〽️बनी
इस्राईल में एक मालदार शख़्स था। उसके चचा ज़ाद भाई ने बत्मऐ वारिस उसको
क़त्ल करके शहर से बाहर फेंक दिया और सुबह को उसके खून का मुद्दई बन कर
वावेला करने लगा।
लोगों ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से अर्ज़ किया कि आप दुआ फ़रमाएँ के अल्लाह तआला असल बात को ज़ाहिर फ़रमाए। उस पर ख़ुदा का हुक्म ये हुआ कि एक गाय ज़िबह करो और उस गाय का एक टुकड़ा उस मक़्तूल पर मारो तो मक़्तूल ज़िन्दा होकर खुद ही बता देगा के उसका क़ातिल कौन है?
लोगों ने ये बात सुन कर हैरान होकर पूछा कि क्या मज़ाक़ तो नहीं? हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- मआज़ अल्लाह! क्या मैं कोई ऐसी फ़िज़ूल बात करूंगा। मैं बिल्कुल सही कह रहा हूँ। लोगों ने पूछा तो फिर फ़रमाईये गाय कैसी हो? हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- ख़ुदा फ़रमाता है कि ना बहुत बूढ़ी और न बिल्कुल नौ उम्र बल्कि उन दोनों के बीच में हो। लोगों ने कहा- ख़ुदा से ये भी पूछ दीजिए कि उसका रंग क्या हो? फ़रमाया- ख़ुदा फ़रमाता है कि ऐसी पीली गाय हो जिसकी रंगत डबडबाती और देखने वालों को खूश कर देने वाली हो। लोगों ने फिर कहा की गाए की हर हैसियत के मुतअल्लिक ज़रा तफ़सील से पूछ दीजिए, ऐसा ना हो के हम से कोई गलती हो जाए। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- खुदा फ़रमाता है कि ऐसी गाय हो जिस से कोई ख़िदमत ना ली गई हो ना हल जोती गई हो ना उससे खेती को पानी दिया गया हो और बेऐब हो जिसमें कोई दाग़ ना हो।
अब वो लोग इस किस्म की गाय की तलाश करने लगे मगर ऐसी गाय का मिलना मुश्किल था। हाँ एक गाय के मुतअल्लिक उन्हें पता चला के वो गाए उन सिफ़ात से मोसूफ है।
वो गाय एक यतीम बच्चे की गाय थी और उस का किस्सा ये था की बनी इस्राईल में एक सालेह आदमी था। जिसका एक छोटी उम्र का बच्चा था और उसके पास सिवाए एक गाय के बच्चे के कुछ ना रहा था। उसने उस बछिया की गर्दन पर मोहर लगा कर उसे छोड़ दिया और बारगाह हक़ में अर्ज़ किया कि ऐ अल्लाह! मैं उस बछिया को अपने बेटे के लिए तेरे पास अमानत रखता हूँ। मेरा बेटा जब बड़ा हो जाए तो ये उसके काम आए। उस मर्द सालेह का तो इन्तिक़ाल हो गया और बछिया जंगल में परवरिश पाती रही।
ये लड़का जब बड़ा हुआ तो बाप की तरह सालेह और नेक निकला। अपनी माँ का बड़ा फ़रमाँबरदार था। एक रोज़ उसकी माँ ने कहा। बेटा! तेरे बाप ने फलाँ जंगल में तेरे लिए एक बछिया छोड़ दी है। वो अब जवान हो गई होगी। उसको जंगल से ले आ और अल्लाह से दुआ कर की वो तुझे तेरी अमानत अता फ़रमा दे।
चुनाँचे वो लड़का जंगल पहुँचा और अपनी गाय को देख कर माँ की बताई हुई निशानियाँ उसमें पाकर उसे पहचान लिया और ख़ुदा की क़सम देकर उसे बुलाया तो गाय फ़ौरन हाज़िर हो गयी।
वो उसे लेकर माँ के पास पहुँचा। माँ ने हुक्म दिया कि जाओ उसे बाज़ार में ले जाकर तीन दीनार पर बेच आओ और शर्त ये की के जब सौदा हो जाए, तो एक बार फिर मुझ से पूछ लिया जाए। उस ज़माने में गाय की क़ीमत तीन दीनार तक ही होती थी वो लड़का गाय लेकर बाज़ार पहुँचा तो एक फ़रिश्ता ख़रीदार की शक्ल में आया और उस गाय की कीमत छः दीनार लगा दी, मगर उस शर्त से के लड़का अपनी माँ से इजाज़त लेने ना जाए यहीं खड़े-खड़े खुद ही बेच डाले। लड़के ने मंज़ूर ना किया और कहा के माँ से इजाज़त लिए बग़ैर मैं हर गिज़ कोई सौदा ना करूँगा। फिर घर आकर माँ को सारा किस्सा सुनाया। माँ ने छः दीनार पर गाय बेच देने की इजाज़त तो दे दी, मगर दोबारा बीये हो जाने के बाद फिर अपनी मर्ज़ी दरयाफ़्त कर लेने की पाबंदी लगा दी। वो लड़का फिर बाज़ार में आया और वही फ़रिश्ता खरीदार बन कर आया और बारह दीनार कीमत लगा दी, मगर शर्त पर के लड़का माँ से इजाज़त लेने ना जाए। लड़के ने ये बात फिर ना मंजूर कर दी और माँ से आकर सारा हाल कह दिया। माँ समझ गई के ये ख़रीदार कोई फ़रिश्ता है जो आज़माईश के लिए आता है। लड़के से कहा के अब जो वो ख़रीदार आए तो उससे कहना के आप हमें ये गाय बेचने की इजाज़त देते हैं या नहीं? लड़के ने यही बात उस ख़रीदार से कह दी तो फ़रिश्ते ने कहा कि अभी इस गाय को रोके रखो। जब बनी इस्राईल खरीदने आएँ तो उसकी क़ीमत ये मुक़र्रर करना कि उसकी खाल को सोने से भर दिया जाए।
लड़का गाय को घर वापस ले आया। ये गाय ही एक ऐसी गाय थी, जिसमें ख़ुदा की बताई हुई सारी सिफ़ात पाई जाती थीं और जिसकी बनी इस्राईल को तलाश थी।
चुनाँचे बनी इस्राईल को उस गाय का पता चला तो मकान पर पहुँचे तो उस गाय की यही कीमत मुक़र्रर हुई की उसकी खाल को सोने से भर दिया जाए और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की ज़मानत पर वो गाय बनी इस्राईल के सपुर्द कर दी गई और बनी इस्राईल ने उसे ज़िबह कर के उस गोश्त का एक टुकड़ा। उस मक़्तूल की लाश पर मारा तो वो ज़िन्दा होकर कहने लगा कि मुझे मेरे चचा ज़ाद भाई ने क़त्ल किया है। चुनाँचे कातिल को भी इक़्रार करना पड़ गया और वो पकड़ा गया।
( #क़ुरआन करीम पारा-1, रूकू 9-8; रूह-उल-बयान सफ़ा-109, जिल्द-1 )
🌹सबक़ ~
=========
ख़ुदा की बताई हुई गाय के टुकड़े में अगर इतनी बर्कत है की मुर्दे से लग जाए तो वो जिन्दा हो जाए तो जो ख़ुदा के मक़्बूल बन्दे हैं उनके वजूद बाजूद में क्यों ना लाखों बर्कतें और करामतें होंगी और क्यों ना उनके इशारे ही से मुर्दों को ज़िन्दगी मिलती होती?
ये भी मालूम हुआ के ज़ालिम लाख छुपा कर ज़ुल्म करे मगर उसका पोल खुल कर ही रहेगा और जिस तरह हिकमत रब्बानी से बनी इस्राईल के मक़्तूल के क़ातिल का पता चल गया। इसी तरह कल कयामत के दिन हिकमते रब्बी से हर ज़ालिम का पता चल जाएगा और ये भी मालूम हुआ के माँ का वजूद बड़ी नेअमत है और उसकी रज़ाई जोई से दीन व दुनिया की बेहतरी हासिल होती है और ये भी मालूम हुआ की ये गाय मअबूद नहीं है, मअबूद सिर्फ़ अल्लाह ही है। बनी इस्राईल ने चूँकि सामरी के बनाए हुए गाय की पूजा की थी। इसलिए अल्लाह ने उन्हीं के हाथों एक गाय ही को जिबह कराया ताकी उन्हें पता चल जाए के असल मअबूद तो वो है जो उस गाय को ज़िबह करने का हुक्म दे रहा है।
लोगों ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से अर्ज़ किया कि आप दुआ फ़रमाएँ के अल्लाह तआला असल बात को ज़ाहिर फ़रमाए। उस पर ख़ुदा का हुक्म ये हुआ कि एक गाय ज़िबह करो और उस गाय का एक टुकड़ा उस मक़्तूल पर मारो तो मक़्तूल ज़िन्दा होकर खुद ही बता देगा के उसका क़ातिल कौन है?
लोगों ने ये बात सुन कर हैरान होकर पूछा कि क्या मज़ाक़ तो नहीं? हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- मआज़ अल्लाह! क्या मैं कोई ऐसी फ़िज़ूल बात करूंगा। मैं बिल्कुल सही कह रहा हूँ। लोगों ने पूछा तो फिर फ़रमाईये गाय कैसी हो? हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- ख़ुदा फ़रमाता है कि ना बहुत बूढ़ी और न बिल्कुल नौ उम्र बल्कि उन दोनों के बीच में हो। लोगों ने कहा- ख़ुदा से ये भी पूछ दीजिए कि उसका रंग क्या हो? फ़रमाया- ख़ुदा फ़रमाता है कि ऐसी पीली गाय हो जिसकी रंगत डबडबाती और देखने वालों को खूश कर देने वाली हो। लोगों ने फिर कहा की गाए की हर हैसियत के मुतअल्लिक ज़रा तफ़सील से पूछ दीजिए, ऐसा ना हो के हम से कोई गलती हो जाए। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- खुदा फ़रमाता है कि ऐसी गाय हो जिस से कोई ख़िदमत ना ली गई हो ना हल जोती गई हो ना उससे खेती को पानी दिया गया हो और बेऐब हो जिसमें कोई दाग़ ना हो।
अब वो लोग इस किस्म की गाय की तलाश करने लगे मगर ऐसी गाय का मिलना मुश्किल था। हाँ एक गाय के मुतअल्लिक उन्हें पता चला के वो गाए उन सिफ़ात से मोसूफ है।
वो गाय एक यतीम बच्चे की गाय थी और उस का किस्सा ये था की बनी इस्राईल में एक सालेह आदमी था। जिसका एक छोटी उम्र का बच्चा था और उसके पास सिवाए एक गाय के बच्चे के कुछ ना रहा था। उसने उस बछिया की गर्दन पर मोहर लगा कर उसे छोड़ दिया और बारगाह हक़ में अर्ज़ किया कि ऐ अल्लाह! मैं उस बछिया को अपने बेटे के लिए तेरे पास अमानत रखता हूँ। मेरा बेटा जब बड़ा हो जाए तो ये उसके काम आए। उस मर्द सालेह का तो इन्तिक़ाल हो गया और बछिया जंगल में परवरिश पाती रही।
ये लड़का जब बड़ा हुआ तो बाप की तरह सालेह और नेक निकला। अपनी माँ का बड़ा फ़रमाँबरदार था। एक रोज़ उसकी माँ ने कहा। बेटा! तेरे बाप ने फलाँ जंगल में तेरे लिए एक बछिया छोड़ दी है। वो अब जवान हो गई होगी। उसको जंगल से ले आ और अल्लाह से दुआ कर की वो तुझे तेरी अमानत अता फ़रमा दे।
चुनाँचे वो लड़का जंगल पहुँचा और अपनी गाय को देख कर माँ की बताई हुई निशानियाँ उसमें पाकर उसे पहचान लिया और ख़ुदा की क़सम देकर उसे बुलाया तो गाय फ़ौरन हाज़िर हो गयी।
वो उसे लेकर माँ के पास पहुँचा। माँ ने हुक्म दिया कि जाओ उसे बाज़ार में ले जाकर तीन दीनार पर बेच आओ और शर्त ये की के जब सौदा हो जाए, तो एक बार फिर मुझ से पूछ लिया जाए। उस ज़माने में गाय की क़ीमत तीन दीनार तक ही होती थी वो लड़का गाय लेकर बाज़ार पहुँचा तो एक फ़रिश्ता ख़रीदार की शक्ल में आया और उस गाय की कीमत छः दीनार लगा दी, मगर उस शर्त से के लड़का अपनी माँ से इजाज़त लेने ना जाए यहीं खड़े-खड़े खुद ही बेच डाले। लड़के ने मंज़ूर ना किया और कहा के माँ से इजाज़त लिए बग़ैर मैं हर गिज़ कोई सौदा ना करूँगा। फिर घर आकर माँ को सारा किस्सा सुनाया। माँ ने छः दीनार पर गाय बेच देने की इजाज़त तो दे दी, मगर दोबारा बीये हो जाने के बाद फिर अपनी मर्ज़ी दरयाफ़्त कर लेने की पाबंदी लगा दी। वो लड़का फिर बाज़ार में आया और वही फ़रिश्ता खरीदार बन कर आया और बारह दीनार कीमत लगा दी, मगर शर्त पर के लड़का माँ से इजाज़त लेने ना जाए। लड़के ने ये बात फिर ना मंजूर कर दी और माँ से आकर सारा हाल कह दिया। माँ समझ गई के ये ख़रीदार कोई फ़रिश्ता है जो आज़माईश के लिए आता है। लड़के से कहा के अब जो वो ख़रीदार आए तो उससे कहना के आप हमें ये गाय बेचने की इजाज़त देते हैं या नहीं? लड़के ने यही बात उस ख़रीदार से कह दी तो फ़रिश्ते ने कहा कि अभी इस गाय को रोके रखो। जब बनी इस्राईल खरीदने आएँ तो उसकी क़ीमत ये मुक़र्रर करना कि उसकी खाल को सोने से भर दिया जाए।
लड़का गाय को घर वापस ले आया। ये गाय ही एक ऐसी गाय थी, जिसमें ख़ुदा की बताई हुई सारी सिफ़ात पाई जाती थीं और जिसकी बनी इस्राईल को तलाश थी।
चुनाँचे बनी इस्राईल को उस गाय का पता चला तो मकान पर पहुँचे तो उस गाय की यही कीमत मुक़र्रर हुई की उसकी खाल को सोने से भर दिया जाए और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की ज़मानत पर वो गाय बनी इस्राईल के सपुर्द कर दी गई और बनी इस्राईल ने उसे ज़िबह कर के उस गोश्त का एक टुकड़ा। उस मक़्तूल की लाश पर मारा तो वो ज़िन्दा होकर कहने लगा कि मुझे मेरे चचा ज़ाद भाई ने क़त्ल किया है। चुनाँचे कातिल को भी इक़्रार करना पड़ गया और वो पकड़ा गया।
( #क़ुरआन करीम पारा-1, रूकू 9-8; रूह-उल-बयान सफ़ा-109, जिल्द-1 )
🌹सबक़ ~
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ख़ुदा की बताई हुई गाय के टुकड़े में अगर इतनी बर्कत है की मुर्दे से लग जाए तो वो जिन्दा हो जाए तो जो ख़ुदा के मक़्बूल बन्दे हैं उनके वजूद बाजूद में क्यों ना लाखों बर्कतें और करामतें होंगी और क्यों ना उनके इशारे ही से मुर्दों को ज़िन्दगी मिलती होती?
ये भी मालूम हुआ के ज़ालिम लाख छुपा कर ज़ुल्म करे मगर उसका पोल खुल कर ही रहेगा और जिस तरह हिकमत रब्बानी से बनी इस्राईल के मक़्तूल के क़ातिल का पता चल गया। इसी तरह कल कयामत के दिन हिकमते रब्बी से हर ज़ालिम का पता चल जाएगा और ये भी मालूम हुआ के माँ का वजूद बड़ी नेअमत है और उसकी रज़ाई जोई से दीन व दुनिया की बेहतरी हासिल होती है और ये भी मालूम हुआ की ये गाय मअबूद नहीं है, मअबूद सिर्फ़ अल्लाह ही है। बनी इस्राईल ने चूँकि सामरी के बनाए हुए गाय की पूजा की थी। इसलिए अल्लाह ने उन्हीं के हाथों एक गाय ही को जिबह कराया ताकी उन्हें पता चल जाए के असल मअबूद तो वो है जो उस गाय को ज़िबह करने का हुक्म दे रहा है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 98-101, हिकायत नंबर- 86
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