〽️हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बद्-दुआ से फ़िरऔनियों पर टिड्डी दल का अज़ाब आ गया और वो फ़िरऔनियों की सब खेतियाँ, दरख़्त, फल और उनके घरों के दरवाज़े और छत तक खा गईं। फ़िरऔनियों ने आजिज़ आकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से ये अज़ाब टल जाने की इलतिजा की और हज़रत मूसा पर ईमान लाने का वादा किया। हज़रत मूसा ने दुआ की और आपकी दुआ से ये अज़ाब टल गया, मगर फ़िरऔनी अपने अहेद पर क़ायम ना रहे और ईमान ना लाए। उस पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फिर बद्-दुआ फ़रमाई और फ़िरऔनियों पर जुओं का अज़ाब नाज़िल हो गया। ये जूएँ फ़िरऔनियों के कपड़ों में घुस कर उनके जिस्मों को काटतीं और उनके खाने में भर जाती थीं और घुन की शक्ल में उनके गेहूं की बोरियों में फैल कर उनके गेहूं को तबाह करने लगीं। अगर कोई दस बोरी गंदम की चकी पर ले जाता तो तीन सेर वापस लाता और फ़िरऔनियों के जिस्मों पर उस कसरत से चलने लगीं के उनके बाल, भवें, पलकें चाट के जिस्म पर चेचक की तरह दाग कर दिए और उन्हें सोना दुशवार कर दिया।

ये मुसीबत देख कर उन्होंने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से ये बला टल जाने की इलतिजा की और ईमान लाने का वादा किया। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने दुआ की और ये भी बला टल गई। मगर वो काफ़िर अपने अहेद पर क़ायम ना रहे और कुफ़्र से बाज़ न आये।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फिर उनके लिए बद्-दुआ की तो अल्लाह तआला ने अब उन पर मेण्ढकों का अज़ाब नाज़िल किया और हाल ये हुआ के आदमी बैठता था तो उसकी गोद में मेण्ढक भर जाते थे। बात करने के लिए मुंह खोलता तो मेण्डक कूद कर मुंह में पहुँचता था। हांडियों में मेण्ढक, खानों में मेण्डक और चूलहों में मेण्डक भर जाते थे और आग बुझ जाती थी। लेटते तो मेण्डक ऊपर सवार होते थे। इस मुसीबत से फ़िरऔनी रो पड़े और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से अर्ज़ किया के अब की बार हम अपने अहेद पर कायम रहेंगे और पक्की तौबा करते हैं। हम पर से मुसीबत टालिये। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फिर दुआ फ़रमाई और ये अज़ाब भी रफ़ऐ हुआ। मगर तमाशा देखिये के वो काफ़िर फिर भी अपने अहेद पर कायम ना रहे और अपने कुफ़्र पर बदसतूर डटे रहे।

#(क़ुरआन करीम, पारा-9, रूकू-6; ख़ज़ायन-उल-इर्फ़ान, सफ़ा-240; रूह-उल-बयान, सफ़ा-760, जिल्द-1)


🌹सबक़ ~
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काफ़िरों के वादे का कोई एतबार नहीं और बार-बार अहेद शिकनी करना काफ़िरों का काम है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 92-93, हिकायत नंबर- 79
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

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