〽️हज़रत
मूसा अलैहिस्सलाम दरिया पार करने के लिए जब किनारे दरिया तक पहुँचे तो
सवारी के जानवरों के मुंह अल्लाह ने फैर दिए के खुदबखुद वापस पलट आए। मूसा
अलैहिस्सलाम ने अर्ज की इलाही ये क्या हाल है?
इर्शाद हुआ तुम क़ब्र यूसुफ़ के पास हो, उनका जिस्म मुबारक अपने साथ ले लो।
मूसा अलैहिस्सलाम को क़ब्र का पता मालूम ना था। फ़रमाया- क्या तुम में कोई जानता है? शायद बनी इस्राईल की बूढ़िया को मालूम हो। उसके पास आदमी भेजा की तुझे यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की क़ब्र मालूम है?
उसने कहा- हाँ मालूम है। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया। तू मुझे बता दे। वो बोली ख़ुदा की क़सम मैं ना बताऊंगी। जब तक की जो कुछ मैं आप से माँगू, आप मुझे अता ना फरमाएँ।
मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- तेरी अर्ज़ क़बूल है, माँग क्या माँगती है? वो बूढ़िया बोली तो हुज़ूर से मैं ये माँगती हूँ के जन्नत में मैं आपके साथ हूँ, उस दर्जे में जिसमें आप होंगे।
मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- जन्नत माँग ले यानी तुझे यही काफी है, इतना बड़ा सवाल ना कर। बूढ़िया बोली- ख़ुदा की क़सम में ना मानूंगी, मगर यही की आपके साथ हूँ।
मूसा अलैहिस्सलाम उससे यही रद्दोबदल करते रहे अल्लाह ने वही भेजी। मूसा वो जो माँग रही है, तुम उसे वही अता कर दो की उसमें तुम्हारा कुछ नुक़सान नहीं।
चुनाँचे मूसा अलैहिस्सलाम ने जन्नत में अपनी रफ़ाक़त उसे अता फरमा दी। उसने यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की क़ब्र बता दी। मूसा अलैहिस्सलाम नअश मुबारक को साथ लेकर दरिया से उबूर फ़रमा गए।
( #तिब्रानी_शरीफ अलअमन व अलअला, सफ़ा-229)
🌹सबक़ ~
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हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उस बूढ़िया को ना सिर्फ जन्नत ही बल्के जन्नत में अपनी रफ़ाक़त भी दे दी, मालूम हुआ के ख़ुदा के मक़्बूलों को जन्नत पर इख़्तियार हासिल है फिर जो मक़्बूलों और रसूलों के सरदार हुज़ूर अहमद मुख़्तार सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को बे-इख़्तियार कहे, बड़ा ही बे-ख़बर और जाहिल है।
इर्शाद हुआ तुम क़ब्र यूसुफ़ के पास हो, उनका जिस्म मुबारक अपने साथ ले लो।
मूसा अलैहिस्सलाम को क़ब्र का पता मालूम ना था। फ़रमाया- क्या तुम में कोई जानता है? शायद बनी इस्राईल की बूढ़िया को मालूम हो। उसके पास आदमी भेजा की तुझे यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की क़ब्र मालूम है?
उसने कहा- हाँ मालूम है। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया। तू मुझे बता दे। वो बोली ख़ुदा की क़सम मैं ना बताऊंगी। जब तक की जो कुछ मैं आप से माँगू, आप मुझे अता ना फरमाएँ।
मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- तेरी अर्ज़ क़बूल है, माँग क्या माँगती है? वो बूढ़िया बोली तो हुज़ूर से मैं ये माँगती हूँ के जन्नत में मैं आपके साथ हूँ, उस दर्जे में जिसमें आप होंगे।
मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया- जन्नत माँग ले यानी तुझे यही काफी है, इतना बड़ा सवाल ना कर। बूढ़िया बोली- ख़ुदा की क़सम में ना मानूंगी, मगर यही की आपके साथ हूँ।
मूसा अलैहिस्सलाम उससे यही रद्दोबदल करते रहे अल्लाह ने वही भेजी। मूसा वो जो माँग रही है, तुम उसे वही अता कर दो की उसमें तुम्हारा कुछ नुक़सान नहीं।
चुनाँचे मूसा अलैहिस्सलाम ने जन्नत में अपनी रफ़ाक़त उसे अता फरमा दी। उसने यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की क़ब्र बता दी। मूसा अलैहिस्सलाम नअश मुबारक को साथ लेकर दरिया से उबूर फ़रमा गए।
( #तिब्रानी_शरीफ अलअमन व अलअला, सफ़ा-229)
🌹सबक़ ~
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हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने उस बूढ़िया को ना सिर्फ जन्नत ही बल्के जन्नत में अपनी रफ़ाक़त भी दे दी, मालूम हुआ के ख़ुदा के मक़्बूलों को जन्नत पर इख़्तियार हासिल है फिर जो मक़्बूलों और रसूलों के सरदार हुज़ूर अहमद मुख़्तार सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को बे-इख़्तियार कहे, बड़ा ही बे-ख़बर और जाहिल है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 96, हिकायत नंबर- 83
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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