🕌 मुद्दई लाख पे भारी है गवाही तेरी.... 🕋
बेशक यह बताने का हक़ ममलूक को है कि उसका मालिक कौन है कौन नहीं है।
जो मालिक था उसके लिए एतिराफ़ की ज़बान खुलनी थी खुल गई और जो मालिक नहीं था उसका इन्कार ज़रूरी था हो गया अब यह बहस बिल्कुल अबस ( बेकार ) है कि किसका मुक़द्दर किस मालिक के साथ वाबस्ता हुआ।
यहाँ पहुंच कर हमें कुछ नहीं कहना है तस्वीर के दोनों रुख़ आपके सामने हैं माद्दी मनफ़अत की कोई मस्लेहत मापे न हो तो अब आप ही फ़ैसला कीजिए कि दिलों की अकलीम पर किसकी बादशाहत का झंडा गङा हुआ है। सुलतानुल अम्बिया का या ताजे बर्तानिया का।
बात चली थी घर के मुकाश्फ़ा की और घर ही के दस्तावेज़ पर ख़त्म हो गई। अब फिर किताब के अस्ले मौज़ की
तरफ़ पलटता हूं । आप भी अपने ज़ेहन का रिश्ता वाकिआत के सिलसिले से मुंसलिक कर लीजिए।
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 54, 55
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
🔴इस पोस्ट के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html
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बात चली थी घर के मुकाश्फ़ा की और घर ही के दस्तावेज़ पर ख़त्म हो गई। अब फिर किताब के अस्ले मौज़ की
तरफ़ पलटता हूं । आप भी अपने ज़ेहन का रिश्ता वाकिआत के सिलसिले से मुंसलिक कर लीजिए।
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