〽️ नमरूद मलऊन ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से जब मुनाज़रह में शिकस्त खाई तो और तो कुछ ना कर सका, हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का जानी दुश्मन बन गया और आपको क़ैद कर लिया और फिर एक बहुत बड़ी चार दीवारी तैयार की और उसमें महीने भर तक बकोशिश किस्म-किस्म की लकड़ियाँ जमा कीं और एक अज़ीम आग जलाई।

जिसकी तपिश से हवा में उड़ने वाले परिन्दे जल जाते थे और एक मुनजनीक़ (गोफ़न ) तैयार करके खड़ी की और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को बाँध कर उसमें रखकर आग में फेंका।

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की ज़बान पर उस वक़्त ये कलमा जारी था- "हसबीयल्लाहू व नीअमल वकील"

इधर नमरूद ने आपको आग में फेंका और इधर अल्लाह ने आग को हुक्म फ़रमाया की ऐ आग! ख़बरदार! हमारे ख़लील को मत जलाना, तू हमारे इब्राहीम पर ठंडी हो जा और सलामती का घर बन जा।

चुनाँचे वो आग हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के लिए बाग व बहार बन गई और नमरूद की सारी कोशिश
बेकार चली गई।

#(कुरआन करीम, पारा-17, रूकू-5 और खज़ायन-उल-इर्फान, सफा-463)


🌹सबक़ ~
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अल्लाह वालों को दुश्मन हमेशा तंग करते रहे लेकिन अल्लाह वालों का कुछ ना बिगाड़ सके और खुद ही ज़लील होते रहे।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 79, हिकायत नंबर- 64

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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