〽️हज़रत
अय्युब अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने हर तरह की नेअमतें अता फ़रमाई थीं।
हुस्ने सूरत भी, कसरत औलाद भी और कसरत अमवाल भी। अल्लाह तआला ने आपको
इब्तला में डाला और आपके फ़रजंद व औलाद मकान के गिरने से दबकर मर गए, तमाम
जानवर जिनमें हज़ारहा ऊँट और हज़ारहा बकरियाँ थीं सब मर गए, तमाम खेतियाँ
और बाग़ात बर्बाद हो गए, कुछ बाक़ी ना रहा और जब आपको उन चीज़ों के हलाक होने
और ज़ाए हो जाने की खबर मिलती तो आप हम्द इलाही बजा लाते और फ़रमाते थे मेरा
क्या है? जिसका था उसने ले लिया। जब तक मुझे दिया, मेरे पास रहा उसका शुक्र
अदा नहीं हो सकता। मैं उसकी मर्जी पर राज़ी हूँ।
फिर आप बीमार हो गए बदन मुबारक पर आबले पड़ गए। जिस्म शरीफ़ सब ज़ख्मों से भर गया। सब लोगों ने छोड़ दिया, बजुज़ आपकी बीबी साहिबा के की वो आपकी ख़िदमत करती रही और ये हालत कितनी मुद्दत तक रही।
आख़िर एक रोज़ हज़रत अय्युब अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दुआ की तो अल्लाह तआला ने फ़रमाया- ऐ अय्युब! तू अपना पाँऊ ज़मीन पर मार, तेरे पैर मारने से एक ठंडा चश्मा निकल आएगा। उसका पानी पीना और उससे नहाना।
चुनाँचे हज़रत अय्युब अलैहिस्स्लाम ने अपना पाँऊ ज़मीन पर मारा तो एक ठंडा चश्मा निकल आया। जिससे आप नहाए और पानी पिया तो आपका तमाम मर्ज़ जाता रहा।
( #क़ुरआन करीम पारा-23, रूकू-12 ; ख़ज़ायन-उल-इर्फ़ान सफ़ा-464 )
🌹सबक़ ~
=========
अल्लाह वाले मसायब व आलाम और बीमारियों में घिर कर भी अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं और उसका शिकवा नहीं करते और अल्लाह के मक़्बूलों के पाँऊ में भी ये बर्कत है कि वो पाँऊ मारें तो ऐसा चश्मा निकल आए जिसका पानी दाफ़अ-ए-अलबला हो फिर जो उन मक़्बूलाने हक़ के फ़यूज़ व बरकात का इंकार करता है, किस क़द्र जाहिल व बदबख़्त है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 106-107, हिकायत नंबर- 91
फिर आप बीमार हो गए बदन मुबारक पर आबले पड़ गए। जिस्म शरीफ़ सब ज़ख्मों से भर गया। सब लोगों ने छोड़ दिया, बजुज़ आपकी बीबी साहिबा के की वो आपकी ख़िदमत करती रही और ये हालत कितनी मुद्दत तक रही।
आख़िर एक रोज़ हज़रत अय्युब अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दुआ की तो अल्लाह तआला ने फ़रमाया- ऐ अय्युब! तू अपना पाँऊ ज़मीन पर मार, तेरे पैर मारने से एक ठंडा चश्मा निकल आएगा। उसका पानी पीना और उससे नहाना।
चुनाँचे हज़रत अय्युब अलैहिस्स्लाम ने अपना पाँऊ ज़मीन पर मारा तो एक ठंडा चश्मा निकल आया। जिससे आप नहाए और पानी पिया तो आपका तमाम मर्ज़ जाता रहा।
( #क़ुरआन करीम पारा-23, रूकू-12 ; ख़ज़ायन-उल-इर्फ़ान सफ़ा-464 )
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📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 106-107, हिकायत नंबर- 91
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
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