🕌 मुद्दई लाख पे भारी है गवाही तेरी 🕋
ख़ुद अंग्रेज़ की यह शहादत है कि यह मदरसा ख़िलाफ़े सरकार नहीं बल्कि मुवाफ़िक़े सरकार मुमिद्द व मुआविने सरकार है।
अब आप ही इन्साफ कीजिए कि इस ब्यान के सामने अब उस अफ़साने की क्या हक़ीक़त है जिसका ढिंढोरा पीटा जाता है कि मदरसा देवबन्द अंग्रेज़ी सामराज के ख़िलाफ़ सियासी सरगर्मियों का बहुत बङा अड्डा था।
मदरसए देवबन्द के क़दीम कारकुनों का अंग्रेज़ों के साथ किस दर्जा ख़ैर ख्वाहाना और नियाज़ मन्दाना तअल्लुक था उसका अन्दाज़ा लगाने के लिए खुद क़ारी तय्यब साहेब मोहतमिम दारुल उलूम देवबन्द का यह तहलका ख़ेज़ ब्यान
पढ़िये फ़रमाते हैं ~
"मदरसा देवबन्द के कारकुनों में ( अकसरियत ) ऐसे बुजुर्गों की थी जो गवर्नमेन्ट के क़दीम मुलाज़िम और हाल
पेशेनज़र थे जिन के बारे मे गवर्नमेन्ट को शक व शुब्हा करने की कोई गुंजाइश ही न थी ।"
#हाशिया सवानेह क़ासिमी, सफा- 247, जिल्द- 2
📕 ज़लज़ला, सफ़हा न०- 49
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ एस-अली।औवैसी
🔴इस पोस्ट के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/zalzala.html
ख़ुद अंग्रेज़ की यह शहादत है कि यह मदरसा ख़िलाफ़े सरकार नहीं बल्कि मुवाफ़िक़े सरकार मुमिद्द व मुआविने सरकार है।
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मदरसए देवबन्द के क़दीम कारकुनों का अंग्रेज़ों के साथ किस दर्जा ख़ैर ख्वाहाना और नियाज़ मन्दाना तअल्लुक था उसका अन्दाज़ा लगाने के लिए खुद क़ारी तय्यब साहेब मोहतमिम दारुल उलूम देवबन्द का यह तहलका ख़ेज़ ब्यान
पढ़िये फ़रमाते हैं ~
"मदरसा देवबन्द के कारकुनों में ( अकसरियत ) ऐसे बुजुर्गों की थी जो गवर्नमेन्ट के क़दीम मुलाज़िम और हाल
पेशेनज़र थे जिन के बारे मे गवर्नमेन्ट को शक व शुब्हा करने की कोई गुंजाइश ही न थी ।"
#हाशिया सवानेह क़ासिमी, सफा- 247, जिल्द- 2
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