〽️हज़रत
मूसा अलैहिस्सलाम की बद्-दुआ से फ़िरऔनियों पर जूओं और मेण्डकों का अज़ाब
नाज़िल हुआ और फिर आपकी दुआ से वो अज़ाब दफ़ऐ हो गया, मगर फ़िरऔनी फिर भी
ईमान ना लाए और कुफ़्र पर क़ायम रहे। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फिर बद्-दुआ
फ़रमाई तो तमाम कुओं का पानी, नहरों का और चश्मों का पानी, दरयाए नील का
पानी, गर्ज़ हर पानी उनके लिए ताज़ा खून बन गया और वो इस नई मुसीबत से बहुत
ही परेशान हुए। जो पानी भी उठाते, उनके लिए खून बन जाता और क़ुद्रते ख़ुदा
का करिशमा देखिये की बनी इस्राईल के लिए पानी, पानी ही था। मगर फ़िरऔनियों
के लिए हर पानी खून बन गया था।
आखिर तंग आकर फ़िरऔनियों ने बनी इस्राईल के साथ मिल कर एक ही बर्तन से पानी लेने का इरादा किया तो जब बनी इस्राईल निकालते तो पानी निकलता और फ़िरऔनी निकालते तो उसी बर्तन से खून निकलता। यहाँ तक की फ़िरऔनी औरतें प्यास से तंग आकर बनी इस्राईल की औरतों के पास आईं और उनसे पानी माँगा तो वो पानी उनके बर्तन में आते ही खून हो गया तो फ़िरऔनी औरत कहने लगी की पानी अपने मुंह में लेकर मेरे मुंह में कुल्ली कर दे। जब तक वो पानी बनी इस्राईल की औरत के मुंह में रहा पानी था और फ़िरऔनी औरत के मुंह में पहुँचा तो खून हो गया।
फ़िरऔन खूद प्यास से लाचार हुआ तो उसने तर दरख़्तों की रतूबत चूसी, वो रतूबत मुंह में पहुंचते ही खून बन गई। इस कहरे इलाही से आजिज़ आकर फ़िरऔनियों ने फिर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से इलतिजा की कि एक मर्तबा और दुआ कीजिए और इस अज़ाब को भी टालिये फिर हम यक़ीनन ईमान ले आएंगे।
चुनाँचे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने दुआ फ़रमाई और उन पर से ये अज़ाब भी रफ़ये हो गया। मगर वो बेईमान फिर भी अपने अहेद पर क़ायम ना रहे।
#(क़ुरआन करीम, पारा-9, रूकू-6; ख़ज़ायन-उल-इर्फ़ान, सफ़ा-240; रूह-उल-बयान, सफा-460, जिल्द-1)
🌹सबक़ ~
=========
ख़ुदा तआला अपने नाफ़रमान बन्दों को बार-बार मोहलत देता है ताकी वो संभल जाएँ मगर कुफ़्र आशना बन्दे उस मोहलत से फ़ायदा नहीं उठाते और बदस्तूर अपने कुफ़्र पर क़ायम रहते हैं और नुक़सान उठाते हैं।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 93-94, हिकायत नंबर- 80
आखिर तंग आकर फ़िरऔनियों ने बनी इस्राईल के साथ मिल कर एक ही बर्तन से पानी लेने का इरादा किया तो जब बनी इस्राईल निकालते तो पानी निकलता और फ़िरऔनी निकालते तो उसी बर्तन से खून निकलता। यहाँ तक की फ़िरऔनी औरतें प्यास से तंग आकर बनी इस्राईल की औरतों के पास आईं और उनसे पानी माँगा तो वो पानी उनके बर्तन में आते ही खून हो गया तो फ़िरऔनी औरत कहने लगी की पानी अपने मुंह में लेकर मेरे मुंह में कुल्ली कर दे। जब तक वो पानी बनी इस्राईल की औरत के मुंह में रहा पानी था और फ़िरऔनी औरत के मुंह में पहुँचा तो खून हो गया।
फ़िरऔन खूद प्यास से लाचार हुआ तो उसने तर दरख़्तों की रतूबत चूसी, वो रतूबत मुंह में पहुंचते ही खून बन गई। इस कहरे इलाही से आजिज़ आकर फ़िरऔनियों ने फिर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से इलतिजा की कि एक मर्तबा और दुआ कीजिए और इस अज़ाब को भी टालिये फिर हम यक़ीनन ईमान ले आएंगे।
चुनाँचे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने दुआ फ़रमाई और उन पर से ये अज़ाब भी रफ़ये हो गया। मगर वो बेईमान फिर भी अपने अहेद पर क़ायम ना रहे।
#(क़ुरआन करीम, पारा-9, रूकू-6; ख़ज़ायन-उल-इर्फ़ान, सफ़ा-240; रूह-उल-बयान, सफा-460, जिल्द-1)
🌹सबक़ ~
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ख़ुदा तआला अपने नाफ़रमान बन्दों को बार-बार मोहलत देता है ताकी वो संभल जाएँ मगर कुफ़्र आशना बन्दे उस मोहलत से फ़ायदा नहीं उठाते और बदस्तूर अपने कुफ़्र पर क़ायम रहते हैं और नुक़सान उठाते हैं।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 93-94, हिकायत नंबर- 80
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
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