🕌 मुद्दई लाख पे भारी है गवाही तेरी.... 🕋

कुछ समझा आपने ?

किस इल्ज़ाम को यह झूठा कह रहे है। यही कि अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ उन्होंने अलम जिहाद ( झंडा ) बुलन्द किया था।

मैं कहता हूं कि गंगोही साहेब की यह पुर खुलूस सफ़ाई कोई माने या न माने लेकिन कम अज़कम उनके मोतक़ेदीन को तो ज़रूर मानना चाहिये लेकिन ग़ज़ब ख़ुदा का इतनी शद्दोमद के साथ सफ़ाई के बावजूद भी उनके मानने वाले यह इल्ज़ाम उन पर आज तक दोहरा रहे हैं कि उन्होंने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ अलमे जिहाद बुलन्द किया था।

दुनिया की तारीख़ में इसकी मिसाल मुश्किल ही से मिलेगी कि किसी फ़िर्के के अफ़राद ने अपने पेश्वा की इस तरह तकज़ीब की हो।

और सरकार मालिक है सरकार को इख़्तियार है यह जुम्ला उसी की ज़बान से निकल सकता है कि जो तन से
लेकर मन तक पूरी तरह किसी के जज़बए ग़ुलामी में भीग चुका हो।

आह। दिलों की बदबख़्ती और रुहों की शक़ावत का हाल भी कितना इबरत अंगेज़ होता है सोचता हूं तो दिमाग़ फटनें लगता है कि खुदा के बाग़ियों के लिए तो जज़बए अकीदत का यह एतराफ़ है कि वह मालिक भी हैं और मुख़तार भी।

लेकिन अहमदे मुजतबा और महबूब किबरिया सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की जनाब में हज़रात के अक़ीदे की ज़बान यह है-

( जिसका नाम मुहम्मद या अली है वह किसी चीज़ का मुख़्तार "मालिक" नहीं। #तक़विय्तुल ईमान )

📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 54

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी

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