〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास एक शख़्स हाज़िर हुआ और कहने लगा हुज़ूर! मुझे जानवरों की बोलियाँ सिखा दीजिए, मुझे इस बात का बड़ा शौक़ है। आपने फ़रमाया के तुम्हारा ये शौक़ अच्छा नहीं तुम इस बात को रहने दो। उसने कहा- आपका इसमें क्या नुक़्सान है, हुज़ूर मेरा एक शौक़ है उसे पूरा कर ही दीजिए।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला से अर्ज़ की कि मौला ये बन्दा मुझ से इस बात का इसरार कर रहा है, इर्शाद फ़रमा की मैं क्या करूँ? हुक्म इलाही हुआ कि जब ये शख़्स बाज़ नहीं आता तो तुम उसे जानवरों की बोलियाँ सिखा दो।

चुनाँचे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उसे जानवरों की बोलियाँ सिखा दी। उस शख़्स ने एक मुर्ग़ और एक कुत्ता पाल रखा था। एक दिन खाना खाने के बाद उसकी खादिमा ने दसतरख़्वान जो झाड़ा तो रोटी का एक टुकड़ा गिरा। उसका कुत्ता और मुर्ग़ दोनों उसकी तरफ लपके और वो रोटी का टुकड़ा उस मुर्ग ने उठा लिया। कुत्ते ने उस मुर्ग़ से कहा- अरे ज़ालिम मैं भुखा था, ये टुकड़ा मुझे खा लेने देता। तेरी खूराक तो दाना दुनका है मगर तूने ये टुकड़ा भी ना छोड़ा। मुर्ग़ बोला- घबराओ नहीं कल हमारे मालिक का ये बैल मर जाएगा, तुम कल जितना चाहोगे उसका गोश्त खा लेना। उस शख़्स ने उनकी ये गुफ़्तगू सुन कर बैल को फ़ौरन बेच डाला वो बैल दूसरे दिन मर तो गया लेकिन नुक़्सान खरीदार का हुआ और ये शख़्स नुक़्सान से बच गया।

दूसरे दिन कुत्ते ने मुर्ग़ से कहा बड़े झूटे हो तुम ख़्वाह-म-ख्वाह मुझे आज की उम्मीद में रखा बताओ कहाँ है वो बैल जिसे मैं खा सकूँ। मुर्ग ने कहा मैं झूटा नहीं हूँ हमारे मालिक ने नुक़्सान से बचने के लिए वो बैल बेच डाला है और अपनी बला दूसरे के सर डाल दी है मगर लो सुनो कल हमारे मालिक का घोड़ा मरेगा, कल घोड़े का गोश्त जी भर कर खाना। उस शख़्स ने ये बात सुनी और घोड़ा भी बेच डाला।

दूसरे दिन कुत्ते ने फिर शिकायत की तो मुर्ग़ बोला- भई क्या बताऊँ हमारा मालिक बड़ा बेवक़ूफ़ है जो अपनी आई गैरों के सर डाल रहा है, उसने घोड़ा भी बेच डाला और वो घोड़ा खरीदार के घर जाकर मर गया। बैल और घोड़ा इसी घर में मरते तो हमारे मालिक की जान का फ़िदया बन जाते, मगर उसने उनको बेच कर अपनी जान पर आफ़त मोल ले ली। लो सुनो और यक़ीन करो की कल हमारा मालिक खुद ही मर जाएगा और उसके मरने पर जो खाने पकेंगे उसमें से बहुत कुछ खाना तुम्हें मिल जाएगा।

उस शख़्स ने जब ये बात सुनी तो होश उड़ गए की अब मैं क्या करूँ? कुछ समझ में ना आया और दौड़ा-दौड़ा हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास आया और बोला- हुज़ूर मेरी गलती माफ़ फ़रमाईये और मौत से मुझे बचा लीजिए। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- नादान अब ये बात मुश्किल है आई क़ज़ा टल ना सकेगी, तुम्हें अब जो बात सामने आई है मुझे उसी दिन नज़र आ रही थी। जब तुम जानवरों की बोलियाँ सीखने पर इसरार कर रहे थे। चुनाँचे अब मरने के लिए तैयार हो जाओ चुनाँचे दूसरे दिन वो शख़्स मर गया। ( #मसनवी शरीफ़ )


🌹सबक़ ~
=========


मालो दौलत पर अगर कोई आफ़त नाज़िल हो और किसी किस्म का कोई नुक़्सान हो जाए तो इंसान को ग़म और शिकवा ना करना चाहिए बल्की अपनी जान का फ़िदया समझ कर अल्लाह का शुक्र ही अदा करना चाहिए और ये समझना चाहिए के जो हुआ बेहतर हुआ अगर माल पर ये आफ़त नाज़िल ना होती तो मुमकिन है जान हलाकत मे पड़ जाती।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 103-104, हिकायत नंबर- 88
--------------------------------------------------------
🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html