〽️बनी
इस्राईल के एक नौजवान आबिद के पास हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाया
करते थे। ये बात उस वक़्त के बादशाह ने सुनी तो उस नौजवान आबिद को बुलाया
और पूछा कि क्या बात सच है की तुम्हारे पास हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम आया
करते हैं?
उसने जवाब दिया कि हाँ, बादशाह ने कहा- अब जब वो आयें तो उन्हें मेरे पास लेकर आना। अगर ना लाओगे तो मैं तुम्हें क़त्ल कर दूंगा।
चुनाँचे एक दिन हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम उस आबिद के पास तशरीफ़ लाए तो आबिद ने उनसे सारा वाक़्या अर्ज़ कर दिया। आपने फ़रमाया- चलो! उस बादशाह के पास चलते हैं।
चुनाँचे आप उस बादशाह के पास तशरीफ़ ले गए। बादशाह ने पूछा- क्या आप ही ख़िज़्र हैं? फ़रमाया-हाँ। बादशाह ने कहा तो हमें कोई बड़ी अजीब बात सुनाईये। फ़रमाया- मैंने दुनिया की बड़ी-बड़ी अजीब बातें देखी हैं मगर उनमें से एक सुनाता हूँ। लो सुनो-
मैं एक दफा एक बहुत बड़े खूबसूरत और आबाद शहर से गुज़रा मैंने उस शहर के एक बाशिन्दे से पूछा- ये शहर कब से बना है? तो उसने कहा- ये शहर बहुत पुराना शहर है। इसकी इब्तिदा का ना मुझे इल्म है और ना हमारे आबाओ अज्दाद को। ख़ुदा जाने कब से ये शहर यूं ही आबाद चला आ रहा है।
फ़िर मैं पाँस सौ साल के बाद इसी जगह से गुज़रा तो वहाँ शहर का नाम व निशान तक ना था। एक जंगल था और वहाँ एक आदमी लकड़ियाँ चुन रहा था। मैंने उससे पूछा- ये शहर कब से बर्बाद हो गया है? वो मुझे देखकर हंसा और कहा- यहाँ शहर था ही कब? ये जगह तो मुद्दतों से जंगल चली आ रही है। हमारे आबाओ अज्दाद ने भी यहाँ जंगल ही देखा है।
फ़िर पाँच सौ साल के बाद वहाँ से गुज़रा तो वहाँ एक अज़ीम-मुश्शान दरिया बह रहा था और किनारे पर चन्द शिकारी बैठे थे। मैंने उनसे पूछा- ये जंगल दरिया कब से बन गया है? तो वो लोग मुझे देख कर कहने लगे आप जैसा आदमी ऐसा सवाल करे? यहाँ तो हमेशा ही से दरिया बहता चला आ रहा है मैंने पूछा- क्या इससे पहले ये जगह जंगल ना थी? वो कहने लगे हरगिज़ नहीं ना हम ने देखी और ना ही अपने आबाओ अज्दाद से सुनी।
फ़िर मैं पाँच सौ साल के बाद वहाँ से गुज़रा तो वो जगह एक बहुत बड़ा चटयल मैदान देखा। जहाँ एक आदमी को फिरते देखा। मैंने उससे पूछा- ये जगह खुश्क कब से हो गई? वो बोला के ये जगह तो हमेशा से यूंही चली आती है मैंने पूछा- यहाँ कभी दरिया नहीं बहता था? उसने कहा- ऐसा ना कभी देखा ना अपने आबाओ अज्दाद से सुना।
फिर मैं पाँच सौ साल के बाद वहाँ से गुज़रा तो वहाँ एक अज़ीम-मुश्शान शहर आबाद देखा, जो पहले शहर से भी ज़्यादा खूबसूरत और आबाद था। मैंने एक बाशिन्दे से पूछा- ये शहर कब से है? वो बोला- ये शहर पुराना है, इसकी इब्तिदा का ना हमें इल्म है ना हमारे आबाओ अज्दाद को।
( #अजायब_उल_मखलूकात_उल_क़ज़वीनी सफ़ा-129 जिल्द-1 )
🌹सबक़ ~
=========
इस दुनिया को सिबात नहीं है। ये हज़ारों रंग बदलती है। कभी आबादी, कभी बर्बादी, कभी मातम, कभी शादी।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 117-118, हिकायत नंबर- 98
उसने जवाब दिया कि हाँ, बादशाह ने कहा- अब जब वो आयें तो उन्हें मेरे पास लेकर आना। अगर ना लाओगे तो मैं तुम्हें क़त्ल कर दूंगा।
चुनाँचे एक दिन हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम उस आबिद के पास तशरीफ़ लाए तो आबिद ने उनसे सारा वाक़्या अर्ज़ कर दिया। आपने फ़रमाया- चलो! उस बादशाह के पास चलते हैं।
चुनाँचे आप उस बादशाह के पास तशरीफ़ ले गए। बादशाह ने पूछा- क्या आप ही ख़िज़्र हैं? फ़रमाया-हाँ। बादशाह ने कहा तो हमें कोई बड़ी अजीब बात सुनाईये। फ़रमाया- मैंने दुनिया की बड़ी-बड़ी अजीब बातें देखी हैं मगर उनमें से एक सुनाता हूँ। लो सुनो-
मैं एक दफा एक बहुत बड़े खूबसूरत और आबाद शहर से गुज़रा मैंने उस शहर के एक बाशिन्दे से पूछा- ये शहर कब से बना है? तो उसने कहा- ये शहर बहुत पुराना शहर है। इसकी इब्तिदा का ना मुझे इल्म है और ना हमारे आबाओ अज्दाद को। ख़ुदा जाने कब से ये शहर यूं ही आबाद चला आ रहा है।
फ़िर मैं पाँस सौ साल के बाद इसी जगह से गुज़रा तो वहाँ शहर का नाम व निशान तक ना था। एक जंगल था और वहाँ एक आदमी लकड़ियाँ चुन रहा था। मैंने उससे पूछा- ये शहर कब से बर्बाद हो गया है? वो मुझे देखकर हंसा और कहा- यहाँ शहर था ही कब? ये जगह तो मुद्दतों से जंगल चली आ रही है। हमारे आबाओ अज्दाद ने भी यहाँ जंगल ही देखा है।
फ़िर पाँच सौ साल के बाद वहाँ से गुज़रा तो वहाँ एक अज़ीम-मुश्शान दरिया बह रहा था और किनारे पर चन्द शिकारी बैठे थे। मैंने उनसे पूछा- ये जंगल दरिया कब से बन गया है? तो वो लोग मुझे देख कर कहने लगे आप जैसा आदमी ऐसा सवाल करे? यहाँ तो हमेशा ही से दरिया बहता चला आ रहा है मैंने पूछा- क्या इससे पहले ये जगह जंगल ना थी? वो कहने लगे हरगिज़ नहीं ना हम ने देखी और ना ही अपने आबाओ अज्दाद से सुनी।
फ़िर मैं पाँच सौ साल के बाद वहाँ से गुज़रा तो वो जगह एक बहुत बड़ा चटयल मैदान देखा। जहाँ एक आदमी को फिरते देखा। मैंने उससे पूछा- ये जगह खुश्क कब से हो गई? वो बोला के ये जगह तो हमेशा से यूंही चली आती है मैंने पूछा- यहाँ कभी दरिया नहीं बहता था? उसने कहा- ऐसा ना कभी देखा ना अपने आबाओ अज्दाद से सुना।
फिर मैं पाँच सौ साल के बाद वहाँ से गुज़रा तो वहाँ एक अज़ीम-मुश्शान शहर आबाद देखा, जो पहले शहर से भी ज़्यादा खूबसूरत और आबाद था। मैंने एक बाशिन्दे से पूछा- ये शहर कब से है? वो बोला- ये शहर पुराना है, इसकी इब्तिदा का ना हमें इल्म है ना हमारे आबाओ अज्दाद को।
( #अजायब_उल_मखलूकात_उल_क़ज़वीनी सफ़ा-129 जिल्द-1 )
🌹सबक़ ~
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इस दुनिया को सिबात नहीं है। ये हज़ारों रंग बदलती है। कभी आबादी, कभी बर्बादी, कभी मातम, कभी शादी।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 117-118, हिकायत नंबर- 98
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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