इत्तिफ़ाक़न उसी रास्ते से जिस के किनारे मस्जिद है किसी वजह से अंग्रेज़ी फ़ौज ग़ुज़र रही थी। मौलाना मस्जिद से देख रहे थे अचानक मस्जिद की सीढ़ियों से उतर कर देखा गया कि अंग्रेज़ी फ़ौज के एक साइस से बाग डोर खूंटे बग़ैर घोङे का लिए हुए था उस से बातें कर के फिर मस्जिद वापस आ गए अब याद नहीं
रहा कि पूछने पर या खुद बखुद फ़रमाने लगे कि साइस जिस से मैंने गुफ़तगू की यह ख़िज़र थे मैंने पूछा यह क्या हाल है तो जवाब में कहा
कि हुक्म यही हुआ है ।

#हाशिया स्वानेह क़ासिमी, जिल्द- 2, सफा- 103

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 52

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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