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〽️ एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत अबु हुरेरा रादिअल्लाहु अन्हु को सदकाए फित्र की हिफाज़त के लिए मुकर्रर फ़रमाया।
हज़रत अबु हुरेरा रादिअल्लाहु अन्हु रात भर उस माल की हिफाज़त फ़रमाते रहे, एक रात एक चोर आया और माल चुराने लगा, हज़रते अबु हुरेरा ने उसे देख लिया और उसे पकड़ लिया और फ़रमाया मैं तुझे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में पेश करूगा उस चोर ने मिन्नत समाजत करना शुरू की और कहा खुदारा मुझे छोड़ दो मैं साहिबे अयाल हूँ और मोहताज हूँ, अबु हुरेरह को रहम आ गया और उसे छोड़ दिया।
सुबह अबु हुरेरह जब बारगाहे रिसालत में हाजिर हुए तो हुज़ूर ﷺ ने मुसकुरा कर फरमाया अबु हुरेरह! वो रात वाले तुम्हारे कैदी (चोर) ने क्या किया? अबु हुरेरह ने अर्ज किया- हुज़ूर! उसने अपनी अयाल दारी और मोहताजी बयान की तो मुझे रहम आ गया और मैंने छोड़ दिया। हुज़ूर ने फरमाया उसने तुम से झूट बोला, खबरदार रहना आज रात वो फिर आएगा।
अबु हुरेरह कहते हैं कि मैं दूसरी रात भी उसके इन्तिजार में रहा क्या देखता हूँ की वो वाकई फिर आ पहुँचा और माल चुराने लगा मैंने फिर उसे पकड़ लिया उसने फिर मिन्नत खुशामद की और मुझे फिर रहम आ गया और मैंने फिर उसे छोड़ दिया, सुबह जब हुज़ूर ﷺ की बारगाह में हाज़िर हुआ तो हुज़ूर ﷺ ने फिर फ़रमाया अबु हुरेरह ! वो रात एले क़ैदी (चोर) ने क्या किया ?
मैंने फिर अर्ज़ किया की हुज़ूर! वो अपनी ह हाजत बयान करने लगा तो मुझे रहम आ गया और मैंने फिर छोड़
दिया, हुज़ूर ने फ़रमाया उसने तुम से झूट कहा ख़बरदार! आज वो फिर आएगा। अबु हुरेरह कहते हैं की तीसरी रात वो फिर आया और मैंने उसे पकड़ कर कहा कमबख्त आज न छोडूंगा और हुज़ूर के पास ज़रूर ले जाऊँगा। वो बोला,
अबु हुरेरह! मैं तुझे चन्द ऐसे कलमात सिखा जाता हूँ जिनको पढ़ने से तू नफा में रहेगा, सुनो! जब सोने लगो तो आयत-अलकुर्सी पढ़ कर सोया करो, इससे अल्लाह तआला तुम्हारी हिफाजत फरमाएगा और शैतान तुम्हारे नज़दीक नहीं आ सकेगा, अबु हुरेरह कहते हैं वो मुझे ये कलमात सिखा कर फिर मुझ से रिहाई पा और मैंने जब सुबह हुज़ूर की बारगाह में ये सारा किस्सा बयान किया तो हुज़ूर ने फरमाया उसने ये बात सच्ची कही है हालाँके खुद वो बड़ा झूटा है क्या तू जानता है ऐ, अबु हुरेरह! के वो तीन रात आने वाला कौन था? अर्ज किया नहीं या रसूल अल्लाह! मैं नहीं जानता, फ़रमाया वो शैतान था।
#(मिश्कात शरीफ सफा 177)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम गुजरे हुए और होने वाले सब वाक़्यात को जानते हैं अबु हुरेरह के पास रात को चोर आया तो हुज़ूर ﷺ ने खुद ही फ़रमाया के अबु हुरेरह रात के कैदी ने क्या किया और फिर ये भी फरमाया के आज फिर आएगा चुनाँचे वही कुछ हुआ
जो हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया। मालूम हुआ के हुज़ूर ﷺ आलिम माकाना वमा यकुन हैं।"
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 52-53, हिकायत नंबर- 32
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
〽️ एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत अबु हुरेरा रादिअल्लाहु अन्हु को सदकाए फित्र की हिफाज़त के लिए मुकर्रर फ़रमाया।
हज़रत अबु हुरेरा रादिअल्लाहु अन्हु रात भर उस माल की हिफाज़त फ़रमाते रहे, एक रात एक चोर आया और माल चुराने लगा, हज़रते अबु हुरेरा ने उसे देख लिया और उसे पकड़ लिया और फ़रमाया मैं तुझे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में पेश करूगा उस चोर ने मिन्नत समाजत करना शुरू की और कहा खुदारा मुझे छोड़ दो मैं साहिबे अयाल हूँ और मोहताज हूँ, अबु हुरेरह को रहम आ गया और उसे छोड़ दिया।
सुबह अबु हुरेरह जब बारगाहे रिसालत में हाजिर हुए तो हुज़ूर ﷺ ने मुसकुरा कर फरमाया अबु हुरेरह! वो रात वाले तुम्हारे कैदी (चोर) ने क्या किया? अबु हुरेरह ने अर्ज किया- हुज़ूर! उसने अपनी अयाल दारी और मोहताजी बयान की तो मुझे रहम आ गया और मैंने छोड़ दिया। हुज़ूर ने फरमाया उसने तुम से झूट बोला, खबरदार रहना आज रात वो फिर आएगा।
अबु हुरेरह कहते हैं कि मैं दूसरी रात भी उसके इन्तिजार में रहा क्या देखता हूँ की वो वाकई फिर आ पहुँचा और माल चुराने लगा मैंने फिर उसे पकड़ लिया उसने फिर मिन्नत खुशामद की और मुझे फिर रहम आ गया और मैंने फिर उसे छोड़ दिया, सुबह जब हुज़ूर ﷺ की बारगाह में हाज़िर हुआ तो हुज़ूर ﷺ ने फिर फ़रमाया अबु हुरेरह ! वो रात एले क़ैदी (चोर) ने क्या किया ?
मैंने फिर अर्ज़ किया की हुज़ूर! वो अपनी ह हाजत बयान करने लगा तो मुझे रहम आ गया और मैंने फिर छोड़
दिया, हुज़ूर ने फ़रमाया उसने तुम से झूट कहा ख़बरदार! आज वो फिर आएगा। अबु हुरेरह कहते हैं की तीसरी रात वो फिर आया और मैंने उसे पकड़ कर कहा कमबख्त आज न छोडूंगा और हुज़ूर के पास ज़रूर ले जाऊँगा। वो बोला,
अबु हुरेरह! मैं तुझे चन्द ऐसे कलमात सिखा जाता हूँ जिनको पढ़ने से तू नफा में रहेगा, सुनो! जब सोने लगो तो आयत-अलकुर्सी पढ़ कर सोया करो, इससे अल्लाह तआला तुम्हारी हिफाजत फरमाएगा और शैतान तुम्हारे नज़दीक नहीं आ सकेगा, अबु हुरेरह कहते हैं वो मुझे ये कलमात सिखा कर फिर मुझ से रिहाई पा और मैंने जब सुबह हुज़ूर की बारगाह में ये सारा किस्सा बयान किया तो हुज़ूर ने फरमाया उसने ये बात सच्ची कही है हालाँके खुद वो बड़ा झूटा है क्या तू जानता है ऐ, अबु हुरेरह! के वो तीन रात आने वाला कौन था? अर्ज किया नहीं या रसूल अल्लाह! मैं नहीं जानता, फ़रमाया वो शैतान था।
#(मिश्कात शरीफ सफा 177)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम गुजरे हुए और होने वाले सब वाक़्यात को जानते हैं अबु हुरेरह के पास रात को चोर आया तो हुज़ूर ﷺ ने खुद ही फ़रमाया के अबु हुरेरह रात के कैदी ने क्या किया और फिर ये भी फरमाया के आज फिर आएगा चुनाँचे वही कुछ हुआ
जो हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया। मालूम हुआ के हुज़ूर ﷺ आलिम माकाना वमा यकुन हैं।"
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 52-53, हिकायत नंबर- 32
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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