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〽️ मदीना मुनव्वरा के किसी मुकाम पर एक चरवाहा अपनी बकरियाँ चरा रहा था के अचानक एक भेड़िया आया और बकरियों के रेवड़ में घुस कर एक बकरी का शिकार ले भागा चरवाहे ने देखा तो उस भेड़िये का तआक्कुब किया और उससे बकरी छुड़ा ली।

भेड़िये ने जब देखा के मेरा शिकार मुझ से छीन लिया गया है तो एक टीले पर चढ़ कर बज़बान फसीह कहने लगा, मियाँ चरवाहे! अल्लाह ने मुझे रिज्क़ दिया था मगर अफसोस! कि तुमने मुझ से छीन लिया।

चरवाहे ने जब एक भेड़िये को कलाम करते हुए देखा तो हैरान होकर बोला तआजुब्ब है कि एक भेड़िया भी कलाम करता है ।

भेड़िये ने फिर कलाम किया और कहा और उससे भी ज्यादा तआज्जुब वाली बात तो ये है कि मदीना शरीफ में एक ऐसा वजूद मौजूद है जो तुम्हें जो कुछ हो चुका है और जो कुछ आईंदा होने वाला है उन सब अगली पिछली
बातों की खबर देता है मगर तुम उस पर ईमान नहीं लाते।

चरवाहा जो यहूदी था भेड़िये की उस गवाही को सुन कर बड़ा मुतास्सिर हुआ और बार रिसालत में हाज़िर होकर मुसलमान हो गया।

#(मिश्कात शरीफ, सफा- 533)


🌹सबक ~
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एक जानवर भी जानता और मानता है के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम हर गुजरी हुई और होने वाली बात को जानते हैं मगर एक बराए नाम इंसान भी हैं जो (मआज़ अल्लाह) हुज़ूर के लिए दीवार के पीछे का इल्म भी तसलीम नहीं करते।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 53-54, हिकायत नंबर- 33

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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