〽️हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के दरबार आली में एक आदमी घबराया हुआ हाज़िर हुआ और अर्ज़ करने लगा- हुज़ूर हवा को हुक्म दीजिए की मुझे सरज़मीन हिन्द में पहुँचा दे।

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- बात क्या हुई? यहाँ से क्यों जाना चाहते हो? वो कहने लगा- हुज़ूर! अभी-अभी मैंने मलक-उल-मौत को देखा है जो मुझे घूर-घूर कर देख रहा था, वो देखिये वो मुझे घूर रहा है। हुज़ूर! मेरी ख़ैर नहीं मुझे अभी हिन्द पहुँचा दीजिए।

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने हवा को हुक्म दिया तो हवा फ़ौरन उसको हिन्द छोड़ आई। थोड़ी देर के बाद मलक-उल-मौत हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के पास आया और अर्ज़ करने लगा- हुज़ूर! सुना आपने उस आदमी का किस्सा? ख़ुदा का मुझे हुक्म था की उस शख़्स की जान सर ज़मीन हिन्द में क़ब्ज़ करो। मैं हैरान था की उसकी जान हिन्द में क़ब्ज़ करने को फ़रमाया गया है और ये यहाँ आपके पास खड़ा है। मैं इसी हैरानी में उसे देख रहा था की खुद ही उसने हिन्द जाने की तमन्ना जाहिर कर दी।

चुनाँचे इधर आपने हवा को हुक्म दिया और वो उड़ा कर हिन्द ले गई और उधर मैं उसके पीछे गया और जिस वक़्त वो सर ज़मीन हिन्द पर उतरा है, उसका वक़्त आ चुका था। उसी वक़्त मैंने वहाँ उसकी जान कब्ज़ कर ली।

( #मसनवी_शरीफ )


🌹सबक़ ~
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मौत से भागना मुश्किल है जहाँ पहुँचो ये आ जाएगी।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 115, हिकायत नंबर- 95
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

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