〽️क़ौमे आद एक बड़ी ज़बरदस्त कौन थी जो इलाक़ा यमन के एक रेगिस्तान अहक़ाफ़ में रहती थी। उन लोगों ने ज़मीन को फ़िस्क़ो फुजूर से भर दिया था और अपने ज़ोर व क़ुव्वत के ज़ोम में दुनिया की दूसरी क़ौमों को अपनी जफ़ा कारियों से पामाल कर डाला था। ये लोग बुत परस्त थे अल्लाह तआला ने उनकी हिदायत के लिए हज़रत हूद अलैहिस्सलाम को मबऊस फ़रमाया। आपने उनको दर्स तौहीद दिया और ज़ोर व सितम से रोका तो वो लोग आपके मुनकिर और मुख़ालिफ़ हो गए और कहने लगे आज हम से ज़्यादा ज़ोर आवर कौन है?

कुछ लोग हज़रत हूद अलैहिस्सलाम पर ईमान लाए मगर वो बहुत थोड़े थे। क़ौम ने जब हद से ज़्यादा बग़ावत व शिक़ावत का मुज़ाहेरह किया और अल्लाह के पैग़म्बर की मुख़ालफ़त की तो एक सियाह रंग का अब्र आया जो क़ौमे आद पर छा गया। वो लोग देखकर खूश हुए के पानी की ज़रूरत है उससे पानी खूब बरसेगा, मगर उसमें से एक हवा चली वो इस शिद्दत से चली के ऊँटों और आदमियों को उड़ा-उड़ा कर कहीं से कहीं ले जाती थी। ये देखकर वो लोग घरों में दाखिल हुए और दरवाज़े बन्द कर लिए मगर हवा की तेजी से ना बच सके। उसने दरवाज़े भी उखेड़ दिए और उन लोगों को हलाक़ भी कर दिया।

फिर क़ुद्रते इलाही से कुछ सियाह परिन्दे नमूदार हुए, जिन्होंने उनकी लाशों को उठा कर समुंद्र में फेंक दिया। हज़रत हूद अलैहिस्सलाम अपने चन्द मोमिनों को लेकर क़ौम से जुदा हो गए थे इसलिए वो सलामत रहे।

( #क़ुरआन करीम पारा-8, रूकू-18; खज़ायन-उल-इर्फ़ान सफ़ा-231; रूह-उल-बयान सफ़ा-237 )


🌹सबक़ ~
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ख़ुदा से बग़ावत और उसके रसूल की नाफ़रमानी का एक नतीजा ये भी है कि ये अनासिर अरबआ मिट्टी, पानी आग और हवा भी हमारे लिए अज़ाब बन जाते हैं।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 104-105, हिकायत नंबर- 89
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

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