〽️फ़तह खैबर के बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वापस आ रहे थे के रास्ते में आपकी खिदमत में एक गधा हाजिर हुआ और अर्ज करने लगा- हुज़ूर! मेरी अर्ज भी सुनते जाईये। हुज़ूर रहमते आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उस मिसकीन जानवर की अर्ज सुनने को ठहर गए और फरमाया बताओ क्या कहना चाहते हो।

वो बोला- हुज़ूर मेरा नाम यज़ीद बिन शहाब है और मेरे दादा की नस्ल से खुदा ने साठ खरे पैदा किए हैं उन सब पर अल्लाह के नबी सवार होते रहे और हुज़ूर! मेरे दिल की ये तमन्ना है के मुझ मिसकीन पर हुज़ूर सवारी फरमाएँ और या रसूलल्लाह! मैं उस बात का मुसतहिक हुँ और वो इस तरह के मेरे दादा की औलाद में से सिवा
मेरे कोई बाकी नहीं रहा और अल्लाह के रसूलों में से सिवा आपके कोई बाकी नहीं रहा।

हुज़ूर ﷺ ने उसकी ये ख्वाहिश सुन कर फ़रमाया अच्छा हम तुम्हें अपनी सवारी के लिए मंज़ुर फ़रमाते हैं और तुम्हारा नाम बदल कर हम यअफूर रखते हैं।

#(हुज्जत-उल्लाह अली अलआलमीन, सफा-460)


🌹सबक
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हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खत्म
नबुव्वत का इक्रार एके गधा भी कर रहा है फिर जो ख़त्म नबुव्वत का इंकार करे वो क्यों ना गधे से भी बदत्तर हो।


📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 54, हिकायत नंबर- 34

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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