〽️एक मर्तबा जिब्राईल अलैहिस्सलाम फ़िरऔन के पास एक इसतफ़्तआ लाए जिसका मज़मून ये था कि बादशाह का क्या हुक्म है ऐसे गुलाम के हक़ में जिसने एक शख़्स के माल व नेअमत में परवरिश पाई, फिर उसकी नाशुक्री की और उसके हक़ में मुनकिर हो गया और अपने आप मौला होने का मुद्दई बन गया?

इस पर फ़िरऔन ने ये जवाब लिखा कि जो नमक हराम ग़ुलाम अपने आक़ा की नेअमतों का इंकार करे और उसके मुक़ाबिल आए, उसकी सज़ा ये है के उसको दरिया में डुबो दिया गया।

चुनाँचे फ़िरऔन जब खुद दरिया में डूबने लगा तो हज़रत जिब्राईल ने उसका वही फ़तवा उसके सामने कर दिया और उसको उसने पहचान लिया।

#(खज़ायन-उल-इर्फ़ान, सफ़ा-311)


🌹सबक़ ~
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इंसान अगर अपने ग़ुलाम की नाफ़रमानी पर गुस्से में आ जाता है और उसे सज़ा देता है तो फिर वो खुद भी अगर मालिके हक़ीक़ी का नाफ़रमान होगा तो सज़ा भुगतने के लिए तैयार रहे।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 95-96, हिकायत नंबर- 82
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा

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