यूसुफ़ अलैहिस्सलाम और आईना

〽️हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम का एक दोस्त आपसे मुलाकात करने आया तो हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम ने उससे फ़रमाया- भई दोस्त-दोस्त के पास आता है तो उसके लिए कोई तोहफ़ा लाता है, बताओ तुम मेरे लिए क्या लाए हो?

दोस्त ने जवाब दिया- इस वक़्त दुनिया में आपसे बढ़कर कोई और हसीन व जमील चीज़ है ही नहीं जो मैं आपके लिए लाता। इसलिए मैं आपकी ख़िदमत में आप ही को लाया हूँ और यूसुफ़ के लिए तोहफ़ा भी यूसुफ़ लाया हूँ, ये कहकर एक आईना यूसुफ़ अलैहिस्स्लाम के सामने रख दिया और कहा लीजिए इसमें अपने हुस्न व जमाल का नज़ारा कीजिए, इससे बढ़कर और क्या तोहफा होगा!

( #मसनवी_शरीफ़ )


🌹सबक़ ~
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इंसान को चाहिए की वो अपना दिल मिस्ल आईना के साफ़ व शफ़्फ़ाफ़ बना ले और कल जब ख़ुदा पूछे की मेरे

बेसिबाती दुनिया

〽️बनी इस्राईल के एक नौजवान आबिद के पास हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाया करते थे। ये बात उस वक़्त के बादशाह ने सुनी तो उस नौजवान आबिद को बुलाया और पूछा कि क्या बात सच है की तुम्हारे पास हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम आया करते हैं?

उसने जवाब दिया कि हाँ, बादशाह ने कहा- अब जब वो आयें तो उन्हें मेरे पास लेकर आना। अगर ना लाओगे तो मैं तुम्हें क़त्ल कर दूंगा।

चुनाँचे एक दिन हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम उस आबिद के पास तशरीफ़ लाए तो आबिद ने उनसे सारा वाक़्या अर्ज़ कर दिया। आपने फ़रमाया- चलो! उस बादशाह के पास चलते हैं।

चुनाँचे आप उस बादशाह के पास तशरीफ़ ले गए। बादशाह ने पूछा- क्या आप ही ख़िज़्र हैं? फ़रमाया-हाँ। बादशाह ने कहा तो हमें कोई बड़ी अजीब बात सुनाईये। फ़रमाया- मैंने दुनिया की बड़ी-बड़ी अजीब बातें देखी हैं मगर उनमें से एक सुनाता हूँ। लो सुनो-

मैं एक दफा एक बहुत बड़े खूबसूरत और आबाद शहर से गुज़रा मैंने उस शहर के एक बाशिन्दे से पूछा- ये शहर कब से बना है? तो उसने कहा- ये शहर बहुत पुराना शहर है। इसकी इब्तिदा का ना मुझे इल्म है और ना हमारे आबाओ अज्दाद को। ख़ुदा जाने कब से ये शहर यूं ही आबाद चला आ रहा है।

फ़िर मैं पाँस सौ साल के बाद इसी जगह से गुज़रा तो वहाँ शहर का नाम व निशान तक ना था। एक जंगल था और

तेरह सौ साल(1300) की उम्र का बादशाह

〽️हज़रत दानयाल अलैहिस्सलाम एक दिन जंगल में चले जाते थे। आपको एक गुंबद नज़र आया। आवाज़ आई की ऐ दानयाल! इधर आ। दानयाल अलैहिस्सलाम उस गुंबद के पास गए, मालूम हुआ की किसी मक़्बरे का गुंबद है। जब आप मक़्बरे के अन्दर तशरीफ़ ले गए तो देखा बड़ी उम्दा इमारत है और इमारत के बीच एक आलीशान तख़्त बिछा हुआ है। उस पर एक बड़ी लाश पड़ी है। फिर आवाज़ आई की दानयाल! तख़्त के ऊपर आओ। आप ऊपर तशरीफ़ ले गए तो एक लम्बी-चौड़ी तलवार मुर्दे के पहलू में रखी हुई नज़र आई। उस पर ये इबारत लिखी हुई नज़र आई की मैं क़ौमे आद से एक बादशाह हूँ। ख़ुदा ने तेरह(1300) सौ साल की मुझे उम्र अता फ़रमाई। बारह हज़ार मैंने शादियाँ कीं, आठ हज़ार बेटे हुए, ला-तअदाद ख़जाने मेरे पास थे। इस क़द्र नेअमतें लेकर भी मेरे नफ़्स ने ख़ुदा का शुक्र ना किया बल्की उल्टा कुफ़्र करना शुरू किया और ख़ुदाई दअवे करने लगा।

खुदा ने मेरी हिदायत के लिए एक पैग़म्बर को भेजा। हर चन्द उन्होंने मुझे समझाया, मगर मैंने कुछ ना सुना। अंजाम कार वो पैग़म्बर मुझे बद्दुआ दे कर चले गए। हक़ तआला ने मुझ पर और मेरे मुल्क पर क़हेत मुसल्लत कर दिया। जब मेरे मुल्क में कुछ पैदा ना हुआ, तब मैंने दूसरे मुल्कों में हुक्म भेजा की हर एक किस्म का ग़ल्लह और मेवा मेरे मुल्क में भेजा जाए।

बमौजिब मेरे हुक्म के हर किस्म का ग़ल्लह और मेवा मेरे मुल्क में आने लगा, जिस वक़्त वो ग़ल्लह या मेवा मेरे शहर की सरहद में दाखिल होता, फ़ौरन मिट्टी बन जाता और वो सारी मेहनत बेकार जाती और कोई दाना मुझे

सौतेली बेटी

〽️हज़रत यहिया अलैहिस्सलाम के ज़माना में एक बादशाह था। जिसकी बीवी किसी क़द्र बूढ़िया थी। उस बूढ़िया की पहले ख़ाविंद से एक नौजवान लड़की थी। बुढ़िया को ये ख़ौफ़ हुआ की मैं तो बूढ़िया हो गई हूँ, ऐसा ना हो की ये बादशाह किसी ग़ैर औरत से शादी कर ले और मेरी सल्तनत जाती रहे इसलिए ये बेहतर है के अपनी जवान लड़की से उसका अक़्द कर दूं। इस ख़्याल से एक दिन शादी का इन्तिज़ाम करके हज़रत यहिया अलैहिस्सलाम को बुला कर पूछा की मेरा ये इरादा है।

हज़रत यहिया अलैहिस्सलाम ने फ़रमया की ये निकाह हराम है, जायज़ नहीं। ये फ़रमा कर आप वहाँ से तशरीफ़ ले आए। इस बद ख़याल दुनियादार बूढ़िया को बहुत गुस्सा आया और आपकी दुश्मन हो गई। रात दिन आपके क़त्ल करने का फ़िक्र करती थी।

एक दिन मौक़ा पाकर बादशाह को शराब पिला कर अपनी बेटी को बना कर संवार कर बादशाह के पास ख़लवत में भेज दिया। जब बादशाह अपनी सौतेली बेटी की तरफ़ रागिब हुआ तो बूढ़िया ने कहा की मैं इस काम को खूशी

सुलेमान अलैहिस्सलाम और मलक-उल-मौत

〽️हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के दरबार आली में एक आदमी घबराया हुआ हाज़िर हुआ और अर्ज़ करने लगा- हुज़ूर हवा को हुक्म दीजिए की मुझे सरज़मीन हिन्द में पहुँचा दे।

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- बात क्या हुई? यहाँ से क्यों जाना चाहते हो? वो कहने लगा- हुज़ूर! अभी-अभी मैंने मलक-उल-मौत को देखा है जो मुझे घूर-घूर कर देख रहा था, वो देखिये वो मुझे घूर रहा है। हुज़ूर! मेरी ख़ैर नहीं मुझे अभी हिन्द पहुँचा दीजिए।

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने हवा को हुक्म दिया तो हवा फ़ौरन उसको हिन्द छोड़ आई। थोड़ी देर के बाद मलक-उल-मौत हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के पास आया और अर्ज़ करने लगा- हुज़ूर! सुना आपने उस आदमी का किस्सा? ख़ुदा का मुझे हुक्म था की उस शख़्स की जान सर ज़मीन हिन्द में क़ब्ज़ करो। मैं हैरान था की उसकी जान हिन्द में क़ब्ज़ करने को फ़रमाया गया है और ये यहाँ आपके पास खड़ा है। मैं इसी हैरानी में उसे देख

माँ की ममता

〽️हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के ज़माने में दो औरतें थीं। दोनों की गोंद में दो बेटे थे। वो दोनों कहीं जा रही थीं की रास्ते में एक भेड़िया आया और एक का बच्चा उठा कर ले गया। वो औरत जिसका बच्चा भेड़िया उठा कर ले गया था। दूसरी औरत के बच्चे को छीन कर बोली के ये बच्चा मेरा है। भेड़िया तेरे बच्चे को उठा कर ले गया है। बच्चे की माँ ने कहा- बहन अल्लाह से डर, ये बच्चा तो मेरा है। भेड़िये ने तेरे बच्चे को उठाया है।

उन दोनों में जब झगड़ा बढ़ गया तो दोनों हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की अदालत में हाज़िर हुईं। हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने वो बच्चा बड़ी औरत को दिला दिया, हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम को इस बात की ख़बर हुई तो आपने फ़रमाया- अब्बा जान! एक फ़ैसला मेरा भी है और वो ये है के छुरी मंगवाई जाए मैं उस बच्चे के दो टुकड़े करता हूँ और आधा बड़ी को और आधा छोटी को दे देता हूँ।

ये फ़ैसला सुनकर बड़ी तो ख़ामोश रही और छोटी बोली की हुज़ूर! आप बच्चा बड़ी को ही दे दें लेकिन खुदारा बच्चे

सुलेमान अलैहिस्सलाम का फ़ैसला

〽️हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की अदालत में दो शख़्स हाज़िर हुए, एक ने ये दावा किया कि उस दूसरे शख़्स की बकरियाँ रात को मेरे खेत में घुस गईं और उन्होंने मेरा सारा खेत खा लिया है। हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने ये फ़ैसला दिया के सब बकरियाँ खेत वाले को दे दी जाएँ, उन बकरियों की क़ीमत खेत के नुक़्सान के बराबर थी।

जब वो दोनों शख़्स वापस हुए तो हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम से रास्ते में मुलाक़ात हो गई। उन दोनों ने सुलेमान अलैहिस्सलाम को हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का फ़ैसला सुनाया। हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- इस फ़ैसले से बेहतर एक और फ़ैसला भी है।

उस वक़्त हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की उम्र शरीफ़ ग्यारह बरस की थी। हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने जो सुलेमान अलैहिस्सलाम के वालिद थे, जब अपने साहबज़ादे की ये बात सुनी तो सुलेमान अलैहिस्सलाम को कर दरयाफ़्त फ़रमाया कि बेटा! वो कौन सा फ़ैसला है जो बेहतर है।

सुलेमान अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- वो ये है की बकरियों वाला उस खेत की काश्त करे और जब तक खेती इस

एक अज़ीमुश्शान हुकूमत

〽️हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने एक अज़ीमुश्शान हुकूमत अता फ़रमाई थी और आपके बस में हवा कर दी थी। आप हवा को जहाँ हुक्म फ़रमाते थे वो आप के तख़्त को उड़ा कर वहाँ पहुँचा देती थी। (1, #क़ुरआन करीम पारा-17, रूकू-6 ) और जिन्न व इंसान और परिन्दे सब आपके ताबो और लश्करी थे। (2, #क़ुरआन करीम पारा-19, रूकू-17) आप हैवानात की बोलियाँ भी जानते थे। (3, #क़ुरआन करीम पारा-19, रूकू-17)

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम जब बैत-उल-मुक़द्दस की तामीर से फ़ारिग़ हुए तो आपने हरम शरीफ़ (मक्का मोअज़्ज़मा) पहुँचने का अज्म फ़रमाया।

चुनाँचे तैयारी शुरू हुई और आपने जिन्नों, इंसानों परिन्दों और दीगर जानवरों को साथ चलने का हुक्म दिया। हत्ता की एक बहुत बड़ा लश्कर तैयार हो गया। ये अज़ीम लश्कर तक़रीबन तीस मील में पूरा आया। हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने हुक्म दिया तो हवा ने तख़्त सुलेमान को मअ उस लश्कर अज़ीम के उठाया और फ़ौरन हरम शरीफ़ में पहुँचा दिया।

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम हरम शरीफ में कुछ अर्सा ठहरे। उस अर्से में आप मक्का मोअज़्ज़मा में हर रोज़ पाँच हजार ऊँट, पाँच हज़ार गाय और बीस हजार बकरियाँ ज़िबह फ़रमाते थे और अपने लश्कर में हमारे हुज़ूर सय्यद-उल-अम्बिया सल-लल्लाहु अलैही व सल्लम की बशारत सुनाते रहे और यहीं से एक नबी अर्बी पैदा होंगे जिनके बाद फिर कोई और नबी पैदा ना होगा।

हज़रत सुलेमान अलेहिस्सलाम कुछ अर्से के बाद मक्का मोअज़्ज़मा में मनासिक अदा फ़रमाने के बाद एक सुबह को वहाँ से चल कर सनआ मुल्क यमन में पहुँचे। मक्का मोअज़्ज़मा से सनआ का एक महीने का सफ़र है और आप मक्का से सुबह को रवाना हुए और सनआ ज़वाल के वक्त पहुँच गए। आपने यहाँ भी कुछ अर्सा ठहरने का इरादा फ़रमाया। यहाँ पहुँच कर परिन्दा हुद-हुद एक रोज ऊपर उड़ा और बहुत ऊपर पहुँचा और सारी दुनिया के तूल व अर्ज़ को देखा। उसको एक सरसब्ज़ बाग़ नज़र आया, ये बाग़ मल्लिका बिलकिस का था। उसने देखा की उस बाग़

ठंडा चश्मा

〽️हज़रत अय्युब अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने हर तरह की नेअमतें अता फ़रमाई थीं। हुस्ने सूरत भी, कसरत औलाद भी और कसरत अमवाल भी। अल्लाह तआला ने आपको इब्तला में डाला और आपके फ़रजंद व औलाद मकान के गिरने से दबकर मर गए, तमाम जानवर जिनमें हज़ारहा ऊँट और हज़ारहा बकरियाँ थीं सब मर गए, तमाम खेतियाँ और बाग़ात बर्बाद हो गए, कुछ बाक़ी ना रहा और जब आपको उन चीज़ों के हलाक होने और ज़ाए हो जाने की खबर मिलती तो आप हम्द इलाही बजा लाते और फ़रमाते थे मेरा क्या है? जिसका था उसने ले लिया। जब तक मुझे दिया, मेरे पास रहा उसका शुक्र अदा नहीं हो सकता। मैं उसकी मर्जी पर राज़ी हूँ।

फिर आप बीमार हो गए बदन मुबारक पर आबले पड़ गए। जिस्म शरीफ़ सब ज़ख्मों से भर गया। सब लोगों ने छोड़ दिया, बजुज़ आपकी बीबी साहिबा के की वो आपकी ख़िदमत करती रही और ये हालत कितनी मुद्दत तक रही।

आख़िर एक रोज़ हज़रत अय्युब अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दुआ की तो अल्लाह तआला ने फ़रमाया- ऐ अय्युब! तू अपना पाँऊ ज़मीन पर मार, तेरे पैर मारने से एक ठंडा चश्मा निकल आएगा। उसका पानी पीना और उससे नहाना।

चुनाँचे हज़रत अय्युब अलैहिस्स्लाम ने अपना पाँऊ ज़मीन पर मारा तो एक ठंडा चश्मा निकल आया। जिससे आप

पत्थर की ऊँटनी

〽️क़ौम आद की हलाक़त के बाद क़ौम समूद पैदा हुई। ये लोग हिजाज़ व शाम के दरमियान इक़्ताअ में आबाद थे। उनकी उम्र बहुत बड़ी होतीं। पत्थर के मज़बूत मकान बनाते, वो टूट-फूट जाते मगर मकीन बस्तूर बाक़ी रहते।

जब उस क़ौम ने भी अल्लाह की नाफ़रमानी शुरू की तो अल्लाह ने उनकी हिदायत के लिए हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम को मबऊस फ़रमाया। क़ौम ने इंकार करना शुरू किया। बअज़ ग़रीब-ग़रीब लोग आप पर ईमान ले आए। उन लोगों का साल के बाद एक ऐसा दिन आता था, जिसमें ये मेले के तौर पर ईद मनाया करते थे। उसमें दूर-दूर से आकर लोग शरीक होते।

ये मेले का दिन आया तो लोगों ने हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम को भी इस मेले में बुलाया। हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम एक बहुत बड़े मजमें में तबलीगे हक़ की ख़ातिर तशरीफ़ ले गए। क़ौमे समूद के बड़े-बड़े लोगों ने वहाँ हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम से ये कहा कि अगर आपका ख़ुदा सच्चा है और आप उसके रसूल हैं तो हमें कोई मौजज़ा दिखलाईये। आपने फ़रमाया- बोलो! क्या देखना चाहते हो?

उनका सबसे बड़ा सरदार बोला- वो सामने जो पहाड़ी नज़र आ रही है, अपने रब से कहिये के उसमें से वो एक

तूफ़ान बाद

〽️क़ौमे आद एक बड़ी ज़बरदस्त कौन थी जो इलाक़ा यमन के एक रेगिस्तान अहक़ाफ़ में रहती थी। उन लोगों ने ज़मीन को फ़िस्क़ो फुजूर से भर दिया था और अपने ज़ोर व क़ुव्वत के ज़ोम में दुनिया की दूसरी क़ौमों को अपनी जफ़ा कारियों से पामाल कर डाला था। ये लोग बुत परस्त थे अल्लाह तआला ने उनकी हिदायत के लिए हज़रत हूद अलैहिस्सलाम को मबऊस फ़रमाया। आपने उनको दर्स तौहीद दिया और ज़ोर व सितम से रोका तो वो लोग आपके मुनकिर और मुख़ालिफ़ हो गए और कहने लगे आज हम से ज़्यादा ज़ोर आवर कौन है?

कुछ लोग हज़रत हूद अलैहिस्सलाम पर ईमान लाए मगर वो बहुत थोड़े थे। क़ौम ने जब हद से ज़्यादा बग़ावत व शिक़ावत का मुज़ाहेरह किया और अल्लाह के पैग़म्बर की मुख़ालफ़त की तो एक सियाह रंग का अब्र आया जो क़ौमे आद पर छा गया। वो लोग देखकर खूश हुए के पानी की ज़रूरत है उससे पानी खूब बरसेगा, मगर उसमें से एक हवा चली वो इस शिद्दत से चली के ऊँटों और आदमियों को उड़ा-उड़ा कर कहीं से कहीं ले जाती थी। ये देखकर वो लोग घरों में दाखिल हुए और दरवाज़े बन्द कर लिए मगर हवा की तेजी से ना बच सके। उसने दरवाज़े

जानवरों की बोलियाँ

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास एक शख़्स हाज़िर हुआ और कहने लगा हुज़ूर! मुझे जानवरों की बोलियाँ सिखा दीजिए, मुझे इस बात का बड़ा शौक़ है। आपने फ़रमाया के तुम्हारा ये शौक़ अच्छा नहीं तुम इस बात को रहने दो। उसने कहा- आपका इसमें क्या नुक़्सान है, हुज़ूर मेरा एक शौक़ है उसे पूरा कर ही दीजिए।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला से अर्ज़ की कि मौला ये बन्दा मुझ से इस बात का इसरार कर रहा है, इर्शाद फ़रमा की मैं क्या करूँ? हुक्म इलाही हुआ कि जब ये शख़्स बाज़ नहीं आता तो तुम उसे जानवरों की बोलियाँ सिखा दो।

चुनाँचे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसे जानवरों की बोलियाँ सिखा दी। उस शख़्स ने एक मुर्ग़ और एक कुत्ता पाल रखा था। एक दिन खाना खाने के बाद उसकी खादिमा ने दसतरख़्वान जो झाड़ा तो रोटी का एक टुकड़ा गिरा। उसका कुत्ता और मुर्ग़ दोनों उसकी तरफ लपके और वो रोटी का टुकड़ा उस मुर्ग ने उठा लिया। कुत्ते ने उस मुर्ग़ से कहा- अरे ज़ालिम मैं भुखा था, ये टुकड़ा मुझे खा लेने देता। तेरी खूराक तो दाना दुनका है मगर तूने ये टुकड़ा भी ना छोड़ा। मुर्ग़ बोला- घबराओ नहीं कल हमारे मालिक का ये बैल मर जाएगा, तुम कल जितना चाहोगे उसका गोश्त खा लेना। उस शख़्स ने उनकी ये गुफ़्तगू सुन कर बैल को फ़ौरन बेच डाला वो बैल दूसरे दिन मर तो गया लेकिन नुक़्सान खरीदार का हुआ और ये शख़्स नुक़्सान से बच गया।

दूसरे दिन कुत्ते ने मुर्ग़ से कहा बड़े झूटे हो तुम ख़्वाह-म-ख्वाह मुझे आज की उम्मीद में रखा बताओ कहाँ है वो बैल

हज़रत मूसा व हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने एक मर्तबा बनी इस्राईल में बड़ा फ़सीह व बलीग वाज़ फ़रमाया और ये भी फ़रमाया कि इस वक़्त मैं बहुत बड़ा आलिम हूँ। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का ये फ़रमाना ख़ुदा को ना भाया और हज़रत मूसा से फ़रमाया- ऐ मूसा! तुम से ज़्यादा आलिम मेरा बन्दा ख़िज़्र है। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने हज़रत ख़िज़्र से मुलाक़ात का शौक़ ज़ाहिर किया और ख़ुदा से इजाज़त लेकर हज़रत ख़िज़्र को मिलने के लिए रवाना हो गए।

ख़ुदा ने मदद फ़रमाई और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ख़िज़्र अलैहिस्सलाम को पा लिया और उनसे कहा कि मैं आपके साथ रहना चाहता हूँ ताकी आपके इल्म से मैं भी कुछ मुसतफ़ीद हूँ। हज़रत ख़िज़्र ने जवाब दिया कि आप मेरे साथ रहकर कई ऐसी बातें देखेंगे की आप उन पर सब्र ना कर सकेंगे। हज़रत मूसा ने फ़रमाया- नहीं, मैं सब्र करूंगा आप मुझे अपने साथ रहने दीजिए। ख़िज़्र अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तो फिर मैं चाहे कुछ करूं आप मेरी किसी बात में दखल ना दें। फ़रमाया- मंजूर है और आप साथ रहने लगे।

एक रोज़ दोनों चले और कश्ती पर सवार हुए, कश्ती वाले ने हज़रत ख़िज़्र को पहचान कर मुफ़्त बैठा लिया मगर हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम ने उसकी कश्ती को एक जानिब से तोड़ दिया और ऐबदार कर दिया। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ये बात देखकर बोल उठे के जनाब ये आपने क्या किया? की एक ग़रीब शख़्स की जिसने बैठाया भी हमें मुफ़्त है, आपने कश्ती तोड़ दी।

हज़रत ख़िज़्र बोले- मूसा! मैं ना कहता था कि आप से सब्र ना हो सकेगा और मेरी बातों में आप दखल दिए बग़ैर ना रह सकेंगे। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया ये मुझ से भूल हो गई है, आईंदा मोहतात रहूंगा। फिर चले तो रस्ते में एक लड़का मिला। हज़रत ख़िज़्र ने उस लड़के को क़त्ल कर डाला हज़रत मूसा फिर बोल उठे कि ऐ ख़िज़्र!

क़ातिल का सुराग़

〽️बनी इस्राईल में एक मालदार शख़्स था। उसके चचा ज़ाद भाई ने बत्मऐ वारिस उसको क़त्ल करके शहर से बाहर फेंक दिया और सुबह को उसके खून का मुद्दई बन कर वावेला करने लगा।

लोगों ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से अर्ज़ किया कि आप दुआ फ़रमाएँ के अल्लाह तआला असल बात को ज़ाहिर फ़रमाए। उस पर ख़ुदा का हुक्म ये हुआ कि एक गाय ज़िबह करो और उस गाय का एक टुकड़ा उस मक़्तूल पर मारो तो मक़्तूल ज़िन्दा होकर खुद ही बता देगा के उसका क़ातिल कौन है?

लोगों ने ये बात सुन कर हैरान होकर पूछा कि क्या मज़ाक़ तो नहीं? हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- मआज़ अल्लाह! क्या मैं कोई ऐसी फ़िज़ूल बात करूंगा। मैं बिल्कुल सही कह रहा हूँ। लोगों ने पूछा तो फिर फ़रमाईये गाय कैसी हो? हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- ख़ुदा फ़रमाता है कि ना बहुत बूढ़ी और न बिल्कुल नौ उम्र बल्कि उन दोनों के बीच में हो। लोगों ने कहा- ख़ुदा से ये भी पूछ दीजिए कि उसका रंग क्या हो? फ़रमाया- ख़ुदा फ़रमाता है कि ऐसी पीली गाय हो जिसकी रंगत डबडबाती और देखने वालों को खूश कर देने वाली हो। लोगों ने फिर कहा की गाए की हर हैसियत के मुतअल्लिक ज़रा तफ़सील से पूछ दीजिए, ऐसा ना हो के हम से कोई गलती हो जाए। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- खुदा फ़रमाता है कि ऐसी गाय हो जिस से कोई ख़िदमत ना ली गई हो ना हल जोती गई हो ना उससे खेती को पानी दिया गया हो और बेऐब हो जिसमें कोई दाग़ ना हो।

अब वो लोग इस किस्म की गाय की तलाश करने लगे मगर ऐसी गाय का मिलना मुश्किल था। हाँ एक गाय के मुतअल्लिक उन्हें पता चला के वो गाए उन सिफ़ात से मोसूफ है।

वो गाय एक यतीम बच्चे की गाय थी और उस का किस्सा ये था की बनी इस्राईल में एक सालेह आदमी था। जिसका

सामरी सुनार

〽️बनी इस्राईल में सामरी नाम का एक सुनार था। ये क़बीला सामरा की तरफ़ मनसूब था और ये क़बीला गाय की शक्ल के बुत का पूजारी था। सामरी जब बनी इस्राईल की क़ौम में आया तो उनके साथ बज़ाहिर ये भी मुसलमान हो गया, मगर दिल में “गाए की पूजा" की मोहब्बत रखता था।

चुनाँचे जब बनी इस्राईल दरिया से पार हुए और बनी इस्राईल ने एक बुत परस्त क़ौम को देखकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से अपने लिए भी एक बुत की तरह का ख़ुदा बनाने की दरख़्वास्त की और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम उस बात पर नाराज़ हुए तो सामरी मौके की तलाश में रहने लगा।

चुनाँचे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम तौरात लाने के लिए कोहे तूर पर तशरीफ़ ले गए तो मौक़ा पाकर सामरी ने बहुत सा ज़ेवर पिघला कर सोना जमा किया और उससे एक गाए का बुत तैयार किया और फिर उसने कुछ खाक उस गाए के बुत में डाली तो वो गाए के बछड़े की तरह बोलने लगा और उसमें जान पैदा हो गई। सामरी ने बनी इस्राईल में उस बछड़े की परसतिश शुरू करा दी और बनी इस्राईल उस बछड़े के पुजारी बन गए।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम जब कोहे तूर से वापस तशरीफ़ लाए। तो क़ौम का ये हाल देख कर बड़े गुस्से में आए और सामरी से दरयाफ़्त फ़रमाया कि ऐ सामरी! ये तूने क्या किया? सामरी ने बताया कि मैंने दरिया से पार होते वक़्त जिब्राईल को घोड़े पर सवार देखा था और मैंने देखा के जिब्राईल के घोड़े के कदम जिस जगह पर पड़ते हैं वहाँ सब्जा उग आता है। मैंने उस घोड़े के क़दम की जगह से कुछ खाक उठा ली और वो खाक मैंने बछड़े के बुत में डाल दी तो ये ज़िन्दा हो गया है और मुझे यही बात अच्छी लगी है। मैं जो कुछ किया है,अच्छा किया है।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमया- अच्छा तो जा, दूर हो जा। अब इस दुनिया में तेरी सज़ा ये है कि तू हर एक

बनी इस्राईल की गुमराही

〽️बनी इस्राईल ने हज़रत मूसा अलैहिस्लाम की मईयत में फ़िरऔन से निजात पा ली और दरिया को उबूर कर के जब पार हो गए तो उनका गुज़र एक बुत परस्त क़ौम पर हुआ, जो बुतों के आगे आसन मारे बैठे थे और उन बुतों को पूज रहे थे, ये बुत गाय की शक्ल के थे।

बनी इस्राईल हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से कहने लगे कि ऐ मूसा! जिस तरह उन लोगों लिए इतने ख़ुदा हैं, इसी तरह हमें भी आप एक ख़ुदा बना दें।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया जाहिलों! ये क्या बकने लगे हो? ये बुत परस्त तो बर्बादी व हलाकत के हाल में हैं और जो कुछ कर रहे हैं, बिल्कुल बातिल है। क्या मैं एक अल्लाह के सिवा कोई दूसरा ख़ुदा तुम्हारे लिए तलाश

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और एक बूढ़िया

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम दरिया पार करने के लिए जब किनारे दरिया तक पहुँचे तो सवारी के जानवरों के मुंह अल्लाह ने फैर दिए के खुदबखुद वापस पलट आए। मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज की इलाही ये क्या हाल है?

इर्शाद हुआ तुम क़ब्र यूसुफ़ के पास हो, उनका जिस्म मुबारक अपने साथ ले लो।

मूसा अलैहिस्सलाम को क़ब्र का पता मालूम ना था। फ़रमाया- क्या तुम में कोई जानता है? शायद बनी इस्राईल की बूढ़िया को मालूम हो। उसके पास आदमी भेजा की तुझे यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की क़ब्र मालूम है?

उसने कहा- हाँ मालूम है। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया। तू मुझे बता दे। वो बोली ख़ुदा की क़सम मैं ना बताऊंगी। जब तक की जो कुछ मैं आप से माँगू, आप मुझे अता ना फरमाएँ।

मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- तेरी अर्ज़ क़बूल है, माँग क्या माँगती है? वो बूढ़िया बोली तो हुज़ूर से मैं ये माँगती हूँ के जन्नत में मैं आपके साथ हूँ, उस दर्जे में जिसमें आप होंगे।

मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- जन्नत माँग ले यानी तुझे यही काफी है, इतना बड़ा सवाल ना कर। बूढ़िया बोली-

नमक हराम ग़ुलाम

〽️एक मर्तबा जिब्राईल अलैहिस्सलाम फ़िरऔन के पास एक इसतफ़्तआ लाए जिसका मज़मून ये था कि बादशाह का क्या हुक्म है ऐसे गुलाम के हक़ में जिसने एक शख़्स के माल व नेअमत में परवरिश पाई, फिर उसकी नाशुक्री की और उसके हक़ में मुनकिर हो गया और अपने आप मौला होने का मुद्दई बन गया?

इस पर फ़िरऔन ने ये जवाब लिखा कि जो नमक हराम ग़ुलाम अपने आक़ा की नेअमतों का इंकार करे और उसके मुक़ाबिल आए, उसकी सज़ा ये है के उसको दरिया में डुबो दिया गया।

चुनाँचे फ़िरऔन जब खुद दरिया में डूबने लगा तो हज़रत जिब्राईल ने उसका वही फ़तवा उसके सामने कर दिया और उसको उसने पहचान लिया।

#(खज़ायन-उल-इर्फ़ान, सफ़ा-311)


🌹सबक़ ~
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इंसान अगर अपने ग़ुलाम की नाफ़रमानी पर गुस्से में आ जाता है और उसे सज़ा देता है तो फिर वो खुद भी अगर मालिके हक़ीक़ी का नाफ़रमान होगा तो सज़ा भुगतने के लिए तैयार रहे।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 95-96, हिकायत नंबर- 82
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

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फ़िरऔन की हलाकत

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फ़िरऔन और फ़िरऔनियों के ईमान न लाने से मायूस हो गए तो आपने उनकी हलाकत की दुआ की और कहा "ऐ रब हमारे! उनके माल बर्बाद कर दे और उनके दिल सख़्त कर दे के ईमान ना लायें। जब तक दर्दनाक अज़ाब ना देख लें।"

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की ये दुआ क़बूल हुई और ख़ुदा ने उन्हें हुक्म दिया के वो बनी इस्राईल को लेकर रातों-रात शहर से निकल जाएँ।

चुनाँचे मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने क़ौम को निकल चलने का हुक्म सुनाया और बनी इस्राईल की औरतें फ़िरऔनी औरतों के पास गईं और उनसे कहने लगीं की हमें एक मेले में शरीक होना है, वहाँ पहन कर जाने के लिए हमें मुसतआर तौर पर अपने जेवरात दे दो।

चुनाँचे फ़िरऔनी औरतों ने अपने-अपने जेवरात उन बनी इस्राईल की औरतों को दे दिए और फिर सब बनी इस्राईल औरतों और बच्चों समेत हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के साथ रातों-रात निकल गए। उन सब मर्दों, औरतों, छोटों, बड़ों की तअदाद छः लाख थी।

फ़िरऔन को जब उस बात की ख़बर पहुँची तो वो भी रातों-रात ही पीछा करने के लिए तैयार हो गया और अपनी सारी क़ौम को लेकर बनी इस्राईल के पीछे निकल पड़ा। फ़िरऔनियों की तअदाद बनी इस्राईल की तअदाद से दोगूनी थी। सुबह होते ही फ़िरऔन के लश्कर ने बनी इस्राईल का पा लिया।

बनी इस्राईल ने देखा की पीछे फ़िरऔन मअ लश्कर के आ रहा है और आगे दरिया भी आ गया है तो उन्होंने मूसा

खून ही खून

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बद्-दुआ से फ़िरऔनियों पर जूओं और मेण्डकों का अज़ाब नाज़िल हुआ और फिर आपकी दुआ से वो अज़ाब दफ़ऐ हो गया, मगर फ़िरऔनी फिर भी ईमान ना लाए और कुफ़्र पर क़ायम रहे। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फिर बद्-दुआ फ़रमाई तो तमाम कुओं का पानी, नहरों का और चश्मों का पानी, दरयाए नील का पानी, गर्ज़ हर पानी उनके लिए ताज़ा खून बन गया और वो इस नई मुसीबत से बहुत ही परेशान हुए। जो पानी भी उठाते, उनके लिए खून बन जाता और क़ुद्रते ख़ुदा का करिशमा देखिये की बनी इस्राईल के लिए पानी, पानी ही था। मगर फ़िरऔनियों के लिए हर पानी खून बन गया था।

आखिर तंग आकर फ़िरऔनियों ने बनी इस्राईल के साथ मिल कर एक ही बर्तन से पानी लेने का इरादा किया तो जब बनी इस्राईल निकालते तो पानी निकलता और फ़िरऔनी निकालते तो उसी बर्तन से खून निकलता। यहाँ तक की फ़िरऔनी औरतें प्यास से तंग आकर बनी इस्राईल की औरतों के पास आईं और उनसे पानी माँगा तो वो पानी उनके बर्तन में आते ही खून हो गया तो फ़िरऔनी औरत कहने लगी की पानी अपने मुंह में लेकर मेरे मुंह में कुल्ली

जुएँ और मेण्ढक

〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बद्-दुआ से फ़िरऔनियों पर टिड्डी दल का अज़ाब आ गया और वो फ़िरऔनियों की सब खेतियाँ, दरख़्त, फल और उनके घरों के दरवाज़े और छत तक खा गईं। फ़िरऔनियों ने आजिज़ आकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से ये अज़ाब टल जाने की इलतिजा की और हज़रत मूसा पर ईमान लाने का वादा किया। हज़रत मूसा ने दुआ की और आपकी दुआ से ये अज़ाब टल गया, मगर फ़िरऔनी अपने अहेद पर क़ायम ना रहे और ईमान ना लाए। उस पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फिर बद्-दुआ फ़रमाई और फ़िरऔनियों पर जुओं का अज़ाब नाज़िल हो गया। ये जूएँ फ़िरऔनियों के कपड़ों में घुस कर उनके जिस्मों को काटतीं और उनके खाने में भर जाती थीं और घुन की शक्ल में उनके गेहूं की बोरियों में फैल कर उनके गेहूं को तबाह करने लगीं। अगर कोई दस बोरी गंदम की चकी पर ले जाता तो तीन सेर वापस लाता और फ़िरऔनियों के जिस्मों पर उस कसरत से चलने लगीं के उनके बाल, भवें, पलकें चाट के जिस्म पर चेचक की तरह दाग कर दिए और उन्हें सोना दुशवार कर दिया।

ये मुसीबत देख कर उन्होंने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से ये बला टल जाने की इलतिजा की और ईमान लाने का वादा किया। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने दुआ की और ये भी बला टल गई। मगर वो काफ़िर अपने अहेद पर